फेफड़ों में पानी - Wet Lung Disease in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

May 22, 2019

February 05, 2024

फेफड़ों में पानी
फेफड़ों में पानी

परिचय

वेट लंग डिजीज फेफड़ों से संबंधित एक रोग है, जिसे अधिकतर लोग पल्मोनरी एडिमा के नाम से जानते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों में मौजूद छोटी-छोटी थैलियों (Air sacs) में द्रव भर जाता है और परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होने लगती है।

फेफड़ों की ये थैलियां हवा को जमा करती हैं और उनमें द्रव भरने पर फेफड़ों की ऑक्सीजन प्राप्त करने और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इसी कारण से श्वसन तंत्र काम करना भी बंद कर देता है। वेट लंग डिजीज का मुख्य कारण आमतौर पर हार्ट फेलियर को माना जाता है। इसके अलावा जैसे अचानक से ब्लड प्रेशर बढ़ना, निमोनिया, गुर्दे खराब हो जाना या लीवर खराब हो जाना आदि के कारण भी वेट लंग डिजीज हो सकती है।

यदि हार्ट फेलियर के कारण वेट लंग डिजीज की समस्या हो रही है, तो यह आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होती है, जबकि कुछ मामलों में यह अचानक से भी विकसित हो सकती है। अचानक से होने वाले वेट लंग डिजीज को एक्यूट पल्मोनरी एडिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके इलाज में फेफड़ों से अतिरिक्त द्रव निकालना और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को सामान्य बनाना आदि शामिल हैं।

कुछ मामलों में वेट लंग डिजीज आपातकालीन स्थिति हो सकती है, जिसका जल्द से जल्द इलाज शुरू करना अत्यावश्यक होता है। यदि मरीज का समय पर या उचित इलाज न हो पाए, तो यह उसके स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है।

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वेट लंग डिजीज क्या है - What is Wet Lung Disease in Hindi

फेफड़ों में पानी भरना क्या है?

फेफड़ों की छोटी-छोटी वायु थैलियों में हवा भरने की स्थिति को वेट लंग डिजीज या पल्मोनरी एडिमा कहा जाता है। इस स्थिति में फेफड़ों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण फेफड़े पर्याप्त मात्रा में हवा नहीं ले पाते हैं और परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। वेट लंग डिजीज आमतौर पर हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होती है। क्योंकि जब हृदय ठीक से काम नहीं कर पाता है, तो फेफड़ों में पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप नहीं कर पाता है और परिणामस्वरूप उसकी जगह पर द्रव जमा होने लगता है।

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फेफड़ों में पानी भरने के प्रकार - Types of Pulmonary Edema in Hindi

वेट लंग डिजीज आमतौर पर दो प्रकार की होती है, जो इस प्रकार हैं -

  • कार्डियोजेनिक पल्मोनरी एडिमा -
    इसे हृदय से संबंधित पल्मोनरी एडिमा भी कहा जाता है। वेट लंग डिजीज का यह प्रकार हृदय में दबाव बढ़ने के कारण विकसित होता है।
     
  • नॉन-कार्डियोजेनिक पल्मोनरी एडिमा -
    वेट लंग डिजीज का यह प्रकार पल्मोनरी एडिमा का वह प्रकार होता है, जो हृदय में दबाव बढ़ने के कारण विकसित नहीं होता है।

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चेस्ट में पानी के लक्षण - Wet Lung Disease Symptoms in Hindi

चेस्ट में पानी भरने पर निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं, जैसे -

  • सिरदर्द
  • सांस फूलना और शारीरिक गतिविधि करने के दौरान स्थिति और गंभीर हो जाना
  • ऊंचाई की तरफ चलने में कठिनाई होना, जिसके बाद समतल सतह पर चलने में भी दिक्कत होना
  • लेटने के बाद सांस लेने में दिक्कत होना
  • घरघराहट
  • सोते समय सांस ना ले पाने के कारण अचानक से उठ जाना
  • खांसी
  • खांसी के साथ बलगम व थोड़ा बहुत रक्त आना
  • दिल तेजी से और अनियमित रूप से धड़कना
  • वजन तेजी से बढ़ना, खासकर टांगों में
  • शरीर के निचले हिस्से में सूजन आना
  • थकान महसूस होना

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
निम्नलिखित स्थितियां होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

  • अचानक से सांस फूलना
  • सांस लेने में कठिनाई होना और ज्यादा पसीना आना
  • त्वचा नीली या ग्रे रंग की दिखाई पड़ना
  • सिर घूमना, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना या ज्यादा पसीना आना आदि ये सभी बीपी लो होने का संकेत दे सकते हैं।
  • सांस लेने के दौरान घरघराहट या अन्य किसी प्रकार की आवाज आना
  • खांसी के साथ गुलाबी रंग का झागदार थूक या बलगम आना

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फेफड़ों में पानी के कारण व जोखिम कारक - Pulmonary Edema Causes & Risk Factors in Hindi

फेफड़ों में पानी जमा होने के पीछे अभी तक सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, विशषज्ञों का मानना है कि अधिकतर मामलों में यह हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होता है। कई बार हृदय का कोई हिस्सा ठीक से काम न कर पाने के कारण हृदय पर्याप्त मात्रा में रक्त को फेफड़ों में पंप नहीं कर पाता है। फेफड़ों में पर्याप्त रक्त न पहुंच पाने के बाद खाली हिस्सों में द्रव जमा होने लगता है।

जब हृदय ठीक से रक्त को पंप नहीं कर पाता तो खून फेफड़ों से होते हुए वापस वाहिकाओं में जाने लगता है, जिससे रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ जाता है। जैसे ही इन रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ता है तो द्रव फेफड़ों के अंदर हवा की छोटी-छोटी थैलियों (एल्वियोली) में चला जाता है। द्रव भर जाने के कारण इन थैलियों में पर्याप्त ऑक्सीजन जाने की जगह नहीं रह पाती है। इन स्थितियों में सांस फूलने जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं।

इसके निम्नलिखित कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं -

  • निमोनिया
  • सेप्सिस (ब्लड इन्फेक्शन)
  • कुछ प्रकार के केमिकल के संपर्क में आना
  • शरीर का कोई अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देना, जिसके कारण द्रव जमा होने लगना, जैसे हार्ट फेलियर, किडनी खराब होना या लिवर सिरोसिस
  • सूजन व जलन
  • किडनी तक खून पहुंचाने वाली धमनियां संकुचित हो जाना
  • किसी विषैली गैस या गंभीर संक्रमण होने के कारण फेफड़े क्षतिग्रस्त हो जाना

वेड लंग डिजीज का खतरा कब बढ़ता है?

निम्नलिखित कुछ कारक हैं, जो छाती में पानी भरने का खतरा बढ़ा देते हैं -

  • हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों या हार्ट फेलियर के मरीजों में पल्मोनरी एडिमा का खतरा सबसे अधिक होता है।
  • फेफड़ों से संबंधित रोगों के मरीज, जैसे टीबी या सीओपीडी
  • अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर रहना
  • कोई गंभीर चोट लगना
  • गैर कानूनी नशीले पदार्थ खाना या दवाओं को अत्यधिक मात्रा में लेना
  • सांस लेने के दौरान शरीर के अंदर विषाक्त पदार्थ चले जाने के कारण फेफड़े क्षतिग्रस्त हो जाना
  • गंभीर रूप से आघात (ट्रामा) होना
  • पानी में डूबना

इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार की दवाएं लेने वाले लोगों में भी वेट लंग डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

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पल्मोनरी एडिमा से बचाव - Prevention of Pulmonary Edema in Hindi

जिन लोगों को फेफड़ों में पानी जमा होने का जोखिम अधिक रहता है, उनको डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए।

यदि छाती में पानी भरना हार्ट फेलियर या हृदय संबंधी किसी अन्य समस्या से संबंधित है, तो स्वस्थ व संतुलित आहार खाने और शरीर का सामान्य वजन बनाए रखने से भविष्य में ऐसी समस्याएं होने की आशंका काफी कम हो जाती है।

नियमित रूप से व्यायाम करने से हृदय भी स्वस्थ होता है, इसके अलावा निम्न बातों का ध्यान रखकर भी हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है -

  • नमक की मात्रा अधिक होने पर शरीर में पानी जमा हो जाता है। शरीर में पानी की अधिक मात्रा होने पर हृदय का काम बढ़ जाता है। इसलिए नमक युक्त आहार में कमी करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • शरीर में कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से धमनियों में वसा जमा होने लग जाती है, जिसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल को कम करके भी वेट लंग डिजीज रोग होने जैसे खतरों को कम किया जा सकता है।
  • धूम्रपान करने से कई गंभीर बीमारियां विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, इनमें हृदय रोग, फेफड़ों के रोग और रक्त संचार संबंधी समस्याएं शामिल हैं। धूम्रपान बंद करना भी पल्मोनरी एडिमा रोग होने से बचाता है।

यदि आपको अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से चेस्ट में पानी जमा होने की समस्या होती है, तो कुछ तरीकों की मदद से इस समस्या से बचाव किया जा सकता है, जैसे चढ़ाई पर धीरे-धीरे चढ़ना, ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिक परिश्रम ना करना और यात्रा करने से पहले दवाई आदि लेना।

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छाती में पानी का परीक्षण - Diagnosis of Wet Lung Disease in Hindi

वेट लंग डिजीज के परीक्षण के दौरान डॉक्टर सबसे पहले मरीज के लक्षणों की जांच करेंगे। यदि परीक्षण में उनको लगता है कि फेफड़ों में द्रव जमा हो गया है, तो उसके कारण और स्थिति की गंभीरता का पता लगाने की कोशिश की जाती है।

परीक्षण में डॉक्टर स्टेथोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी मदद से फेफड़ों से आ रही असामान्य आवाज का पता लगाया जाता है। इसके अलावा हृदय की धड़कनों संबंधी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए भी स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

छाती में जमा द्रव की पुष्टि करने के लिए कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) 
  • हृदय की असामान्य गतिविधियों का पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राम या अल्ट्रासाउंड
  • फेफड़ों के अंदर व आसपास किसी प्रकार के द्रव का पता लगाने के लिए एक्स रे या सीटी स्कैन
  • खून में ऑक्सीजन के स्तर की जांच करने के लिए खून टेस्ट करना
  • रक्त में ऑक्सीजन के स्तर की जांच करने के लिए पल्स ऑक्सिमेट्री
  • हार्ट अटैक व हृदय की धड़कनों संबंधी अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)

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फेफड़ों में पानी का इलाज - Pulmonary Edema Treatment in Hindi

वेट लंग डिजीज या पल्मोनरी एडिमा एक गंभीर रोग है, जिसका जल्द से जल्द इलाज करवाना बेहद आवश्यक होता है। शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति करना इस रोग के इलाज का सबसे प्रथम कार्य है। डॉक्टर ऑक्सीजन मास्क व अन्य उपकरणों की मदद से मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन देने की कोशिश करेंगे।

फेफड़ों में पानी भरने के कारण का जल्द से जल्द पता लगाकर इलाज करना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि यह स्थिति हार्ट अटैक के कारण पैदा हुई है, तो वह मरीज के जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।

चेस्ट में पानी भरने का इलाज उसके कारण के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। हालांकि, आमतौर पर इसके इलाज में निम्न दवाएं शामिल की जाती हैं -

  • डाइयुरेटिक्स (मूत्रल) दवाएं जो शरीर से अतिरिक्त तरल को निकाल देती हैं।
  • हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली, हृदय की धड़कनों को कंट्रोल करने वाली और हृदय का दबाव कम करने वाली दवाएं।

यदि वेट लंग डिजीज के कारण मरीज की स्थिति गंभीर है और दवाओं से स्थिति कम नहीं हो पा रही है, तो मरीज को आईसीयू (इंटेसिव केयर यूनिट) में भी भेजा जा सकता है।

  • इसमें मरीज को फेस मास्क के द्वारा या फिर नाक में प्लास्टिक की एक पतली ट्यूब लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है।
  • यदि मरीज खुद से ठीक तरह से सांस नहीं ले पा रहा है, तो एक ट्यूब को मरीज की वायु नली (Windpipe) से जोड़ दिया जाता है, जो उसे वेंटिलेटर (सांस लेने में मदद करने वाली मशीन) से जोड़ती है।

जीवन शैली में कुछ सुधार

डॉक्टर आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने के लिए भी बोल सकते हैं, ताकि फेफड़ों में पानी भरने जैसी समस्या में सुधार किया जा सके। इनमें निम्नलिखित उपाय शामिल हो सकते हैं -

  • पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं
  • नमक कम मात्रा में खाएं। (और पढ़ें - नमक की कमी के लक्षण)
  • पल्मोनरी एडिमा का कारण बनने वाली स्थितियों से बचना। यदि आपको ऊंचाई वाले स्थानो पर जाने से, एलर्जिक पदार्थों से या फिर किसी प्रकार की दवा से फेफड़ों में पानी जमा होने की समस्या हो रही है, तो इनसे बचाव करके आप अपने फेफड़ों को और अधिक क्षतिग्रस्त होने से बचा सकते हैं।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
  • स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं को नियंत्रित रखें। उदाहरण के लिए यदि आपको डायबिटीज है, तो अपने ग्लूकोज (शुगर) के स्तर को सामान्य स्तर पर रखने की कोशिश करें और नियमित रूप से अपने शुगर के स्तर की जांच करवाते रहें।
  • यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो उसे तुरंत छोड़ें दें
  • यदि आपके शरीर का वजन सामान्य से अधिक है, तो उसे नियंत्रण में लाएं

(और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय)

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फेफड़ों में पानी की जटिलताएं - Pulmonary Edema Complications in Hindi

पल्मोनरी एडिमा से पैदा होने वाली समस्याएं उसके कारण पर निर्भर करती हैं। यह स्थिति एकदम से ठीक हो सकती है या ठीक होने में समय ले सकती है। कुछ लोगों को लंबे समय तक ब्रिदिंग मशीन (सांस लेने में मदद करने वाली मशीन) का उपयोग करना पड़ सकता है। यदि समस्या का समय पर इलाज ना किया जाए, तो यह जीवन के लिए घातक हो सकती है।

फेफड़ों में पानी भरने से पैदा होने वाली ज्यादातर जटिलताएं अक्सर इसके कारण से संबंधित होती हैं। विशेष रूप से पल्मोनरी एडिमा होने पर फेफड़े खून में गंभीर रूप से ऑक्सीजन की कमी कर देते हैं। ऑक्सीजन की कमी होने से संभावित रूप से शरीर में किसी अंग तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है, जैसे कि मस्तिष्क तक ऑक्सीजन ना पहुंच पाना।

जिन लोगों को एक बार फेफड़ों में पानी भर जाने की समस्या हो चुकी है, उन मरीजों को फिर से यह समस्या होने और यहां तक कि इससे उनकी मृत्यु होने का खतरा भी पैदा हो जाता है।

(और पढ़ें - लंग इन्फेक्शन का इलाज)