प्रतिगामी स्खलन (रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन) - Retrograde ejaculation in Hindi

Dr. Srishti GuptaMBBS

April 15, 2021

April 15, 2021

प्रतिगामी स्खलन
प्रतिगामी स्खलन

सेक्स के दौरान उत्तेजित होने पर पुरुष लिंग मस्तिष्क को आनंद का संदेश भेजता है। इस आनंददायक अनुभव के चरम पर पहुंचने पर चरम सुख (ऑर्गेज्म) की प्राप्ति होती है। ऑर्गेज्म के दौरान पुरुष लिंग और अन्य अंगों में सुखदायक सनसनी का एहसास होता है। आमतौर पर पुरुषों में ऑर्गेज्म और स्खलन (इजेकुलेशन) एक साथ होते हैं, लेकिन यह दोनों न तो एक हैं न ही एक-दूसरे से किसी तरह से जुड़े हैं। स्खलन के दौरान पुरुष के मूत्रमार्ग से एक सफेद रंग का चिपचिपा तरल निकलता है, जिसे वीर्य कहते हैं। इस वीर्य में शुक्राणु (स्पर्म) होते हैं, जो महिला के प्रजनन अंगों के अंदर मौजूद अंडे के साथ मिलकर भ्रूण बनाते हैं। स्खलन की सामान्य प्रक्रिया के तहत वृषणों (टेस्टीकल्स) में मौजूद शुक्राणु, वीर्य के साथ मूत्रमार्ग से होते हुए पुरुष लिंग से तेजी से बाहर निकलते हैं। पुरुषों में वीर्य और मूत्र दोनों मूत्रमार्ग से बाहर आते हैं।

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इजेकुलेशन के दो भाग होते हैं - उत्सर्जन और निष्कासन। उत्सर्जन के दौरान मूत्राशय जहां पर मूत्र मार्ग से जुड़ता है उसे बंद किया जाता है और वृषणों से शुक्राणुओं का स्राव होता है। इसके बाद प्रोस्टेट ग्रंथि और कॉप्लर ग्रंथि से वीर्य का स्राव होता हुआ तेजी से मूत्रमार्ग से गुजरता है। मूत्रमार्ग में वीर्य के स्राव से पहले ही मूत्राशय के स्फिंक्टर में संकुचन बेहद जरूरी क्रिया है। ऐसा नहीं होने पर वीर्य के साथ मूत्र का स्राव भी हो सकता है या वीर्य वापस मूत्राशय में (रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन) जा सकता है। निष्कासन के चरण में शुक्राणु युक्त वीर्य मूत्रमार्ग से होते हुए लिंग के अगले हिस्से से बाहर निकलता है।

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रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की समस्या तब होती है जब किसी कारणवश उत्सर्जन की प्रक्रिया के दौरान मूत्राशय के स्फिंक्टर में संकुचन नहीं होता। ऐसे में वीर्य लिंग के माध्यम से बाहर निकलने की बजाय मूत्राशय में चला जाता है। इस तरह वीर्य मूत्राशय में पहुंचकर मूत्र में मिल जाता है और मूत्र से साथ ही बाहर निकलता है। पुरुष चरम सुख का अनुभव करने या इजेकुलेशन की तीव्र इच्छा होने के बावजूद बहुत कम या बिल्कुल भी वीर्यपात नहीं कर पाता। इसीलिए रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन को ड्राइ ऑर्गेज्म भी कहा जाता है। हालांकि, इससे यौन सुख का अनुभव करने में आमतौर पर कोई परेशानी नहीं आती। लेकिन वीर्यपात नहीं होने की वजह से प्रजनन क्षमता पर असर जरूर पड़ सकता है। इस समस्या को पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए किसी तरह के खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है। इसका समय पर निदान और इलाज करके प्रजनन क्षमता को फिर से पाया जा सकता है।

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रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन के लक्षण - Signs and symptoms of retrograde ejaculation

रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन के कुछ लक्षण नीचे बताए गए हैं - 

  • ड्राइ ऑर्गेज्म या चरम सुख का अनुभव करने के बावजूद वीर्यपात नहीं होना
  • पेशाब में झाग : पेशाब में वीर्य की मौजूदगी से पेशाब में बहुत ज्यादा झाग बन सकता है। खासतौर पर सेक्स के बाद पेशाब में झाग दिख सकता है।
  • पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर : लंबे समय से प्रयास के बावजूद अपनी महिला पार्टनर को गर्भवती नहीं कर पाने को प्रजनन क्षमता में कमी या पुरुष बांझपन कहा जाता है। यदि प्रजनन क्षमता की जांच करने पर महिला पार्टनर में कोई समस्या नहीं दिखती है तो पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी का संदेह होता है।

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रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन के कारण - Causes of retrograde ejaculation

रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की समस्या कई कारणों से हो सकती है, इसमें सिस्टमिक डिजीज (ऐसी बीमारियां जो पूरे शरीर पर असर डालती हैं) और नस में चोट भी शामिल हो सकती हैं। कई बार किसी सर्जरी के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन के कुछ कारण इस प्रकार हैं -

  • जन्मजात समस्या : कुछ पुरुषों में जन्म से ही प्रजनन पथ और मूत्राशय वाल्व से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इससे बाद में रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की समस्या हो सकती है। रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन से जुड़े जन्मजात दोषों में शामिल हैं - 
  • पोस्टेरियर यूरेथ्रल वाल्व - मूत्रमार्ग में वाल्व की असामान्य उपस्थिति से वीर्य का निष्कासन बाधित (स्खलन न होना) हो सकता है।
  • यूट्रीकुलर सिस्ट्स - प्रोस्टेट ग्रंथी में एक यूट्रिकल नाम की संरचना होती है। इसमें जन्म से ही सिस्ट मौजूद हो सकता है।
  • एक्सट्रोफी ऑफ यूरिनरी ब्लैडर - जब पेट के निचले हिस्से की त्वचा सही से नहीं बन पाती है तो मूत्राशय पेट के बाहरी हिस्से की तरफ से खुला रहा जाता है। ऐसा होने पर मूत्रमार्ग का निर्माण सही ढंग से नहीं हो पाता है।
  • सर्जरी के बाद की जटिलता - सर्जरी के दौरान खासतौर पर थोराकोल्युम्बर नस (टी10-एल2) में किसी तरह की चोट के कारण मूत्राशय का स्फिंक्टर स्खलन के दौरान बंद नहीं हो पाता। मूत्राशय की सर्जरी और प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के कारण रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की समस्या हो सकती है।
  • आरपीएलएनडी - कैंसरयुक्त ट्यूमर को हटाने के दौरान जिन लिंफ नोड्स से इसे निकाला जाता है उन्हें हटाने की जरूरत पड़ सकती है। (और पढ़ें - ट्यूमर और कैंसर में अंतर)
  • एब्डोमिनोपेरिनियल रिसेक्शन - कैंसरयुक्त गुदा ट्यूमर के लिए सर्जिकल ट्रीटमेंट
  • ट्रांसयूरेथ्रल प्रोस्टेट रिसेक्शन - बढ़े हुए प्रोस्टेट के इलाज के लिए सर्जरी के दौरान एक उपकरण को मूत्रमार्ग से डाला जाता है, जिसके कारण मूत्राशय के मुहाने या स्फिंक्टर तक जाने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
  • स्पाइनल कॉर्ड ट्रॉमा - रीढ़ की हड्डी को किसी तरह का आघात (खासतौर पर निचले हिस्से में) के कारण रीढ़ के उस हिस्से में नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसमें उत्सर्जन के चरण को नियंत्रित करने वाली नसें भी शामिल होती हैं और इससे स्फिंक्टर में संकुचन नहीं हो पाता।
  • सिस्टमिक डिजीज - पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली बीमारियां भी रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का कारण बन सकती हैं। इसमें मधुमेह, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस रोग, मायलोडिस्प्लासिया आदि शामिल हैं। 
  • स्ट्रोक जैसी सेरेब्रोवैस्कुलर समस्याएं पक्षाघात (पैरालिसिस) का कारण बन सकती हैं।
  • दवाएं - कुछ दवाएं भी मूत्राशय के स्फिंक्टर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं और रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का संभावित कारण बन सकती हैं। इनमें एंटीडिप्रेसेंट, सेरट्रेलिन, फ्लूओक्सेटीन आदि।
  • अल्फाब्लॉकर्स - प्राजोसिन और टैमसुलोसिन जैसी दवाएं जो प्रोस्टेट बढ़ने के इलाज के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं या कई बार बीपी के लिए भी इस्तेमाल की जाती हैं।

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रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का निदान - Diagnosis of retrograde ejaculation

हालांकि, ऑर्गेज्म पर पहुंचने के बावजूद वीर्यपात न होने का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन इसके पीछे कोई अन्य गंभीर समस्या हो सकती है। स्खलन न होने के संबंध में अन्य आशंकाओं को दूर करने के लिए और एनइजेकुलेशन (स्खलन न होना) व रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन में फर्क करने के लिए चिकित्सीय मूल्यांकन जरूरी हो जाता है। यदि आपको लंबे समय से ड्राइ ऑर्गेज्म हो रहा है या हाल में ये समस्या पैदा हुई है तो डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर अन्य संभावित कारणों की जांच के साथ ही मूत्र परीक्षण करवा सकते हैं। समस्या के निदान के लिए डॉक्टर निम्न सलाह दे सकते हैं।

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यूरिनालिसिस - डॉक्टर आपको हस्तमैथुन करने को कह सकते हैं, जिसमें क्लाइमेक्स के बाद आपको पेशाब करके उसका सैंपल इकट्ठा करने को कहा जाएगा। पेशाब के सैंपल की जांच की जाती है और पता लगाया जाता है कि क्या उसमें स्पर्म की मौजूदगी है या नहीं। यदि मूत्र परिक्षण में वीर्य की मौजूदगी पायी जाती है तो इस समस्या का रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन के रूप में निदान किया जाता है। इसमें और कुछ किए जाने की जरूरत नहीं है, यदि आप बच्चा चाहते हैं तो इसके लिए मेडिकल थेरेपी की जा सकती है। यदि मूत्र परीक्षण के दौरान पेशाब में स्पर्म नहीं पाया जाता है तो रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की आशंका को नकार दिया जाता है।

रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का प्रबंधन - Management of retrograde ejaculation

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का कोई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम नहीं है। ड्राइ ऑर्गेज्म के अलावा चरम सुख को लेकर आपकी सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता है। यदि आप बच्चा नहीं चाहते हैं तो रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन का इलाज किए जाने की जरूरत नहीं है। इलाज का प्रभाव कैसा रहा, यह अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। यदि किसी दवा के साइड इफेक्ट के कारण रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन की समस्या हुई है तो इसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि, सर्जरी की वजह से ऐसा होने पर इसे पलटा नहीं जा सकता है।

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निम्न कुछ दवाएं ब्लैडर के स्फिंक्टर को सही स्थिति में लाकर वीर्य को मूत्राशय में वापस जाने से रोक सकती हैं।

  • इमिप्रैमाइन
  • मिडोड्राइन
  • क्लोरफेनिरामाइन और ब्रोम्फेनरामाइन
  • एफेड्रिन
  • स्यूडोएफेड्रिन
  • फेनिलेफ्राइन
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रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन से जुड़ी जटिलताएं - Complications of retrograde ejaculation

यह पुरुषों के स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या नहीं है। हालांकि, सेक्स के दौरान महिला पार्टनर की योनि में वीर्यपात नहीं होने के कारण प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है और महिला गर्भवती नहीं हो पाती। रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन से जुड़ी प्रजनन क्षमता की कमी का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि पुरुष में स्पर्म की कमी है। 



प्रतिगामी स्खलन (रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन) के डॉक्टर

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