रोटेटर कफ डिसऑर्डर क्या है?
रोटेटर कफ डिसऑर्डर कंधे को हिलाने या मूव करने में मदद करने वाले टेंडन और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इस डिसऑर्डर से ग्रस्त होने पर कंधे के टेंडन में सूजन या कोई दिक्कत हो सकती है। रोटेटर कफ डिसऑर्डर को इम्पिन्गेमेंट सिंड्रोम भी कहा जाता है।
आमतौर पर यह बीमारी समय के साथ बढ़ जाती है। कंधे को लंबे समय तक एक ही अवस्था (पोज) में रखने पर ऐसा हो सकता है। इसके अलावा रोज कंधे पर सिर रख कर सोने या ऐसी गतिविधियों में भाग लेने से भी ये प्रॉब्लम हो सकती है, जिनमें हाथ को सिर से ऊपर ले जाने की जरूरत होती है।
चूंकि एथलीट वजन उठाने या एक्सरसाइज करने जैसी गतिविधियों में ज्यादा शामिल रहते हैं इसलिए यह स्थिति उनमें ज्यादा विकसित होती है। फिलहाल इन गतिविधियों में शामिल हैं:
- तैराकी
- गेंद फेंकना
- टेनिस
कभी-कभी रोटेटर कफ डिसऑर्डर का कारण पता नहीं चल पाता है।
रोटेटर कफ डिसऑर्डर के लक्षण
रोटेटर कफ डिसऑर्डर के लक्षणों में शामिल हैं:
- कंधे के सामने व किनारे की तरफ दर्द और सूजन
- हाथ उठाते या नीचे करते समय दर्द
- हाथ उठाते समय चिटकने की धीमी आवाज आना
- कंधे की अकड़न
- कंधे के जोड़ में दर्द, जिसकी वजह से नींद आने में परेशानी
- पीठ के पीछे हाथ ले जाने में दर्द
- प्रभावित हाथ को हिलाने और ताकत में कमी आना
रोटेटर कफ डिसऑर्डर के जोखिम कारक
निम्नलिखित कारक इस स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
- जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, यह समस्या भी बढ़ती जाती है। ज्यादातर यह समस्या 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होती है।
- कुछ एथलीट ऐसे स्पोर्ट्स खेलते हैं जिसमें बार-बार कंधे को हिलाने की जरूरत पड़ती है जैसे कि बेसबॉल या टेनिस, इनमें भी इस समस्या का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
- लकड़ी का काम (कारपेंटर) या पेंटर जैसे व्यवसायों में भी कंधे का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है, इसलिए ऐसे व्यवसायों में रोटेटर कफ डिसऑर्डर का खतरा रहता है।
- अगर आपके परिवार में किसी सदस्य को ये बीमारी है तो आपमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
रोटेटर कफ डिसऑर्डर का इलाज
- फिजिकल थेरेपी
डॉक्टर फिजिकल थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इसमें स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज व कुछ अन्य एक्सरसाइज के जरिए दर्द को कम करने और कंधे की सक्रियता को बढ़ाने मे मदद मिलती है।
- स्टेरॉयड इंजेक्शन
यदि फिजिकल थेरेपी के जरिए उपचार में मदद नहीं मिलती है, तो डॉक्टर स्टेरॉयड इंजेक्शन की सलाह दे सकते हैं। यह सूजन और दर्द से राहत देने में मददगार है।
- सर्जरी
यदि स्थिति गंभीर है और दवाओं एवंं एक्सरसाइज से फायदा नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। इसमें रोटेटर कफ सर्जरी की मदद ली जाती है। मरीज अक्सर इस सर्जरी के बाद पूरी तरह से बेहतर महसूस करते हैं। आर्थोस्कोपी (जोड़ के अंदर समस्या को देखने, निदान करने और इलाज करने के लिए की जाने वाली सर्जिकल प्रक्रिया) के माध्यम से कंधे की सर्जरी की जा सकती है। इसमें आपके कंधे के चारो ओर दो या तीन छोटे कट लगाए जाते हैं, जिसके माध्यम से डॉक्टर विभिन्न उपकरणों को अंदर डालते हैं। इन उपकरणों में छोटा कैमरा भी होता है जिसकी मदद से उन ऊतकों को देखा जा सकता है, जो दर्द की वजह बन रहे हैं।
यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी से परेशान है तो वे दर्द को कम करने के लिए कुछ आसान से तरीके अपना सकते हैं जैसे: हमेशा सही मुद्रा में बैठें, बार-बार अपने दोनों हाथो को ऊपर उठाने से बचे और ऐसी गतिविधियों को करने से बचे जिन्हें बार-बार करना पड़ता है।