फिट रहने, रिकवर होने या अपना स्वास्थ्य नियंत्रित रखते समय क्षतिग्रस्त होना एक बहुत बड़ी बाधा बन सकती है। दर्द और बेचैनी के कारण अपने रोजाना के कार्यों में रुकावट आने की वजह से परेशानी होती है। खासतौर से उस समय जब आपको अच्छे परिणाम नजर आ रहे हों।
किसी भी मांसपेशी या शरीर के अंग के अत्यधिक इस्तेमाल से क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। इसमें शिन स्प्लिंट्स भी शामिल है। हालांकि, इस प्रकार की चोट के कारण बेहद कम होते हैं। समय के साथ ठीक होने वाली यह चोट अगर सही तरीके से न परखी जाए तो कई बार गंभीर स्थिति का भी रूप ले लेती है।
स्ट्रेस फैक्चर (अत्यधिक इस्तेमाल के कारण हड्डी का टूटना), टेंडिनाइटिस और कम्पार्ट्मेन्ट सिंड्रोम (मांसपेशियों में बढ़ते प्रेशर के कारण पैरों में रक्त प्रवाह कम होना) जैसी स्थितियां उन लोगों में संभाव्य जोखिम हैं, जिन लोगों को शिन स्प्लिंट्स जैसी समस्या पहले भी हो चुकी है।