वायरल फीवर (बुखार) - Viral Fever in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

August 29, 2018

August 31, 2023

वायरल फीवर
वायरल फीवर

वायरल (बुखार) फीवर क्या होता है?

वायरल इन्फेक्शन की एक बड़ी श्रेणी को वायरल फीवर का नाम दिया गया है। शरीर का तापमान बढ़ना वायरल फीवर की मुख्य विशेषता होती है। वायरल फीवर बच्चों और वृद्धों में काफी सामान्य होता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। वायरल बुखार आमतौर पर हवा में फैलने वाले (एयरबॉर्न) वायरल संक्रमण के कारण होता है, हालांकि यह पानी में फैलने वाले (वाटरबॉर्न) संक्रमण के कारण भी हो सकता है। वाटरबोर्न संक्रमण की रोकथाम करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं, लेकिन जिस हवा में हम सांस लेते हैं उससे फैलने वाले संक्रमण की रोकथाम करने के उपाय काफी कम हैं।

वायरल बुखार बहुत ही कम मामलों में चिंता का कारण बनता है और ज्यादातर मामलों में यह बिना किसी विशेष उपचार के ही ठीक हो जाता है। हालांकि, वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण के बीच के अंतर को स्पष्ट करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इनके काफी सारे लक्षण एक समान होते हैं। इसलिए यदि आपके शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर हो जाता है या फीवर 48 घंटो तक कम नहीं होता तो डॉक्टर से बात करना आवश्यक है।

जो लोग इस संक्रमण से पीड़ित हैं, उनको शरीर में दर्द, त्वचा पर चकत्ते और सिर दर्द की समस्या होती है। हालांकि, वायरल फीवर का इलाज करने के लिए दवाएं भी उपलब्ध हैं, कुछ मामलों में घरेलू उपचार भी इस स्थिति से निपटने में आपकी सहायता करते हैं।

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वायरल फीवर के लक्षण - Viral bukhar ke lakshan in Hindi

वायरल फीवर के लक्षण व संकेत क्या हो सकते है?

वायरल फीवर के निम्न लक्षण होते हैं -

  • वायरल फीवर आंतरायिक (रुक-रुक कर होना, अंतराल  ले -लेकर होने वाला) प्रकृति का होता है और नियमित अंतराल में अनुभव होता है। उदाहरण के लिए ज्यादातर लोगों को दोपहर या शाम को एक विशेष समय के दौरान ही वायरल फीवर होता है।
  • नाक बहनाबंद नाक, आंखें लाल होना, खाना निगलने में कठिनाई आदि वायरल फीवर के कुछ लक्षण हैं। वायरल फीवर सामान्य बुखार की दवाओं से ठीक नहीं होते। सामान्य बुखार की दवाएं वायरल फीवर को कुछ समय के लिए ही ठीक कर पाती हैं, जैसे ही दवाओं का असर खत्म होता है, वायरल फीवर फिर से हो जाता है।
  • बुखार जैसी वह स्थिति जो सामान्य बुखार से अधिक समय तक रहती है, वायरल फीवर होती है। 
  • वायरल बुखार होने पर ठंड लगती है। यहां तक कि तेज गर्मी और नम वातावरण के दौरान भी वायरल बुखार में ठंड महसूस हो सकती है।

वायरल फीवर के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि वायरल फीवर में शरीर का तापमान 104 डिग्री तक पहुंच जाता है या फिर अगर बुखार लगातार 4 या उससे ज्यादा दिन तक बना रहता है। तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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वायरल फीवर के कारण - Viral Fever Causes & Risks in Hindi

वायरल फीवर किस कारण से होता है?

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरल फीवर बड़ी आसानी से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले द्रव पदार्थों (जैसे खून, थूक और पेशाब आदि) के संपर्क में आने पर दूसरा व्यक्ति भी वायरल फीवर से संक्रमित हो सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति छींकता, खांसता, उबासी लेता और यहां तक की बोलता है, तो उसके शरीर से द्रव की बारीक बूंदे हवा में मिल जाती है और यदि आप आसपास हैं तो सांस के द्वारा वे बूंदे आपके शरीर में चली जाती है। जब एक बार वायरस आपके शरीर में चला जाता है, तो यह पूरे शरीर में फैलने और बुखार के साथ तीव्र संक्रमण पैदा करने में 16 से 24 घंटे तक का समय लेता है।

  • वायरल फीवर के वायरस के कुछ गंभीर प्रकार हैं जिनके कारण हेमरेजिंग (अत्यधिक खून बहना) हो जाता है। वायरस के ये प्रकार मच्छरों या किसी कीट द्वारा काटने से फैलते हैं या फिर किसी संक्रमित व्यक्ति के वीर्य या खून के संपर्क में आने से भी ये फैल जाते हैं।  (और पढ़ें - मच्छरों से छुटकारा का तरीका)
  • कुछ मामलों में वायरल फीवर संपर्क में आने के करीब 21 दिनों बाद पूरी तरह विकसित होकर अपना आतंक दिखाता हैं। उससे पहले इसके लक्षण तक नजर नहीं आते। 
  • वायरल फीवर के कुछ प्रकार के वायरस चूहे के मल या मूत्र के आस-पास सांस लेने से भी मानव शरीर के अंदर चले जाते हैं।

वायरल फीवर का खतरा कब बढ़ जाता है? 

निम्न स्थितियों में आपके लिए वायरल फीवर के जोखिम बढ़ जाते हैं यदि आप:

  • किसी संक्रमित व्यक्ति के करीब हैं।
  • किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ काम कर रहे हों।
  • असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं। (और पढ़ें - सुरक्षित सेक्स करने का तरीका)
  • इन्जेक्शन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सुई शेयर करते है।
  • ऐसी इमारत में रहते हैं जहां चूहे अधिक हों।
  • संक्रमित पशुओं के नजदीक रहते हैं या उनके कत्लखाने में काम करते हैं। 
  • किसी ऐसे क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं, जहां पर विशेष वायरल फीवर प्रचलित हो। (और पढ़ें - यात्रा करते समय किन दवाओं को साथ रखना चाहिए)
  • ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पर वायरल फीवर के वायरस से अक्सर संक्रमण फैलता रहता हो। 

शिशु, बच्चे और वृद्ध व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, इसलिए उनमें वायरल फीवर होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

वायरल बुखार से बचाव - Prevention of Viral Fever in Hindi

वायरल फीवर की रोकथाम कैसे करें?

एंटी-वायरल दवाएं संक्रमण फैलाने वाले वायरसों को नष्ट नहीं कर सकती, वे सिर्फ उनके बढ़ते विकास को रोक सकती हैं। यहीं कारण है कि जब बात वायरल बुखार की आती है, तो उपचार से ज्यादा बेहतर बचाव को समझा जाता है।

रोकथाम हमेशा उपचार से ज्यादा बेहतर होती है। वायरल बुखार जैसे हानिकारक संक्रमणों को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। कुछ सामान्य कदम जिनका पालन करके आप इन रोगों को दूर रख सकते है, जैसे -

  • भीड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना।
  • बारिश में भीगने से बचना।
  • खाना खाने से पहले अपने हाथ धोना।
  • कपड़े या जूते जो गीले या नम हैं, उनको सूखे कपड़ों व जूतों से दूर रखना चाहिए।
  • बाहर का भोजन ना खाना जितना संभव हो सके घर का पका भोजन ही करना
  • उबला हुआ साफ पानी या प्यूरीफायर का पानी पीना।
  • प्रति दिन तौलिया बदलते रहना
  • अपने हाथों को अच्छे से धोए बिना मुंह या नाक को ना छुएं। जब आपको जुकाम हो गया हो, तो भीड़ वाले स्थानों पर न जाएं और जब आप छींकते, खांसते या जम्हाई लेते हैं तो अपने मुंह को साफ रूमाल या कपड़े से ढ़क लें। यह सिर्फ रोग को फैलने ही नहीं देता, बल्कि आपको अन्य रोगों से भी बचाता है।

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सभी स्टेप्स जो ऊपर बताए गए हैं, वायरल फीवर होने पर उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • इसके अलावा, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी एक अच्छा विचार हो सकता है। आपको रोजाना कठोर एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप रोज सुबह 20 मिनट के लिए चल सकते हैं। सुबह 20 मिनट चलने से आपके शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति हो जाती है, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है और वायरल फीवर व वायरल इन्फेक्शन की रोकथाम करती है। (और पढ़ें - एक्सरसाइज करने का सही टाइम)
  • नींद पूरी ना होना (अपर्याप्त नींद) भी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जुड़ी होती हैं, इनमें प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना भी शामिल होता है। इसलिए रोजाना सात से आठ घंटे सोएं और अपनी नींद के शेड्यूल का रोजाना ठीक ढंग से पालन करें।
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति बढ़ाना ही वायरल फीवर की रोकथाम करने का एकमात्र मुख्य तरीका माना जाता है, क्योंकि मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली ही संक्रमण के वायरस से लड़ सकती है। यह वायरल फीवर की रोकथाम करने का सबसे अच्छा तरीका है, इसलिए संतुलित भोजन करें, पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं, रोजाना एक्सरसाइज करें और रात के समय अच्छी नींद लेने की कोशिश करें। (और पढ़ें - अच्छी नींद लेने का उपाय)
  • आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली विशेष रूप से पोषक तत्वों की कमी होने के कारण कमजोर हो सकती है। संक्रमण की रोकथाम करने में जिंक और विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित कर लें की आपके आहार में पोषक तत्व शामिल है। हर घंटे एक गिलास पानी पीने की आदत डालें, दिनभर में हर घंटे एक-एक गिलास पानी पीते रहें। (और पढ़ें - पानी पीने के फायदे)

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

वायरल बुखार का परीक्षण - Viral bukhar ke liye test

वायरल बुखार का परीक्षण कैसे किया जाता है?

वायरल फीवर का मूल्यांकन करने के लिए डॉक्टर को निम्न की जरूरत पड़ती है:

  • आपके लक्षणों और पिछली मेडिकल स्थिति से जुड़े सवाल पूछना।
  • आपका शारीरिक परीक्षण करना।
  • पिछली मेडिकल जानकारी और शारीरिक परीक्षण के परीणाम के आधार पर आवश्यकता पड़ने पर खून टेस्ट या छाती का एक्स रे आदि करना।
  • चूंकि वायरल फीवर के लक्षण कई रोगों के लिए आम होते हैं, इसलिए बुखार के विशिष्ट रूप का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। डॉक्टर आपको खून टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं, ताकि जांच की पुष्टी की जा सके और अन्य बीमारियों की संभावनाओं का पता लगाया जा सके, जिनमें निम्न शामिल है:
  • बैक्टीरिया या वायरस में से किस कारण बुखार हो रहा है, यह जानने के लिए सीबीसी (कम्पलीट ब्लड काउंट) टेस्ट किया जाता है। हालांकि, यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि एक ब्लड टेस्ट वायरस का पता नहीं लगाता। अगर आपको लगातार कई दिनों से बुखार है और टेस्ट में कोई बैक्टीरिया ना मिले तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपको वायरल फीवर है।

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वायरल फीवर का इलाज - Viral bukhar ka ilaj

वायरल बुखार का इलाज कैसे किया जाता है?

  • जब आपको बुखार होता है तो आपके लिए डॉक्टर एनलजेसिक (Analgesic) और एंटीपाइरेटिक (Antipyretic) दवाएं लिखते हैं।
    • एंटीपाइरेटिक दवाएं – यदि आपको शरीर का बढ़ा हुआ तापमान और सिर्फ बुखार के ही लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको एंटीपाइरेटिक दवाएं लेने का सुझाव दिया जा सकता है। इन दवाओं में इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन, केटप्रोफेन आदि शामिल हैं।
    • एनलजेसिक दवाएंजोड़ों में दर्द और सिरदर्द आदि जैसे लक्षण महसूस होने वाले मामलों में आपके लिए एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) के साथ एनलजेसिक दवाएं (दर्द निवारक) लिखी जाती हैं।
  • दवाओं के अलावा आपको तरल पदार्थों के सेवन को बढ़ाने और पूर्ण रूप से बेड रेस्ट करने की आवश्यकता होती है।
  • शरीर को ठीक होने की जरूरत होती है, इसलिए यदि आप बहुत अधिक शारीरिक क्रियाएं कर रहें हैं तो शरीर के ठीक होने की गति कम हो जाती है।
  • सिर्फ गंभीर मामलों में ही शक्तिशाली एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जाता है।
  • दवाओं के अलावा कुछ ऐसे आहार के बदलाव भी हैं, जो ठीक होने की प्रक्रिया को बढ़ा देते हैं। अधिक मसाले वाले व वसायुक्त पदार्थों का सेवन करने से बचें क्योंकि वायरल फीवर में पाचन प्रणाली कमजोर हो जाती है। ऐसे खाद्य पदार्थों को भी ना खाएं जो पेट संबंधी विकारों का कारण बनते हैं, जैसे दस्तएसिडिटी
  • अपने आहार को गर्म सूप व फलों के जूस तक ही सीमित रखने की कोशिश करें। इसके अलावा आपको निर्जलीकरण से सावधान रहना चाहिए क्योंकि वायरल फीवर के दौरान शरीर तरल पदार्थों को खोने लगता है। एेसे में खूब मात्रा में पानी पीएं और फलों के रस का सेवन करें।

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)

प्राकृतिक उपाय:

वायरल फीवर के लक्षणों से निपटने के लिए आप निम्न में से किसी भी घरेलू उपचार का प्रयोग कर सकते हैं। 

दालचीनी - वायरल फीवर के लिए दालचीनी को अच्छी औषधि माना जाता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है, जो खांसी, जुकाम और गले में दर्द को ठीक करने में मदद करती है। यहां तक की अगर आपको थोड़ा सा भी शक है कि आपको वायरल फीवर है तो आप इसे अकेले या अन्य प्राकृतिक उत्पादों के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। यह वायरल फीवर की रोकने में भी मदद करती है।

  • कैसे इस्तेमाल करें - एक कप पानी में एक छोटा चम्मच (टीस्पून) दालचीनी पाउडर और दो इलायची डाल लें और इसको 5 मिनट तक उबालें। इसे छानकर पीने लायक गर्म रहने पर पी लें।

धनिया के बीज - धनिया के बीज वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति बढ़ा सकते हैं। इसमें विटामिन और एंटीबायोटिक के तत्व पाए जाते हैं। धनिया में पाया जाने वाला वाष्पशील तेल प्रभावी रूप से वायरल फीवर के साथ निपटता है।

  • कैसे इस्तेमाल करें - धनिया के बीज को इस्तेमाल करने का सबसे बेहतर तरीका होता है उन्हें उबाल लें। एक गिलास पानी में एक छोटी चम्मच धनिया के बीज डालें और इसे उबाल लें, उसे इतना इतना ठंडा होने दे जिसे आप आसानी से पी सकें और इसे छान लें। वायरल फीवर के लक्षणों से निपटने के लिए इस धनिया के पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।

डिल के बीज - डिल के बीज स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ प्रदान करते हैं। ये सिर्फ प्रतिरक्षा प्रणाली में ही सुधार नहीं करते साथ ही शरीर के तापमान को भी कम करने में मदद करते हैं और शरीर को आराम प्रदान करते हैं।

  • कैसे इस्तेमाल करें - एक छोटा चम्मच डिल के बीज और एक छोटा चम्मच दालचीनी को एक कप पानी में डालें और इसको 5 मिनट तक उबालें। इसके बाद इसे छान लें और गर्मा -गरम सेवन करें।

अदरक - अदरक में जर्म-फाइटिंग फाइटोकेमिकल अजेन होते हैं यह ऊपरी श्वसन के वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के लिए अच्छी औषधि है। अदरक को अकेले या नींबू और/या शहद के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • कैसे इस्तेमाल करें - अदरक का एक इंच का टुकड़ा छील लें और इसको एक गिलास पानी में पीस कर डाल लें। पानी को 10 मिनट तक उबाल लें। इसके बाद इसे छान लें और आधे नींबू का रस मिला लें और इसका गर्मागरम सेवन करें। अगर आपको पसंद हो तो आप इसमें एक छोटी चम्मच शहद की भी मिला सकते हैं। अदरक के टुकड़े की जगह आप एक चम्मच अदरक के पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। वायरल फीवर से छुटकारा पाने के लिए मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाकर भी उसे चाट सकते हैं।

(और पढ़ें - अदरक की चाय के फायदे)

किशमिश - वायरल बुखार से निपटने के लिए किशमिश अच्छा घरेलू उपाय है।

  • कैसे इस्तेमाल करें - एक कप पानी में दो छोटी चम्मच किशमिश डालें और उन्हें फुलने दें। 30 मिनट के बाद उन्हें पानी में ही पीस लें और फिर उसे छान लें, उसमें आधे नींबू का रस मिलाएं और पी लें।

वायरल बुखार की जटिलताएं - Viral Fever Complications in Hindi

वायरल फीवर में क्या समस्याएं हो सकती है?

आमतौर पर वायरल फीवर एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर ठीक हो जाता है। हालांकि, वायरल फीवर के गंभीर मामलों में निम्न जटिलताएं पैदा हो जाती हैं -

वायरल फीवर से अंदरुनी अंगों, त्वचा, आंखों या कान आदि से खून बहने की समस्याएं भी हो सकती हैं। अगर समय पर इसका उपचार ना कराया जाए तो यह मरीज के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

(और पढ़ें - किडनी खराब करने वाली आदत)



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Fever
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Flu Symptoms & Complications
  3. InformedHealth.org [Internet]. Cologne, Germany: Institute for Quality and Efficiency in Health Care (IQWiG); 2006-. Fever in children: Overview. 2013 Dec 18 [Updated 2016 Nov 17].
  4. healthdirect Australia. Differences between bacterial and viral infection. Australian government: Department of Health
  5. A Sahib Mehdi El-Radhi. Fever management: Evidence vs current practice . World J Clin Pediatr. 2012 Dec 8; 1(4): 29–33. PMID: 25254165

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