सफेद दाग धब्बे क्या होते हैं?
सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा (Leucoderma) या विटिलिगो (Vitiligo) के नाम से भी जाना जाता है।
विटिलिगो एक ऐसा विकार होता है, जिससे शरीर के विभिन्न भागों की त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि त्वचा में वर्णक (रंग) बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, इन कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स (Melanocytes) कहा जाता है। सफेद दाग रोग श्लेष्मा झिल्ली (मुंह और नाक के अंदर के ऊतक) और आंखों को भी प्रभावित करते हैं।
सफेद धब्बे के संकेत और लक्षण में त्वचा का रंग खराब हो जाना या सफेद हो जाना, शरीर के किसी भी भाग की त्वचा पर दाग पड़ जाना आदि शामिल है।
ये सफेद दाग शरीर में सिर्फ एक भाग पर भी हो सकते हैं या कई भागों में अलग-अलग फैल सकते हैं। इसके ठोस कारण के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्व: प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग से लड़ने की प्रणाली) की एक नुकसानदायक स्थिति होती है। उनके अनुसार शरीर पर सफेद धब्बे तब होते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
सफेद दाग संबंधी रोग में अनुवांशिकी (वंशानुगत) घटक भी होते हैं, जो एक परिवार में एक व्यक्ति से दूसरों में भी फैल सकते हैं। सफेद दाग कई बार अन्य चिकित्सा स्थितियों से भी जुड़े होते हैं, जिसमें थायरॉयड रोग भी शामिल है। इस बात को निर्धारित नहीं किया जा सकता कि सफेद दाग एक ही जगह पर रहेंगे या अन्य भागों में भी फैल जाएंगे।
सफेद दाग कोई दर्दनाक बीमारी या रोग नहीं है और ना ही इसके स्वास्थ्य से जुड़े कोई अन्य दुष्प्रभाव हैं। हालांकि, इसके भावनात्मक और मनोवैज्ञानिकी परिणाम हो सकते हैं।
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कई चिकित्सा उपचार इसकी कठोरता को कम तो कर सकते हैं, मगर इसका इलाज करना काफी कठिन है। सफेद दागों के रोकथाम के लिए अभी तक कोई सटीक तरीका नहीं मिल पाया है। ऐसा कोई घरेलू नुस्खा भी नहीं, है जिससे इसका उपचार या रोकथाम की जा सके, लेकिन प्रभावित त्वचा पर सनस्क्रीन - मेकअप का प्रयोग या डाई आदि का प्रयोग करके दिखावट में सुधार किया जा सकता है।
विटिलिगो (Vitiligo) से ग्रसित लोगों में ज्यादतर लोग 40 साल की उम्र से पहले इस बीमारी से ग्रसित हो चुके होते हैं और इनकी आधी संख्या के करीब लोग 20 साल की उम्र से पहले विटिलिगो का शिकार बन जाते हैं।
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