जेरोडर्मा पिगमेंटोसम - Xeroderma Pigmentosum in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 11, 2020

January 21, 2021

जेरोडर्मा पिगमेंटोसम
जेरोडर्मा पिगमेंटोसम

जेरोडर्मा पिगमेंटोसम (एक्सपी) एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है, जिसके आठ उपप्रकार हैं। एक्सपी दुनियाभर में प्रत्येक 2,50,000 लोगों में से एक को प्रभावित करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में, हर दस लाख लोगों में से एक व्यक्ति को एक्सपी की समस्या है।

यह स्थिति संयुक्त राज्य अमेरिका या यूरोप की तुलना में जापान, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में अधिक आम है। आमतौर पर इसका निदान शैशवावस्था या बचपन की शुरुआत में किया जाता है। हालांकि, इसका निदान जन्म से पहले भी हो सकता है। वयस्क होते-होते इसका निदान मुश्किल हो जाता है।

एक्सपी से ग्रस्त लोग यूवी लाइट (फोटोसेंसिटिविटी) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जिसकी वजह से धूप में बाहर निकलना असंभव हो जाता है। कुछ लोगों में बौद्धिक अक्षमता, विकासात्मक देरी या सुनने में परेशानी जैसी कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियां भी हो सकती हैं। कुछ मामलों में आंखों से जुड़ी परेशानियां भी होती हैं।

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जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के लक्षण - Xeroderma Pigmentosum Symptoms in Hindi

जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के लक्षण आमतौर पर बचपन के दौरान या जन्म के बाद शुरुआती तीन वर्षों में दिखाई देने लगते हैं।

(1) त्वचा

इस रोग से ग्रस्त शिशुओं और बच्चों में आमतौर पर सूरज के संपर्क में आने से जिन हिस्सों में चकत्ते पड़ते हैं उनमें शामिल हैं :

  • चेहरा
  • गर्दन
  • भुजाएं
  • पैर

(2) देखने और सुनने की क्षमता

एक्सपी से ग्रस्त लोग अक्सर आंखों को प्रभावित करने वाले लक्षणों का अनुभव करते हैं। इसमें शामिल हैं :

  • रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
  • पलकें, जो असामान्य रूप से अंदर या बाहर की ओर मुड़ने लगती हैं
  • धुुंधला दिखना
  • आंसू सामान्य से ज्यादा निकलना
  • लीशन की वजह से अंधापन। लीशन ऊतक का वह हिस्सा है, जो चोट या बीमारी की वजह से खराब हो जाता है

कुछ लोगों में सुनने से संबंधित समस्या हो सकती है। यह स्थिति धीरे-धीरे लगातार खराब होती जाती है, जिससे पूरी तरह से सुनना बंद हो सकता है।

(3) न्यूरोलॉजिकल

कुछ प्रकार के एक्सपी जैसे कि जैसे 'डी सैंक्टिस-कैकियोन सिंड्रोम' ड्वॉर्फिजम, मेंटल डेफिशिएंसी, हाइपोगोनाडिज्म और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जुड़ा हो सकता है।
डी सैंक्टिस-कैकियोन सिंड्रोम के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :

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जेरोडर्मा पिगमेंटोसम का कारण - Xeroderma Pigmentosum Causes in Hindi

सामान्य कोशिकाएं आमतौर पर डीएनए को हुए नुकसान को ठीक करने में सक्षम होती हैं, लेकिन जेरोडर्मा पिगमेंटोसम में ऐसे जीन में उत्परिवर्तन या गड़बड़ी हो जाती है, जिसमें क्षतिग्रस्त डीएनए को ठीक करने की क्षमता होती है। बता दें, डीएन सूरज की यूवी किरणों और सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले जहरीले रसायनों से खराब हो सकते हैं। जेरोडर्मा पिगमेंटोसम वाले लोगों में, डीएनए को जब नुकसान पहुंचता है, तो यह सामान्य तरीके से ठीक नहीं होता है, जिस वजह से डीएनए में अन्य तरह की समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है। कोशिकाओं में खराबी होने से कैंसर या मृत्यु भी हो सकती है।

यह ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न में अगली पीढ़ी में पारित होता है, जिसका मतलब है कि प्रभावित बच्चे या व्यक्ति को उसके माता-पिता दोनों से जीन की खराब प्रतियां मिली हैं।

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जेरोडर्मा पिगमेंटोसम का इलाज - Xeroderma Pigmentosum Treatment in Hindi

इस स्थिति में निदान के बाद, नियमित रूप से जांच कराते रहना जरूरी होता है। यह स्किन कैंसर के जोखिम और सर्जरी की आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकता है।

एक्सपी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है। एक्सपी के रोकथाम के लिए सूरज के संपर्क में न आना व अन्य यूवी लाइट्स स्रोतों से बचना जरूरी है। इसका मतलब यह है कि बाहर जाते समय सनस्क्रीन का उपयोग करें और शरीर के हर हिस्से को कवर करें।

घर के अंदर, खिड़की के पास न बैठै और जो वस्तुएं यूवी लाइट्स फैलाती हैं उनसे दूर रहें। उदाहरण के लिए, हलोजन लैंप बहुत ज्यादा मात्रा में यूवी लाइट्स का उत्सर्जन करता है। यदि खिड़की के पास बैठने की सोच रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि खिड़की पर 'विंडो प्रोटेक्शन फिल्म' लगी हो ताकि सीधे यूवी लाइट्स आप पर न पड़े।