गर्भावस्था में पर्याप्त वज़न बढ़ना इस बात का संकेत है कि आप बच्चे की आवश्यकतानुसार पर्याप्त खाना खा रही हैं। गर्भवती होने से पहले आपका जो वजन था उसके आधार पर, सामान्यतः 11 से 15 किलोग्राम के बीच ही वज़न बढ़ना चाहिए।

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पहली तिमाही के दौरान, जब "मॉर्निंग सिकनेस" बहुत अधिक होती है तब केवल एक से दो किलो वज़न बढ़ना (या कभी-कभी वजन कम होना) आम है। इस समय भ्रूण इतना छोटा होता है कि उसे बहुत अधिक पोषण की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए जैसे ही आप प्रीनेटल विटामिन लेना शुरु करती हैं भूण की सभी आवश्यकतायें उसी से पूरी होने लगती हैं। पहली तिमाही के बाद हर हफ्ते लगभग 500 ग्राम वज़न बढ़ता है। यदि आपकी भूख दूसरी तिमाही में भी नहीं बढ़ी है या यदि तीसरी तिमाही में आपका अनुमानित वजन नहीं बढ़ रहा है, तो प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर महिलाएं कुछ तरीकों से अपनी इस समस्या का समाधान कर लेती हैं।

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इस लेख में प्रेगनेंसी में भूख न लगने के कारण और उपाय बताये गए हैं जो आपकी इस स्थिति में ज़रूर मदद करेंगे -

  1. पहली तिमाही में भूख न लगने के कारण - Loss of appetite during first trimester in Hindi
  2. दूसरी तिमाही में भूख न लगने के कारण - Loss of appetite during second trimester in Hindi
  3. तीसरी तिमाही में भूख न लगने के कारण - Loss of appetite during third trimester in Hindi
  4. सारांश

गर्भावस्था में भूख में कमी अक्सर मतली और उल्टी के साथ ही होती है, जिससे 70 से 85 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं प्रभावित होती हैं। मॉर्निंग सिकनेस, संभावित रूप से हानिकारक खाद्य पदार्थों से भ्रूण की रक्षा करने के लिए आपके शरीर की गतिविधि होती है।

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हार्मोनों का बढ़ता स्तर (एस्ट्रोजन और गर्भावस्था हार्मोन एचसीजी - HCG - सहित) भी मतली और खाने के प्रति आपकी संवेदनशीलता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनकी वजह से आपके मुँह का स्वाद भी खराब हो जाता है।

उपाय:

  1. पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें। दिनभर में आठ गिलास तरल पदार्थ (पानी या नींबू पानी या अदरक की चाय) पीने का लक्ष्य बनाएं।
  2. बहुत अधिक न खाएं। दिन में तीन समय बहुत अधिक भोजन के बजाय, दिन में छः बार में थोड़ी थोड़ी मात्रा में खाएं।
  3. हल्का खाएं। अधिक से अधिक प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें जो आपकी ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं और पेट भरने का एहसास कराते हैं। केले खाएं। कैल्शियम और प्रोटीन के लिए दही का भी सेवन करें।
  4. तेज़ महक वाले पदार्थों का सेवन न करें। क्योंकि इनमें मसालेदार और फैटी खाद्य पदार्थ मौजूद होते हैं।
  5. जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उन्हें गर्म भोजन और पेय की बजाय ठंडा ज्यादा पसंद आता है बेशक, कुछ को गर्म भी पसंद होता है। लेकिन ऐसा कम ही होता है।
  6. प्रीनेटल विटामिन लें और रोज़ाना अपने दांतों की सफाई करें। आदर्श रूप से, गर्भधारण के कम से कम एक महीने पहले विटामिन लेना शुरू कर दें।
  7. मतली आदि से निपटने के लिए, डॉक्टर की मदद लें।

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कई महिलाओं के लिए यह गर्भावस्था का सबसे सुनहरा समय होता है क्योंकि इस समय आपका पेट तरबूज की तरह दिखाई नहीं देता, और कई महिलाओं की भूख भी वापस आ जाती है। इस समय वास्तव में दोगुनी भूख महसूस हो सकती है। अंततः इस दिनों भूख ज्यादा लगती है।

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उपाय:
इस तिमाही में अपनी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कैल्शियम (1,000 मिलीग्राम प्रति दिन), प्रोटीन (75 मिलीग्राम प्रतिदिन), फोलेट (जो उच्च-फाइबर वाले खाद्य पदार्थ जैसे फलियां और हरी पत्तेदार सब्ज़ियों से मिल सकता है लेकिन कुछ समय बाद इसकी वजह से कब्ज की शिकायत हो सकती है) और ओमेगा 3 समृद्ध खाद्य पदार्थ जैसे मछलियां (जो शिशु की ब्रेन पावर बढ़ाते हैं) आदि का सेवन करें।

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अगर आपको अभी भी सुस्त या बीमार सा महसूस हो रहा हो तो आप पहली तिमाही के अनुसार ही खूब सारा पानी पिएं, थोड़ी थोड़ी मात्रा में खाना खाएं, तेज़ महक वाले स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, प्रीनेटल विटामिन का सेवन ज़रूर करें ताकि आपको और आपके बच्चे को सभी पोषक तत्व मिल सकें।

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गर्भावस्था के अंतिम महीनों के दौरान, मतली का अनुभव होना बंद हो जाता है और आपका पेट दिन पर दिन बढ़ने लगता है। आपकी भूख पूरी तरह से वापस आ चुकी होती है, लेकिन सिर्फ कुछ कौर खाने पर आपको पेट भरे होने का अनुभव होने लगता है। गर्भाशय, पेट के साथ-साथ बाकी अंगों के लिए थोड़ी सी जगह छोड़ देता है। इस विस्थापन के कारण सीने में जलन (Heartburn) की शिकायत शुरु हो जाती है। हार्मोनों के कारण होने वाली कब्ज़ की समस्या से चीजें धीमी हो सकती हैं अर्थात आपको फिर से पेट भरा भरा महसूस होगा। जबकि तीसरी तिमाही में पहली तिमाही की तुलना में भूख की दिक्कत कम अनुभव होती है। इस वजह से इस तिमाही में भी आपके आहार और पोषण का इंतज़ाम करना महत्वपूर्ण होता है।

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उपाय:

  1. पहले बारह हफ्तों के दौरान जिस प्रकार आप थोड़ी थोड़ी मात्रा में खाती थीं ठेके उसी प्रकार पूरे दिन में थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार भोजन करें। अंततः आपको अपना पेट पर्याप्त पोषण पदार्थों द्वारा भरना है। विशेष रूप से अब जब आपकी मतली की समस्या समाप्त हो गई है, तो केवल कैलोरी युक्त भोजन के अलावा सभी खाद्य पदार्थ खाएं। पनीर, दही और फलों वाले सलाद के के साथ साथ नया पोषक तत्व भी अपने भोजन में शामिल करें।
  2. फाइबर खायें। खूब सारे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाने की कोशिश करें। पत्तेदार साग, चोकरयुक्त अनाज की रोटी, एवोकाडो, शतावरी और सूरजमुखी के बीज आदि कब्ज को कम करने और सभी प्रणालियों को सही रखने के लिए लाभदायक हैं।

पहली तिमाही की ही भांति, खूब सारे तरल पदार्थ पिएं और प्रीनेटल विटामिन लेती रहें। आमतौर आपको एक सूची बना लेनी चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं।

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प्रेगनेंसी में भूख न लगने के कई कारण हो सकते हैं। हार्मोनल परिवर्तन, जैसे कि प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ना, भूख में कमी का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा, गर्भवती महिला की जी मिचलाना, उल्टी, और थकावट भी भूख को प्रभावित कर सकते हैं। पेट की बढ़ती हुई दबाव और पाचन तंत्र में बदलाव के कारण भी भूख में कमी हो सकती है। मानसिक तनाव और चिंता भी भूख कम करने में योगदान दे सकते हैं। इस स्थिति को संभालने के लिए, छोटे-छोटे भोजन खाएं, हेल्दी स्नैक्स का सेवन करें, और भोजन के समय को नियमित रखें। डॉक्टर से परामर्श करने से भी सही दिशा-निर्देश प्राप्त किए जा सकते हैं।

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