गर्भधारण का संकेत मिलना हर महिला के लिए सबसे सुनहरा पल होता है. ऐसे में वो खुशी से झूम उठती है. मानो उन्हें सारी खुशियां एक ही पल में मिल गई हों, लेकिन जब बिना प्लानिंग के प्रेगनेंसी होती, तो इससे महिला तनाव में आ जाती है. एक अनियोजित गर्भावस्था काफी चौंकाने वाली हो सकती है. ऐसे में घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि अनचाही गर्भावस्था असामान्य नहीं है. अधिकतर महिलाओं को इसका सामना करना पड़ता है. ऐसे में महिला के पास दो विकल्प बचते हैं या तो वो प्रेगनेंसी को जारी रखे या फिर गर्भपात कराए. आज इस लेख में हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि अनजाने में गर्भवती हो जाने पर क्या करना चाहिए -
(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण)
- बिना प्लानिंग प्रेग्नेंट होने पर क्या करें?
- प्रेग्नेंसी जारी रखने पर रखें इन बातों का ध्यान
- प्रेग्नेंसी न रखने पर क्या करें?
- सारांश
बिना प्लानिंग प्रेग्नेंट होने पर क्या करें?
अगर महिला गर्भवती हो जाती है और वह अभी संतान नहीं चाहती है, तो इस अनचाही गर्भावस्था की स्थिति में महिलाओं के पास दो विकल्प हो सकते हैं.
- पहला है गर्भावस्था को जारी रखना और माता-पिता बनना. खुद की पूरी देखभाल करना और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना.
- दूसरा है डॉक्टर की सलाह पर गर्भावस्था को समाप्त करना यानी गर्भपात या अबॉर्शन करवाना.
आगे लेख में हम इन्हीं दो पहलुओं के आधार पर आपके साथ जानकारी साझा करेंगे.
(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?)
प्रेग्नेंसी जारी रखने पर रखें इन बातों का ध्यान
अगर महिला की कोई मजबूरी नहीं है और वह बच्चे का अच्छे से पालन-पोषण कर सकती है, साथ ही उसे कोई शारीरिक समस्या भी नहीं है, तो बच्चे को जन्म देना बेहतर विकल्प हो सकता है. अनचाही प्रेगनेंसी के बाद भी अगर महिला गर्भावस्था को जारी रखना चाहती हैं, तो गर्भावस्था के दौरान उन्हें खुद की देखभाल करना शुरू कर देनी चाहिए. गर्भावस्था पीरियड में देखभाल महिला और होने वाले शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है. ऐसे में निम्न बातों पर जरूर ध्यान दें -
- प्रसव यानी डिलीवरी से पहले विटामिन युक्त डाइट व सप्लीमेंट लेना शुरू कर सकती हैं, जिसमें 400 एमसीजी फोलिक एसिड होना जरूरी है. फोलिक एसिड शिशुओं के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की समस्या के जोखिम को कम करता है.
- शराब, सिगरेट या नशीली दवाओं का सेवन करना तुरंत बंद कर दें. ये महिला और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
- गर्भावस्था के दौरान खुद का पूरा ध्यान रखें. इस समय तनाव या उदासी को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह लें. ऊर्जा को बनाए रखने के लिए हेल्दी डाइट लें और ढेर सारा पानी पिएं. कच्चा मांस, टूना फिश व स्वोर्ड फिश सहित उच्च समुद्री भोजन खाने से बचें.
(और पढ़ें - गर्भावस्था की पहली तिमाही में देखभाल)
प्रेग्नेंसी न रखने पर क्या करें?
अधिकांश गर्भपात पहली तिमाही या गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह के दौरान किए जा सकते हैं. गलती से प्रेग्नेंट होने पर सबसे पहले प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें. अगर आप बच्चे को रखने की प्लानिंग नहीं बना रही हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर गर्भपात का विकल्प चुन सकती हैं. गर्भपात से गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है. इस दौरान महिलाओं को कई शारीरिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है. अबॉर्शन सर्जिकल या दवाओं के जरिए किया जाता है, जो इस प्रकार है -
सर्जिकल गर्भपात
सर्जिकल गर्भपात के दौरान डॉक्टर भ्रूण और प्लेसेंटा को हटाने के लिए सेक्शन का उपयोग करते हैं. प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में सर्जिकल गर्भपात किया जा सकता है.
(और पढ़ें - गर्भपात के बाद जरूरी देखभाल)
दवाई से गर्भपात
दवाइयों के जरिए भी गर्भपात करवाया जा सकता है. गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए दो गोलियों- मिफेप्रिस्टोन (मिफेप्रेक्स) और मिसोप्रोस्टल (साइटोटेक) का उपयोग किया जाता है. गर्भपात की गोलियों का उपयोग गर्भावस्था के 10वें सप्ताह तक किया जा सकता है. मिफेप्रेक्स हार्मोन प्रोजेस्टेरोन को ब्लॉक करने के काम करता है. इस हार्मोन के बिना भ्रूण गर्भाशय में विकसित नहीं हो सकता है. मिफेप्रेक्स के कुछ घंटे या चार दिन बाद तक साइटोटेक को लिया जा सकता है.
- गर्भपात 9वें सप्ताह से पहले ही किया जाना चाहिए, अधिक समय बाद गर्भपात करने से महिलाओं को भविष्य में कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
- गर्भपात के लिए दवाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, निजी क्लीनिकों और अस्पतालों से मिल सकती है.
(और पढ़ें - गर्भपात की गोली)
सारांश
अगर अनचाहे गर्भधारण के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो जल्द से जल्द इसकी पुष्टि करें, क्योंकि जितनी जल्दी गर्भधारण की पुष्टि होगी, उतनी ही जल्दी महिला आगे के लिए सही निर्णय ले पाएगी. प्रेगनेंसी को जारी रखना है या फिर अबॉशर्न, यह पूरी तरह से एक महिला पर निर्भर करता है. फिर भी दोनों ही स्थितियों में डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर लेनी चाहिए. सही निर्णय हमेशा अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही लें.
(और पढ़ें - गर्भपात के बाद कमजोरी दूर करने के उपाय)
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