आपकी गर्भावस्था के सातवें हफ्ते तक आपके और आपके बच्चे में बहुत सारे परिवर्तन हो रहे होते हैं। इस समय आप अपनी पहली तिमाही के मध्य में होती हैं। यदि आपने इस समय तक किसी प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क नहीं किया है तो इस सप्ताह में ये काम ज़रूर कर लें। क्योंकि इस समय से कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण और चेक अप आपको बच्चे के जन्म तक करवाने जरूरी होंगे। जिनके बारे में प्रसूति विशेषज्ञ (Gynaecologist) आपको सलाह देंगे।
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- सातवें हफ्ते की गर्भावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव - Body changes in 7th week of pregnancy in Hindi
- सातवें हफ्ते की गर्भावस्था में भ्रूण का विकास - Baby development in 7th week of pregnancy in Hindi
- सातवें हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound of 7th week pregnancy in Hindi
- सातवें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Tips for 7th week of pregnancy in Hindi
- प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते का डाइट प्लान - Diet plan for 7 week pregnancy in Hindi
सातवें हफ्ते की गर्भावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव - Body changes in 7th week of pregnancy in Hindi
इस हफ्ते भी आपको देखकर कोई शायद ही पहचान पाए कि आप गर्भवती हैं लेकिन आपको सूजन महसूस हो सकती है। कुछ महिलाओं के निचले पेट में थोड़ी सी सूजन दिखाना शुरू हो जाती है।
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यदि आप जींस पहनती हैं तो इस सप्ताह से आपकी पसंदीदा जींस आपको फिट नहीं होगी या अन्य कपड़ों का साइज बढ़ जायेगा। या अगर यूं कहा जाये कि सातवां सप्ताह दूसरे कपड़ों का चुनाव करने और पहनने का समय होता है तो गलत नहीं होगा।
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इस समय आप गर्भावस्था के लक्षणों जैसे, दर्द, थकान, मॉर्निंग सिकनेस, स्तनों में असहजता, और खाने के प्रति लालसा बढ़ना (मीठा या खट्टा) आदि का अनुभव करेंगी। इस दौरान आपका मन एक विशिष्ट प्रकार का भोजन करने का करता है जैसे कुछ महिलाओं को मीठा खाना अधिक अच्छा लगता है कुछ को खट्टा तो कुछ को नमकीन।
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यह सामान्य प्रक्रिया है और एक हद तक आपके बच्चे के लिए स्वस्थकर भी है। सातवें सप्ताह के दौरान आपके शरीर में म्यूकस प्लग (Mucus plug - यह गर्भाशय में बैक्टीरिया के प्रवेश को रोककर भ्रूण की रक्षा करता है) का विकास होता है।
गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) एक प्लग का निर्माण करती है जो गर्भाशय ग्रीवा के छिद्र को बंद करके गर्भाशय की सुरक्षा करता है। जब प्रसव का समय निकट आता है यह प्लग अपने आप निकल जाता है।
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सातवें हफ्ते की गर्भावस्था में भ्रूण का विकास - Baby development in 7th week of pregnancy in Hindi
आपका बच्चा सातवें सप्ताह में तेजी से विकास कर रहा होता है, और ब्लूबेरी के आकार का या लंबाई में 13 मिमी का होता है। इस समय तक चेहरा साफ़ दिखाई देने लगता है अर्थात मुंह, दांतों और जीभ का निर्माण होने लगता है।
आंखें भी बनने लगती हैं और इसमें रेटिना और लेंस भी बन जाते हैं। इस सप्ताह के दौरान बच्चे का स्वयं का ब्लड ग्रुप भी बन जाता है। मांसपेशियों, हड्डियों और अंगों में विकास तो होता ही है साथ ही आंतें और अपेंडिक्स भी पूरी तरह से बन जाती हैं।
लिवर से लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शुरू हो जाता है। आपके बच्चे के पैर और हाथों की उंगलियां, अल्ट्रासाउंड में दिखाई देती हैं।
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सातवें हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound of 7th week pregnancy in Hindi
पहली तिमाही के इस सप्ताह में आप अल्ट्रासाउंड में देख पाएंगी कि आपका बच्चा जेस्टेशनल सैक (Gestational sac) के भीतर एक बुलबुले में विकसित हो रहा है। भ्रूण के चारों ओर ये बुलबुला ही एमनियोटिक थैली है जिसमें एमनियोटिक द्रव होता है। यह तरल वातावरण आपके बच्चे को विकास करने और हिलने डुलने में मदद करता है। यह एम्नियोटिक द्रव आपके बच्चे की, मां पेट पर पड़ने वाले बाहरी दबावों से रक्षा करता है। अल्ट्रासाउंड में दिखने वाला सिर के अंदर का काला क्षेत्र विकसित होने वाली तंत्रिका ट्यूब का हिस्सा है।
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सातवें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Tips for 7th week of pregnancy in Hindi
अपने चिकित्सक से संपर्क करें और यदि आपने अभी तक कोई डॉक्टर सुनिश्चित नहीं किया है तो अब ज़रूर से कर लें। क्योंकि वही आपको प्रेगनेंसी के लिए सही भोजन, दवाओं और पोषक तत्वों की सलाह दे सकते हैं। अब आपको फोलिक एसिड के साथ विटामिन, दवाओं के रूप में लेने की आवश्यकता भी पड़ने लगेगी।
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इस सप्ताह से आप जो भी खाती हैं उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ता है। अब आपको घर-परिवार के लोग सलाह देने लगेंगे कि ये खाओ और ये मत खाओ आदि। इस सम्बन्ध में आप अपनी मां की सलाह लें।
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प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते का डाइट प्लान - Diet plan for 7 week pregnancy in Hindi
प्रेगनेंसी का सातवां हफ्ता खान पान की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने आहार में प्रत्येक पोषक तत्व शामिल करना चाहिए। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)
- इस समय बच्चे आँखों और चेहरे आदि का विकास होता है। पोषक तत्व जैसे खनिज, विटामिन, प्रोटीन, आदि का सेवन आहार के आलावा डॉक्टर की सलाह से दवाओं द्वारा भी करें।
- पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें और घर का बना खाना ही खाएं।
- कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें या हो सके तो न करें।
- तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करती रहें। क्योंकि ऐसा करने से थकान और पानी की कमी नहीं होती है साथ ही शरीर के अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान)