जैसे जैसे 34वां सप्ताह शुरु होता है आपको बेचैनी महसूस हो सकती है। डॉक्टर के पास नियमित अपॉइंटमेंट्स पर जाती रहें क्योंकि वह आपको डिलीवरी के चरणों के लिए तैयार करते हैं और आपकी स्वास्थ्य जांच के लिए भी यह बहुत ज़रूरी होता है। प्रत्येक प्रेगनेंसी अलग प्रकार की होती है और कुछ महिलाओं की तो 40 सप्ताह की अवधि भी पूरी नहीं हो पाती है और डिलीवरी हो जाती है क्योंकि डॉक्टर द्वारा डिलीवरी का निर्धारित समय 36-40 हफ़्तों के बीच का ही होता है जिसमें बच्चा कभी भी पैदा हो सकता है और परिपक्व (Mature) होता है। इस दौरान आपके डॉक्टर अगले कुछ हफ्तों में ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया (Group B Strep bacteria) की जांच के लिए योनि के नमूने को कल्चर (Vaginal culture) करेंगे। ग्रुप बी स्ट्रेप एक बैक्टीरिया है जो कुछ महिलाओं में योनि और आंत में पाया जाता है और अगर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह आपके नवजात शिशु में संक्रमण का कारण बन सकते हैं। यदि आप ठीक होती हैं, तो डॉक्टर बैक्टीरिया की मात्रा और संक्रमण की संभावना कम करने के लिए, डिलीवरी के दौरान आपको नसों द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं।
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- 34वें हफ्ते की गर्भावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव - Body changes during 34th week of pregnancy in Hindi
- चौतीसवें हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का विकास - Baby development in 34th week of pregnancy in Hindi
- चौतीसवें हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound during 34th week of pregnancy in Hindi
- 34वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Tips for 34 week pregnancy in Hindi
- प्रेगनेंसी के चौतीसवें हफ्ते में डाइट - Diet in 34th week of pregnancy in Hindi
34वें हफ्ते की गर्भावस्था में शरीर में होने वाले बदलाव - Body changes during 34th week of pregnancy in Hindi
इस सप्ताह में आपको महसूस होने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी छाती और फेफड़ों पर दबाव पड़ना कम हो जाएगा। ऐसा आपके बच्चे के श्रोणि क्षेत्र में नीचे चले जाने के कारण होता है। आपका गर्भाशय, नाभि के करीब 5½ इंच ऊपर होना चाहिए। आपकी नाभि बेहद संवेदनशील होती है और यदि यह अभी तक उभर कर बाहर नहीं आयी है तो अब यह आ सकती है। कुछ महिलाओं के सीने में जलन और हाथ, कलाई, चेहरे, पैर, टखनों और पंजों में सूजन आने लगती है। यदि सूजन के साथ गंभीर सिरदर्द, चक्कर या ऊपरी पेट में दर्द का अनुभव भी हो तो डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि यह प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-eclampsia) का संकेत हो सकता है। सूजन का एक और कारण वाटर रिटेंशन (Water retention) भी हो सकता है और यकीन मानिये इसे कम करने के लिए अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने से स्थिति और भी बदतर होती है।
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चौतीसवें हफ्ते की गर्भावस्था में बच्चे का विकास - Baby development in 34th week of pregnancy in Hindi
जैसे जैसे आपका बच्चा लम्बाई और वजन में बढ़ता है उसका वज़न करीब 2.2 किलो और लम्बाई लगभग 15 ½ से 17½ इंच के बीच हो जाती है। फेफड़ों के आलावा अधिकांश अंग लगभग पूरी तरह से परिपक्व हो चुके होते हैं। चेहरे की विशेषताएं या आकृतियां इस बिंदु पर बिलकुल स्पष्ट होती हैं। त्वचा के नीचे वसा का निर्माण होने के कारण अब बच्चा थोड़ा फूला हुआ सा (मोटा) दिखाई देगा। वह निर्धारित तारीख तक थोड़ा थोड़ा बढ़ता रहेगा। आप उसकी हिचकियों को भी महसूस कर सकती हैं जो सामान्य प्रक्रिया है।
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चौतीसवें हफ्ते के गर्भ का अल्ट्रासाउंड - Ultrasound during 34th week of pregnancy in Hindi
इस हफ्ते के अल्ट्रासाउंड में बच्चे का मुँह खुला हुआ होता है। शायद वह एम्नियोटिक द्रव (Amniotic fluid) पीने या निगलने की कोशिश कर रहा होता है, जो उसके श्वसन तंत्र (Respiratory system) के विकास में सहायक होता है।
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34वें सप्ताह के गर्भधारण के लिए टिप्स - Tips for 34 week pregnancy in Hindi
यदि आपको सीने में जलन की शिकायत होती है तो दो या तीन बार अधिक मात्रा में भोजन करने के बजाय प्रतिदिन छह या सात बार कम मात्रा में भोजन करने का प्रयास करें। इसके अलावा, टाइट कपड़े न पहनें और महसूस होने वाली असुविधा को कम करने के लिए ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें। अगर आपकी मालिश करने के लिए कोई भी आपके आस-पास नहीं है, तो कुछ दिनों के लिए एक मालिश करने वाली लगा लें। इससे आपके शरीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।
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प्रेगनेंसी के चौतीसवें हफ्ते में डाइट - Diet in 34th week of pregnancy in Hindi
34वें हफ्ते की डाइट 33वें हफ्ते के लगभग समान ही होती है। इस समय विशेष रूप से विटामिन K (Vitamin k) युक्त फल और सब्जियां अपने आहार में शामिल करें। विटामिन के आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्व है साथ ही यह रक्त के थक्के ज़माने में भी मदद करता है।
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- विटामिन K का सेवन करने के लिए भोजन में सोयाबीन और बिना छने हुए आटे की रोटी खाएं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं)
- हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, मूली के पत्तों की भुजिया, मेथी, सरसों का साग आदि में विटामिन K प्रचुर मात्रा में होता है।
- चुकंदर का रस, मिश्रित फलों का रस, टमाटर का रस आदि आपके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में ये हेल्दी जूस हैं काफी फायदेमंद)
- फूलगोभी और पत्तागोभी में विटामिन K अधिक मात्रा में पाया जाता है। (और पढ़ें - आयुर्वेद के अनुसार नई माताओं को इन बातों का रखें ध्यान)