गर्भावस्था में हर महिला को अपने शरीर में होने वाले हर बदलाव पर ध्यान देना आवश्यक है. मूड स्विंग्स, शरीर में दर्द और ऐसे ही अन्य कई बदलाव होते हैं. कुछ सामान्य होते हैं, तो कुछ लक्षण चिंता का कारण बन सकते हैं. इन्हीं में से एक है गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग की समस्या. प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान ब्लीडिंग होना सामान्य है या खतरे का संकेत यह जानना जरूरी है. ऐसे समय में ब्लीडिंग गर्भपात, एक्टाेपिक प्रेगनेंसी व संक्रमण आदि के कारण हो सकती है.
आज इस लेख में जानिए कि 3 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना कितना सामान्य है -
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पहली तिमाही में ब्लीडिंग होना
गर्भावस्था की पहली तिमाही में स्पॉटिंग या हल्का रक्तस्राव आमतौर पर सामान्य है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं होती है. खासकर अगर यह एक या दो दिन तक रहता है. मेडिकल रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं को पहली तिमाही में स्पॉटिंग व हल्का रक्तस्राव होता है, उनकी गर्भावस्था उन महिलाओं के समान ही सामान्य होती है, जिन्हें रक्तस्राव नहीं होता है. हर 4 में से 1 महिला को गर्भावस्था की पहली तिमाही में हल्की ब्लीडिंग होना सामान्य है. वहीं, दूसरी ओर भारी रक्तस्राव और अन्य लक्षण अधिक गंभीर स्थितियों के संकेत हो सकते हैं.
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3 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होने के कारण
गर्भावस्था के 3 महीने में ब्लीडिंग होने के कारणों के बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार है -
गर्भपात
अगर प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग के साथ-साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द व कमर में दर्द हो, तो ये गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं. इसलिए, अगर ब्लीडिंग एक दिन से ज्यादा या लगातार हो, तो इस पर ध्यान दें और वक्त रहते डॉक्टर से संपर्क करें.
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भ्रूण इंप्लांट
जब महिला गर्भधारण करती है, तो उसके कुछ दिनों बाद भ्रूण यूट्रस में इम्प्लांट होना शुरू होता है, तो उस वक्त हल्की ब्लीडिंग हो सकती है. ये कुछ दिन तक रह सकता है, लेकिन बेहतर है इस पर ध्यान दें और सतर्क रहें.
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मोलर प्रेगनेंसी
गर्भावस्था की पहली तिमाही में रक्तस्राव का एक अन्य कारण मोलर प्रेगनेंसी भी हो सकता है. यह दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है, जो 1 हजार गर्भवती महिलाओं में से किसी 1 को होती है.
मोलर प्रेगनेंसी तब होती है, जब इंप्लांटेशन के दौरान आनुवंशिक समस्या के कारण प्लेसेंटल टिश्यू असामान्य रूप से बढ़ते हैं. ऐसे में हो सकता है भ्रूण का विकास न हो. मोलर प्रेगनेंसी पहली तिमाही में गर्भपात का कारण भी बन सकती है. इस दौरान महिला में निम्न प्रकार के लक्षण दिख सकते हैं -
- मतली
- हल्के लाल रंग से गहरे लाल रंग का रक्तस्त्राव
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
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संक्रमण
गर्भावस्था के दौरान पेल्विक या मूत्र पथ का संक्रमण भी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग का कारण हो सकता है. ये बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है. इस दौरान पेशाब में जलन व पेट के निचले हिस्से में दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. गंभीर रूप से यीस्ट इंफेक्शन होने के कारण भी ब्लीडिंग हो सकती है.
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एक्टोपिक प्रेगनेंसी
एक्टोपिक प्रेगनेंसी वह स्थिति है, जब फर्टिलाइज एग यूट्रस के बजाय फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय ग्रीवा या एब्डोमिनल कैविटी में विकसित हो जाता है. इस दौरान भारी रक्तस्राव व तेज दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
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सारांश
गर्भावस्था की पहली तिमाही महिला के लिए काफी नाजुक वक्त होता है. ऐसे में इस दौरान शरीर में होने वाले हर छोटे-बड़े बदलाव का ध्यान रखना आवश्यक है. अगर इस समय हल्की या भारी ब्लीडिंग हो, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर से मिले और इस बारे में बताए. इसके अलावा, लेख में बताए गए लक्षणों पर भी ध्यान दें. प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए और समय-समय पर चेकअप करवाते रहना चाहिए.
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