प्रेग्नेंसी महिला के जीवन में बेहद ही खास पल होता है। इस समय महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर खुद को बच्चे के जन्म के लिए तैयार करने में कोई भी विकल्प नहीं छोड़ती है। गर्भावस्था के समय भ्रूण के विकास में महिलाओं में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। इसके अलावा घर के काम, ऑफिस के काम और खुद को स्वस्थ रखने के दबाव के कारण महिलाएं तनाव में आ जाती हैं।

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तनाव का बड़ा कारण महिलाओं के शरीर में होने वाला हार्मोनल बदलाव भी होता है। इस समय महिलाओं को कई तरह की छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को गर्भ में पलने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता होने लगती है। यही चिंता आगे चलकर तनाव का रूप धारण कर लेती है। गर्भावस्था में तनाव आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आगे आप जानेंगे कि प्रेग्नेंसी में तनाव होना क्या सामान्य बात है, गर्भावस्था में तनाव से बच्चे पर क्या असर पड़ता है, प्रेग्नेंसी में तनाव के लक्षण और गर्भावस्था में टेंशन कम करने के लिए क्या करें।

(और पढ़ें - pregnancy in hindi)

  1. प्रेग्नेंसी में टेंशन के लक्षण - Garbhavastha me tanav ke lakshan
  2. प्रेग्नेंसी में टेंशन कम करने के लिए क्या करें? - Pregnancy me tension kamkarne ke liye kya kare
  3. क्या प्रेग्नेंसी में तनाव होना सामान्य है? - Kya pregnancy me tanav hona samanya hai
  4. प्रेग्नेंसी में टेंशन से बच्चे पर क्या असर पड़ता है? - Garbhavastha me tanav se bacche pr kya asar padta hai
  5. सारांश

कई बार गर्भावस्था में तनाव के लक्षणों को पहचानने में महिलाओं को मुश्किल का सामना करना पड़ता है। आपके इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए, कुछ लक्षण निम्नतः बताए जा रहें हैं। इन लक्षणों में से यदि तीन लक्षण भी आप में दिखाई दिए तो आपको डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करवाने की आवश्यकता है।

 गर्भावस्था में तनाव के लक्षण -

  • किसी विषय पर बार-बार सोचना।
  • घबराहट महसूस करना। (और पढ़ें - घबराहट के लिए घरेलू नुस्खे)
  • चितिंत होना।
  • किसी बात का डर सताना। (और पढ़ें - डर लगने का इलाज)
  • किसी परेशानी से निपटने में मुश्किल होना।
  • कोई अप्रिय घटना होना।
  • अव्यवस्थित दिनचर्या।
  • बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता होना। (और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)
  • बच्चे को खोने का डर सताना।
  • डिलीवरी में आने वाली मुश्किलों के बारे सोचकर चिंतित होना।
  • घर में अत्याधिक काम करना।
  • घर के काम को लेकर टेंशन होना।
  • आपको और आपके साथी को कोई परेशानी होना।
  • अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होना।

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ऑफिस का काम, ट्रैफिक, वैवाहिक जीवन की अन्य समस्याएं और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला हार्मोनल बदलाव आपको तनाव प्रदान कर सकता है। गर्भावस्था के समय तनाव होना एक आम बात है, लेकिन इसका असर बच्चे पर न हो, इसलिए आपको तनाव कम करने के लिए कई तरह के उपाय करने की आवश्यकता होती है। इन उपायों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन को दूर करने के लिए खुश रहें - Pregnancy me tension ko dur karne ke liye kush rahe

किसी भी परिस्थिति में खुश रहना तनाव को दूर करने का सबसे आसान तरीका है। इसके लिए आपको जो पंसद हो वो करें। इस समय अपने दोस्तों से मिलें या फिर कोई कॉमेडी सीरियल और फिल्में देखें। खुश रहने के लिए आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर की किसी नजदीकी जगह पर घुमने के लिए जा सकती हैं। इसके अलावा कई महिलाओं को शॉपिंग करना बेहद पसंद होता है, इस समय आप प्रेग्नेंसी से जुड़ी चीजों की भी शॉपिंग कर खुद को टेंशन मुक्त रख सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन को दूर करने के लिए प्लांस बनाएं - Garbhavastha me tanav dur karne ke liye banaye yojana

प्रेग्नेंसी में ऑफिस जानें वाली महिलाओं को अन्य गर्भवती महिलाओं की अपेक्षा अधिक तनाव हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ऑफिस आने-जाने से भी महिलाओं को तनाव होना आम समस्या है। तनाव से बचने के लिए इस समय ऑफिस जानें वाली महिलाओं को ऐसा समय चुनना चाहिए, जब उनके घर से ऑफिस के रास्ते में भीड़ कम हो। इसके अलावा दो पहिया वाहनों में सफर करने से भी बचना चाहिए। बस या किसी सार्वजनिक वाहन में सफर करने पर यात्रियों से सीट मांगने में भी नहीं हिचकिचाना चाहिए।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन दूर करने के लिए खाएं पौष्टिक आहार - Garbhavastha me tanav dur karne ke liye khaye poshtik aahar

गर्भावस्था में आपको पौष्टिक आहार खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, विटामिन बी और साबुत अनाज खान से शरीर में सीरोटोनिन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ती है। सीरोटोनिन को तनाव कम करने वाला हार्मोन माना जाता है। इसके अलावा ओमेगा फैटी एसिड भी तनाव को दूर करता है। मछली और समुद्री आहार से पर्याप्त मात्रा में फैटी एसिड प्राप्त होता है, लेकिन किसी भी मछली को खाने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में पूरी जानकारी लेना जरूरी है। कुछ मछलियों में मरकरी की मात्रा अधिक होती है, जो बच्चे के लिए हानिकाकर साबित हो सकती है। इसके अलावा आपको प्रेग्नेंसी में भरपूर पानी पीना चाहिए, गर्भावस्था में पानी की कमी से सिरदर्द होने की संभावना भी बनी रहती है।

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प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज से करें टेंशन को दूर - Pregnancy me exercise se kare tension ko dur

योग और एक्सरसाइज से कई तरह के विकारों को दूर किया जा सकता है। सांस संबंधी व्यायाम और मन को शांत करने वाले व्यायाम से डिलीवरी के समय महिलाओं को ज्यादा पीड़ा नहीं उठानी पड़ती है। जबकि प्रेग्नेंसी में नियमित व्यायाम से तनाव को आसानी से दूर किया जा सकता है। इस दौरान महिलाओं को सैर करने और स्विमिंग करने की सलाह दी जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भावस्था में महिलाओं को कम-से-कम 20 मिनट रोज एक्सरसाइज या योग करना चाहिये। इस समय आपको योग व एक्सरसाइज में उन्हीं आसनों को चुनना चाहिए, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लाभकारी होते हैं। इस बारे में आप अपने योग विशेषज्ञ की मदद ले सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन कम करने के लिए साथी या मित्रों से बातचात करें - Pregnancy me tanav kam karne ke liye saathi ya mitro se baatchit kare

प्रेग्नेंसी के दौरान चिंता होने पर अधिकतर महिलाएं किसी से बात करना पंसद नहीं करती हैं। इस समय बच्चे को लेकर किसी भी तरह की शंका होना या घर की अन्य किसी बात को लेकर आपको चिंता होने लगे, तो ऐसे में आपको अपना मन हल्का करने के लिए अपने साथी या परिवार के किसी सदस्य से बात करनी चाहिए। कई बार मन में खराब विचार आने से भी महिलाएं अकारण ही चिंता करने लगती हैं। इस स्थिति में गर्भवती महिला को अपने डॉक्टर, साथी या परिवार के किसी भी करीबी से इन विचारों के बारे में बात करनी चाहिए। इससे आपकी चिंता कम होगी और आप बेवजह की परेशानियों से दूर रहेंगी।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन को दूर करने के लिए आराम करना जरूरी - Pregnancy me tanav ko dur karne ke liye aaram karna jaroori

गर्भावस्था में बच्चे के स्वास्थ्य के लिए आपको आराम करना बेहद जरूरी होता है। तनाव को कम करने के लिए आप अपने बच्चे से बात करने या उसके लिए कोई गाना गाने का प्रयास कर सकती हैं। बताया जाता है कि 23 सप्ताह के बाद बच्चा बाहर की आवाजों को सुनने में सक्षम हो जाता है। इसके अलावा जब भी थकान महसूस हो आपको आराम करना चाहिए। इससे आपका मस्तिष्क शांत होगा और आपको तनाव कम करने में मदद मिलेगी।

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प्रेग्नेंसी में टेंशन को कम करने के लिए प्रसव की तैयारी करें - Garbhavastha ki tension ko kam karne ka tarika hai prasav ki taiyari

प्रेग्नेंसी के समय कई महिलाएं डिलीवरी के दौरान होने वाली प्रसव पीड़ा को लेकर डर जाती है। इसके चलते भी महिलाएं तनाव में रहने लगती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए आपको प्रसव पूर्व ही डिलीवरी के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। कई महिलाएं प्रसव पीड़ा के डर से सिजेरियन डिलीवरी करवाना ज्यादा पसंद करती है, लेकिन डॉक्टर से बात करने के बाद आप सामान्य प्रेग्नेंसी के फायदों को आसानी से समझ पाएंगी और आप में आत्मविश्वास भी बढ़ जाएगा।

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प्रेग्नेंसी में तनाव दूर करने के अन्य उपाय - Pregnancy me tanav dur karne ke anya upay

  • कई बार महिलाओं को मां बनने के बाद पति के साथ रिश्ते को लेकर चिंता होने लगती है। उनको लगता है कि डिलीवरी के बाद वह अपने पति को समय नहीं दे पाएंगी। इस समस्या में आपको अपने पति से खुलकर बात करनी चाहिए। इसके अलावा आप किसी ऐसे मित्र से भी बात कर सकती हैं, जो पहले से ही मां बन चुकी हों।
  • बच्चे के जन्म के बाद परिवार के खर्चे बढ़ जाते हैं। इस बात पर प्रेग्नेंट महिला के चिंतित होने से बेहतर होगा कि वह बच्चे के जन्म से पूर्व ही जरूरत की कुछ जरूरी चीजों को खरीद लें और अपने पति के साथ बैठकर वित्तीय योजना तैयार कर लें।
  • प्रेग्नेंसी में तनाव से बचने के लिए आप सिर पर मसाज कर सकती हैं। टेंशन होने पर धीरे-धीरे सिर पर मसाज करने से काफी लाभ मिलता है।
  • गर्भावस्था में टेंशन को दूर करने के सभी उपायों को आजमाने के बाद भी आपको तनाव से मुक्ति न मिलें, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलकर तनाव को दूर करने के लिए परामर्श लेना चाहिए।  

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

गर्भावस्था में महिला के गर्भाशय में भ्रूण का विकास हो रहा होता है। इस दौरान महिला का पूरा ध्यान अपने बच्चे के स्वास्थ्य पर होता है। गर्भ में पलने वाले बच्चे की चिंता हर मां को होती है और बार-बार चिंता करने से महिलाएं तनाव में आ जाती है। इस समय अधिकतर महिलाओं को ऐसा ही महसूस होता है। पहली बार प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं को इस तरह की समस्या अधिक होती है। गर्भावस्था में तनाव या किसी अन्य प्रकार की समस्या होने पर आप अपने परिवार के किसी सदस्य या अपने पति से इस बारे में बात कर अपने टेंशन के कारणों को खत्म कर सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के खानपान, आदतों, यहां तक की मानसिक स्थिति का असर भी बच्चे पर पड़ता है। इसीलिए कहा जाता है कि गर्भावस्था के समय महिलाओं को मन शांत रखना चाहिए और अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए। इस समय गर्भवती महिला के मन में जो भी विचार उत्पन्न होते हैं, वह बच्चे पर प्रभाव डालते हैं। इस दौरान तनाव लेने से महिलाओं में कॉर्टिसोल हॉर्मोन का निर्माण होता है और नियमित तनाव से यह हार्मोन गर्भनाल से होते हुए शिशु तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था में तनाव से बच्चे के निश्चित समय से पूर्व ही जन्म लेने की स्थितियां भी बन जाती है। इसके साथ ही बच्चे को जन्म लेने के बाद भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव से बच्चे में निम्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं -

  • नींद संबंधी विकार – कई अध्ययन इस बात को साबित करते हैं कि गर्भावास्था में जो महिलाएं तनाव से ग्रसित होती है, उनके बच्चे को जन्म के बाद नींद संबंधी विकार होने की संभावना अधिक होती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में कैसे सोये)
  • बच्चे का जल्द जन्म होना – गर्भावस्था में तनाव से बच्चे का जन्म नौ माह से पूर्व ही हो सकता है। गर्भावस्था में 37 सप्ताह से पहले बच्चे के जन्म लेने को चिकित्सीय जगत में प्री-टर्म बर्थ (Pre-term birth/ pre-term delivery) कहते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में ध्यान रखने वाली बातें)
  • व्यवहार संबंधी समस्या – जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी में तनाव होता है, कुछ मामलों में उनके बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं होना आम बात है। (और पढ़ें - माँ बनने की सही उम्र)
  • मस्तिष्क निर्माण पर प्रभाव – प्रेग्नेंसी में तनाव से मां के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसका सीधा असर बच्चे के मस्तिष्क निर्माण पर पड़ता है। इसके कारण जन्म के बाद बच्चे में कई अन्य समस्याएं देखने को मिलती है।
  • जन्म के साथ बच्चे का वजन कम होना – प्रेग्नेंसी के दौरान मां के तनाव में रहने से जन्म के दौरान बच्चे का वजन कम होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा जिन महिलाओं का प्रेग्नेंसी के दौरान वजन कम होता है। उनके बच्चे में भी जन्म के समय वजन कम होने की समस्या हो सकती है।

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प्रेगनेंसी में टेंशन लेने से मां और बच्चे दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अत्यधिक तनाव से गर्भवती महिला के रक्तचाप और हृदय गति में वृद्धि हो सकती है, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर असर पड़ता है। तनाव के कारण गर्भपात, समय से पहले प्रसव, या कम वजन के बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है। मानसिक तनाव का शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे बच्चे में व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

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