अगर आप सेक्शुअली ऐक्टिव हैं और आपका मासिक धर्म किसी महीने नहीं आता (पीरियड्म मिस हो जाता है) तो यह निश्चित तौर पर प्रेगनेंसी का सबसे स्पष्ट लक्षण हो सकता है। लेकिन सिर्फ पीरियड्स मिस होना ही गर्भावस्था का लक्षण नहीं है। बल्कि इसके अलावा भी कई संकेत हैं जो पीरियड्स मिस होने से पहले ही आपको बता सकते हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं। 

हालांकि प्रेगनेंसी टेस्ट, ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड के बिना 100 प्रतिशत निश्चितता से यह नहीं कहा जा सकता कि आप गर्भवती हैं या नहीं। लेकिन अगर आपने गर्भधारण कर लिया है तो मासिक धर्म की तारीख पार होने से पहले ही आपको अपने शरीर में प्रेगनेंसी के पहले हफ्ते में दिखने वाले लक्षण नजर आने लगेंगे जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आप गर्भवती हैं।  

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वैसी महिलाएं जो लंबे समय से प्रेगनेंट होने की कोशिश कर रही हैं, गर्भनिरोधक गोलियां लेना बंद कर चुकी हैं, अपने ओवुलेशन को ट्रैक कर रही हैं और पार्टनर के साथ बिस्तर में अतिरिक्त वक्त बिता रही हैं, उनके लिए पीरियड्स मिस होने से पहले ही प्रेगनेंसी के ये लक्षण मददगार साबित हो सकते हैं। हालांकि आपको यह भी याद रखना होगा कि कई बार प्रेगनेंसी के लक्षण पीएमएस के लक्षणों (प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम) से मिलते जुलते हो सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको गर्भावस्था के उन शुरुआती लक्षणों के बारे में बता रहे हैं जिसकी मदद से आप यह जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं।

  1. पीरियड्स मिस होने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षण - Periods miss hone se pehle pregnancy ke lakshan
  2. सारांश
पीरियड्स मिस होने से पहले प्रेग्नेंसी के लक्षण के डॉक्टर

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग - Implantation Bleeding in Hindi

महिलाओं में प्रेगनेंसी के प्रारंभिक लक्षणों या संकेत में सबसे अहम होता है इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग यानी प्रत्यारोपण के समय होने वाला रक्तस्त्राव जो गर्भधारण होने के 10 से 14 दिन बाद महसूस हो सकता है। ये रक्तस्त्राव भूरे रंग का होता है और धब्बे की तरह नजर आता है। यह रक्तस्त्राव आपके पीरियड्स आने के निर्धारित समय से 1 हफ्ते पहले या 3-4 दिन पहले भी हो सकता है। ऐसे में अगर आपको यह महसूस हो रहा हो कि आपका मासिक धर्म समय से पहले आ गया लेकिन बेहद हल्का है और खुलकर नहीं आ रहा तो हो सकता है कि यह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो और आप गर्भवती हों।

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ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द - Breast me dard

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक और सबसे अहम लक्षण है ब्रेस्ट में दिखने वाला बदलाव। अगर आपका मासिक धर्म अब तक मिस नहीं हुआ है और आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आपके ब्रेस्ट में दर्द हो रहा है, ब्रेस्ट बेहद संवेदनशील हो गए हैं और उनमें सामान्य दिनों से ज्यादा भारीपन भी महसूस हो रहा हो तो यह भी गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। शरीर में प्रोजेस्टेरोन का लेवल बढ़ने पर स्तन में इस तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। ये लक्षण कुछ महिलाओं में पूरी प्रेगनेंसी के दौरान जारी रहते हैं तो वहीं कुछ महिलाओं में कुछ हफ्तों के बाद स्तन में दिखने वाले ये लक्षण कम हो जाते हैं।

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थकावट महसूस होना - Thakan lagna

गर्भावस्था का एक और शुरुआती लक्षण है थकान। प्रेगनेंसी के पहले महीने में हद से ज्यादा थकान (fatigue) महसूस होना बेहद सामान्य सी बात है। इस दौरान शरीर में होने वाले हार्मोन्स से जुड़े बदलाव और ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर का लेवल कम होने की वजह से छोटे-छोटे काम करने के बाद भी थकावट महसूस होने लगती है और नींद भी ज्यादा आती है। लिहाजा थकान को भी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों का अहम हिस्सा माना जाता है।

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उलटी आना - Vomiting aur nausea in hindi

वैसे तो जी मिचलाना या उल्टी आना जिसे मॉर्निंग सिकनेस भी कहते हैं वह प्रेगनेंसी के चौथे या छठे हफ्ते के बीच शुरू होता है लेकिन कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पहले या दूसरे हफ्ते में भी उबकाई महसूस हो सकती है। अगर पीरियड्स मिस होने से पहले ही आपको सुबह उठकर उल्टी करने का मन करे, मतली आए तो यह भी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। जैसे ही गर्भाशय में भ्रूण खुद को स्थापित कर लेता है उसके बाद आपके शरीर में बीटा-एचसीजी हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है जिस कारण आपको उल्टी या मतली आने लगती है। इसके अलावा कई बार आपको खाने की कुछ चीजों से गंध आनी भी शुरू हो जाती है और कई महिलाओं की भूख भी खत्म हो जाती है। इसलिए यह भी गर्भवती होने का शुरुआती अहम लक्षण है।

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बुखार और चक्कर आना - Fever aur chakkar aana

चक्कर आना या बुखार आना भी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक माना जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हार्मोन्स का जो बदलाव आता है उसके कारण शरीर का तापमान बढ़ सकता है। रातभर आराम करने के बाद जब सुबह आप अपने शरीर का तापमान चेक करती हैं तो शरीर का बुनियादी तापमान जिसे बेजल बॉडी टेंपरेचर (बीबीटी) कहते हैं अगर वह 18 या 20 दिनों तक लगातार बढ़ा रहे तो यह भी प्रेगनेंसी का शुरआती लक्षण हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गर्भावस्था के लिए खुद को तैयार करती है। बुखार के साथ ही चक्कर आना भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। चक्कर इसलिए आते हैं क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान शरीर से हार्मोन्स में जो बदलाव होते हैं उसकी वजह से रक्तसंचार पर असर पड़ता है और कई बार ब्लड प्रेशर भी लो हो जाता है।

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पेट ने निचले हिस्से में दर्द - Pet me dard

अगर आपको अपने पेट के निचले हिस्से में भारीपन या खिंचाव के साथ सूजन महसूस हो तो यह भी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है और ऐसा होना बिल्कुल सामान्य सी बात है। अब आप सोच रही होंगी कि आखिर पेट में दर्द क्यों होता है तो इसका कारण ये है कि जब भ्रूण गर्भाशय में अपनी जगह बना रहा होता है तो गर्भाशय के आसपास की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है। कई बार बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म आने से पहले भी पेट में खिंचाव और भारीपन महसूस होता है इसलिए ये महिलाएं प्रेगनेंसी के इस शुरुआती लक्षण को कई बार पहचान नहीं पाती हैं।

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कब्ज होना - Constipation

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ने लगती है और इस कारण आंत में कसाव होने लगता है और आंत की गतिविधि धीमी हो जाती है। इस कारण पाचन तंत्र से पार होने वाले भोजन की गति कम हो जाती है और मलोत्सर्ग कड़ा हो जाता है जिससे आपको कब्ज या कॉन्स्टिपेशन महसूस होता है। ऐसे में अगर आपको मासिक धर्म न होने के एक हफ्ते बाद तक कब्ज महसूस हो रहा हो तो आपको प्रेगनेंसी टेस्ट करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

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बार-बार पेशाब आना - Bar-bar peshab aana

अगर आपका मासिक धर्म नहीं आया है तो बार-बार पेशाब आना भी प्रेगनेंसी का एक लक्षण हो सकता है और यह एक ऐसा लक्षण है जो तकरीबन हर गर्भवती महिला में देखने को जरूर मिलता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस दौरान आपका शरीर सामान्य रूप से जितने खून को पंप करता है उससे ज्यादा खून पंप करने लगता है। नतीजन किडनी भी सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा फ्लूइड को प्रोसेस करने लगती है और ब्लैडर में ज्यादा फ्लूइड भरने लगता है। गर्भधारण के 2 सप्ताह के अंदर ही यह लक्षण नजर आने लगता है और इसलिए बार-बार पेशाब आना भी गर्भावस्था का अहम और शुरुआती लक्षण माना जाता है।

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सर्वाइकल म्यूकस - Cervical mucus

प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में आपको अपनी योनि से होने वाला स्त्राव (डिस्चार्ज) में भी बदलाव और अधिकता नजर आ सकती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही यानी 1 से 3 महीने के समय के दौरान चिपचिपे, सफेद या पीले रंग के म्यूकस का स्त्राव होने लगता है और यह इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन्स और योनि में खून का संचार बढ़ जाता है। बहुत सी महिलाओं में सर्वाइकल म्यूकस की मात्रा बढ़ना पूरी प्रेगनेंसी के दौरान जारी रह सकता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा नरम या कोमल हो जाता है।

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मूड स्विंग्स - Mood swings

वैसे तो मासिक धर्म के दौरान भी ज्यादातर महिलाओं को मूड स्विंग्स का सामना करना पड़ता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग्स के इन लक्षणों में बढ़ोतरी हो जाती है। बहुत सी महिलाओं को बिना किसी कारण के रोने का मन करता है तो बहुत सी महिलाओं को इस दौरान चिड़चिड़ापन, बेचैनी और घबराहट भी महसूस होने लगती है। बहुत सी महिलाओं में डिप्रेशन भी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है। चूंकि बहुत सी महिलाओं को पीएमएस के दौरान भी ऐसी चीजें महसूस होती हैं इसलिए वे इस लक्षण को कई बार नजरअंदाज भी कर देती हैं।

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पीरियड्स मिस होने से पहले प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षणों में थकान, मतली (खासकर सुबह), स्तनों में कोमलता या सूजन, मूड में बदलाव, बार-बार पेशाब आना, और हल्के ऐंठन जैसी शारीरिक अनुभूतियां शामिल हो सकती हैं। इन लक्षणों का कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, खासकर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का बढ़ना। हालाँकि ये लक्षण अन्य कारणों से भी हो सकते हैं, इसलिए सही पुष्टि के लिए गर्भावस्था परीक्षण की सलाह दी जाती है।

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