आज के समय में प्रेगनेंसी टेस्ट करना कोई मुश्किल काम नहीं है। हर महिला के लिए मां बनना सबसे बड़ा सुख होता है लेकिन कभी-कभी महिलाओं को अनचाही प्रेगनेंसी का भी डर लगा रहता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी टेस्ट की मदद से महिलाएं मिनटों में अपने मन की दुविधा को दूर कर सकती हैं।
अधिकतर प्रेगनेंसी टेस्ट किट से एचसीजी (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन) नामक हार्मोन की मौजूदगी का पता चलता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महिलाएं गर्भावस्था का परीक्षण करने के लिए कई प्रकार के प्रेगनेंसी टेस्ट का इस्तेमाल करते हैं।
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यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए एक स्ट्रिप, कैसेट या मिडस्ट्रीम डिवाइस की जरूरत पड़ सकती है। इसके बाद प्रेगनेंसी टेस्ट किट पर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रेगनेंसी टेस्ट को पूरा करना होता है। चूंकि, प्रेगनेंसी टेस्ट किट 100 प्रतिशत ठीक नहीं होते हैं इसलिए गर्भावस्था को सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सक खून की जांच या अल्ट्रासाउंड के ज़रिए गर्भावस्था की पुष्टि करते हैं।
प्रेगनेंसी टेस्ट में क्या होता है?
प्रेगनेंसी टेस्ट में खून या पेशाब में प्रेगनेंसी हार्मोन एचसीजी (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन) का पता लगाया जाता है। आपको बता दें कि प्रेगनेंसी टेस्ट में सिर्फ हार्मोन का पता लगाया जाता है न कि भ्रूण का। भ्रूण के गर्भाशय के अंदरूनी परत से जुड़ने पर प्लेसेंटा से यह हार्मोन रिलीज़ होता है।
इसलिए, प्रेगनेंसी टेस्ट से गर्भावस्था के होने या न होने का पता चलता है। यूरिन टेस्ट के अलावा चिकित्सक की देखरेख में किए गए प्रेगनेंसी टेस्ट से भी खून में एचसीजी हार्मोन की उपस्थिति का पता चलता है जबकि अल्ट्रासाउंड ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल कर गर्भ में भ्रूण के होने की जांच करती हैं।