अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) - Appendicitis in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

April 12, 2023

अपेंडिक्स
अपेंडिक्स

अपेंडिसाइटिस क्या है?

अपेंडिसाइटिस, शरीर में अपेंडिक्स नामक एक अंदरुनी अंग में होता है। अपेंडिक्स एक पतली और छोटी सी ट्यूब होती है जिसकी लंबाई लगभग 2 से 3 इंच तक होती है। बड़ी आंत में जहां पर मल बनता है वहां पर ये आंत से जुड़ी होती है। अपेंडिक्स में होने वाली एक दर्दभरी सूजन को अपेंडिसाइटिस के नाम से जाना जाता है।

अपेंडिसाइटिस के शुरुआत में आमतौर पर पेट के बीच के हिस्से में बार-बार दर्द होता है। कुछ ही घंटो में दर्द पेट के दाहिने निचले भाग की तरफ होने लगता है, जहां पर अपेंडिक्स स्थित होता है और दर्द गंभीर बन जाता है। इसका दर्द खासतौर पर चलने, खांसने या इस जगह को दबाने से और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है।

अपेंडिसाइटिस होने पर जी मिचलाना (मतली), भूख कम लगना, बुखार और लाल चेहरा होना जैसे लक्षण होते हैं। 

(और पढ़ें – बुखार का घरेलू इलाज)

अपेंडिसाइटिस के दो प्रकार होते हैं - एक्यूट (Acute - तीव्र) और क्रोनिक (chronic – स्थायी)। एक्यूट अपेंडिसाइटिस बहुत जल्दी विकसित हो जाता है जिसमें कुछ घंटो से दिनों का समय लग जाता है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस में सूजन होती है जो काफी लंबे समय तक बनी रहती है।

अगर कोई अपेंडिसाइटस से ग्रस्त है, तो उसके पेट से अपेंडिक्स को जितना जल्दी हो सके सर्जरी करके निकाल देना चाहिए। अपेंडिक्स के ऑपरेशन को अपैंडेटोक्मी (appendectomy) के नाम से जाना जाता है। अगर किसी व्यक्ति को अपेंडिसाइटिस होने की संभावना है लेकिन उसका निदान करना संभव नहीं है, तो उसे सर्जरी की सलाह दी जाती है। ऐसी सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि अपेंडिक्स के फटने का जोखिम लेने से बेहतर है अपेंडिक्स को निकाल देना।

मानव शरीर में अपेंडिक्स कोई महत्वपूर्ण काम नहीं करता है और इसे निकाल देने से कोई दीर्घकालिक समस्या भी नहीं होती। 

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के प्रकार - Types of Appendicitis in Hindi

अपेंडिसाइटिस के दो प्रकार होते हैं:

1. एक्यूट अपेंडिसाइटिस (Acute appendicitis) - एक्यूट यानि तीव्र - एक्यूट अपेंडिसाइटिस अपने नाम की तरह होती है जो बहुत तेजी से विकसित होती है, आमतौर पर यह कुछ ही घंटे या दिनों में विकसित हो जाता है। इसका पता लगाना आसान होता है, और इसके तुरंत इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है। यह तब होता है जब अपेंडिक्स में जिवाणु संक्रमण, मल या किसी अन्य प्रकार की रुकावट के कारण पूरी तरह से रुकावट आ जाती है। जब अपेंडिक्स में बैक्टीरीया तेजी से पैदा होने लगतें हैं तो इससे सूजन और मवाद (पूस) बनने लगता है, जो अपेंडिक्स के बेजान होने का कारण भी बन सकता है।

2. क्रोनिक अपेंडिसाइटिस (Chronic appendicitis) - इसमें सूजन लंबे समय तक रहती है। अपेंडिसाइटिस के मामले में यह सिर्फ 1.5 प्रतिशत तक ही दर्ज किया गया है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस से, अपेंडिक्स में थोड़ा-थोड़ा करके रुकावट होने लगती है जो इसके आस-पास के ऊतकों में सूजन का कारण बन जाती है। अंतरिक दबाव के कारण सूजन और अधिक गंभीर होती जाती है। हालांकि अपेंडिक्स के फटने की बजाए, रुकावट समय के साथ दबाव के कारण खुल जाती है। इस प्रकार इसके लक्षण कम या यहां तक कि खत्म भी हो सकते हैं।

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस बनाम एक्यूट अपेंडिसाइटिस

क्रोनिक और एक्यूट अपेंडिसाइटिस कई बार उलझन में डाल देते हैं क्योंकि कई मामलों में क्रोनिक अपेंडिसाइटिस का निदान तब तक नहीं हो पाता जब तक वह एक्यूट अपेंडिसाइटिस का रूप ना धारण कर ले।

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस के लक्षण सौम्य यानि कम होते हैं जो लंबे समय तक रहते हैं, और कभी गायब हो जाते हैं तो कभी फिर से दिखने लग जाते हैं। कई बार इसका निदान करने के लिए कई हफ्ते, महीने यहां तक की साल भी लग जाते हैं। 

जबकि एक्यूट अपेंडिसाइटिस के लक्षण काफी गंभीर होते हैं, जो 24 से 48 घंटों के भीतर अचानक से दिखने लग जाते हैं। एक्यूट अपेंडिसाइटिस को तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

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अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के लक्षण - Appendicitis Symptoms in Hindi

अपेंडिसाइटिस के लक्षण

इसके शुरूआती संकेत और लक्षण अक्सर काफी हल्के दिखते हैं, जिनमें पेट दर्द और भूख कम लगना शामिल हैं। 

और फिर जैसे धीरे-धीरे अपेंडिसाइटिस बढ़ता है तो दर्द एक मुख्य लक्षण बन जाता है, जो प्रभावित जगह तक ही सिमित नहीं रहता बल्कि उसके इर्द-गिर्द आंतरिक अंगो में फैलने लग जाता है।

रोगी को पूछे जाने पर दर्द की सटीक जगह बताने में मुश्किल होती है। ज्यादातर लोग दर्द को अपने पेट पर दर्द वाली जगह के चारों तरफ उंगली घुमाते हुए बताने की कोशिश करते हैं। फिर समय के साथ-साथ दर्द पेट के निचले हिस्से में स्थिर हो सकता है, और मरीज शायद दर्द के सटीक स्थान को पहचान पाने में कामयाब हो सकता है।

अगर ये लक्षण पहले ना दिखे तो, अपेंडिसाइटिस का दूसरा लक्षण भूख का कम होना होता है। यह बढ़कर जी मिचलाना और यहां तक कि उल्टियां लगना भी बन सकता है। सूजन बढ़कर आंतों तक पहुँच सकती है, और उनमें रुकावट पैदा कर सकती है। ऐसी स्तिति में भी मतली और उल्टी लगने के लक्षण पैदा हो सकते हैं।

अपेंडिसाइटिस के अन्य लक्षण: 

  1. नाभि या पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द जो पेट के निचले दाएं हिस्से की ओर जाते हुए तेज़ हो जाता है। 
  2. भूख ना लगना।  
  3. पेट में दर्द शुरू होने के बाद मतली और / या उल्टी होना। (और पढ़ें – पेट दर्द का घरेलू इलाज)
  4. पेट में सूजन। 
  5. 99-102 डिग्री फैहरेनाइट बुखार। 
  6. पेट के ऊपरी या निचले हिस्से, पीठ, या मलाशय में कहीं भी हल्का या तेज दर्द। 
  7. पेशाब करने में परेशानी। 
  8. पेट में गंभीर ऐंठन। 
  9. गैस के साथ कब्ज या दस्त की समस्या।  
  10. अपेंडिसाइटिस पेशाब को भी प्रभावित करता है।

अगर किसी व्यक्ती को अपेंडिसाइटिस होने का संदेह मात्र भी है तो उसको जुलाब (laxatives) की गोलियाँ नहीं लेनी चाहिए। अपेंडिसाइटिस से प्रभावित व्यक्ति अगर जुलाब की गोलियाँ ले तो उससे अपेंडिक्स फट सकता है।

अगर इन अन्य लक्षणों के साथ अगर आपके पेट में दाहिनी तरफ कोमलता महसूस हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं। अपेंडिसाइटिस बहुत जल्द आपातकाल चिकित्सा का रूप बन सकता है।

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के कारण - Appendicitis Causes in Hindi

अपेंडिसाइटिस के कारण 

ऐसा माना जाता है कि अपेंडिसाइटिस तभी विकसित होने लग जाता है जब "सीकम" (cecum; एक थैली होती है, जो छोटी आंत और बड़ी आंत के मेल से जुड़ी होती है) में खुलने वाला अपेंडिक्स का रास्ता या छिद्र बंद हो जाता है। यह रुकावट अपेंडिक्स के अंदर एक मोटा बलगम जैसा द्रव बनने के कारण या मल जो सीकम से अपेंडिक्स के अंदर चला जाता है, उसके कारण हो सकती है। यह द्रव या मल कठोर होकर पत्थर की तरह मजबूत बन जाते हैं जो फंसकर छिद्र को बंद कर देते हैं। इस पत्थरनुमा चीज को 'फेकलिथ' (fecalith) कहा जाता है। 

इसके अलावा कई बार, अपेंडिक्स के लसीका ऊतकों (lymphatic tissue) में सूजन आ जाती है और वे फैल कर छिद्र को बंद कर देते हैं। अपेंडिक्स में बैक्टीरिया सामान्य रूप से पाए जाते हैं, लेकिन रुकावट होने के बाद वे कई गुणा ज्यादा बढ़ जाते हैं जो अपेंडिक्स की परतों पर हमला करके सक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं। 

जब बैक्टीरिया का हमला बढ़ता रहता है तो उस पर शरीर प्रतिक्रिया देता है, और यह हमला सूजन का रूप धारण कर लेता है। अगर अपेंडिसाइटिस के लक्षणों की समय पर पहचान नहीं की जाए और अपेंडिक्स की सूजन बढ़ती रहे, तो अपेंडिक्स फट भी सकती है और ऐसा होने के बाद बैक्टीरिया अपेंडिक्स के बाहर भी फैल जाते हैं।

अपेंडिक्स फटने के बाद बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण पूरे पेट में फैल सकता है। हालांकि आम तौर पर तो यह अपेंडिक्स के इर्द-गिर्द ऊतकों में फैलकर अपेंडिक्स के चारों तरफ थोड़ी ही जगह तक सिमित रहता है।

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अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) से बचाव - Prevention of Appendicitis in Hindi

अपेंडिसाइटिस की रोकथाम

अपेंडिसाइटिस को रोकने के लिए नियमित स्वास्थ्य निवारक जाँच के अलावा कोई अन्य तरीका नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसी तरीके से शरीर के अंतरिक अंगों की जाँच की सकती है और उनकी स्तिति का पता लगाया जा सकता है।

हालांकि जो अधिक मात्रा में फाइबर युक्त आहार लेते हैं, उनमें अपेंडिसाइटिस जैसी समस्या होने की सम्भावनाएं कम हो जाती हैं। हालांकि इसका पूर्ण रूप से प्रमाण नहीं दिया जा सकता मगर एक संभावित कारण यह हो सकता है कि फाइबर मल को नरम बनाता है जिससे उसके अपेंडिक्स में फंसने की संभावना कम हो जाती हैं। 

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) का परीक्षण - Diagnosis of Appendicitis in Hindi

अपेंडिक्स का पता कैसे चलता है?

1. लक्षणों के बारे में पता करना

डॉक्टरों द्वारा मरीजों से उनकी बीमारी के दौरान हो रहे लक्षणों के बारे में पूछा जाता है, कि वे कैसा अनुभव कर रहे हैं, उन्हें कितना दर्द हो रहा है और कितने समय से हो रहा है। इससें संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।

2. पहले ली गई दवाइयों के बारे में पता करना

डॉक्टर मरीज से उनके चिकित्सीय इतिहास की जानकारी लेते हैं, जिससे अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की संभावना का अनुमान लगाया जा सके। इस दौरान डॉक्टर कुछ इस तरह की जानकारी मरीज से लेते हैं -

  1. मरीज से पहले कभी किसी अन्य सर्जरी या कोई चिकित्सा स्थिति के बारे में पूछना
  2. मरीज द्वारा लिए गए किसी अन्य दवाई या सप्लिमेंट की जानकारी
  3. अगर मरीज शराब या अन्य कोई ड्रग लेता हो, उसकी जानकारी
  4. शारीरिक परिक्षण के दौरान डॉक्टर, मरीज के दर्द तक पहुंचने के लिए उसकी दर्द प्रभावित जगह पर हल्का-हल्का दबाव दे सकते हैं। अक्सर जब अपेंडिक्स पर हल्का सा भी दबाव पड़ता है, तो उसमें बहुच दर्द महसूस होने लगता है, जो इस बात का संकेत करते हैं कि पेरिटोनियम (peritoneum; एक प्रकार की झिल्ली जो पेट के अंगों को कवर करती है) से सटे हुुऐ अंगों में सूजन है।
  5. डॉक्टर अपेंडिक्स के उपर हल्का दबाव डालने से आपके शरीर में वाली प्रतिक्रिया को देखेंगे। उदाहरण के तौर पर, अगर आपको वाकाई अपेंडिक्स की समस्या है तो डॉक्टर का पेट पर दबाव डालने के बाद आपकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होगी दर्द से बचने के लिए पेट की मांसपेशियों को कठोर करना।
  6. मरीज के मलाशय के निचले हिस्से की जांच करने के लिए डॉक्टर एक दस्ताने की मदद से उंगली का प्रयोग कर सकते हैं  (इसको digital rectal exam/ "डिजिटल रेक्टल परिक्षण" कहा जाता है)। प्रसव की उम्र वाली महिलाओं को स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं के लिए जांचने के लिए डॉक्टर उनका पेल्विक परिक्षण (pelvic exam) कर सकते हैं।

3. अपेंडिसाइटिस के निदान के लिए लैब टेस्ट 

अपेंडिसाइटिस के निदान और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की पुष्टी करने के लिए डॉक्टर, कुछ लैब टेस्ट करवा सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

  1. खून की जांच (Blood test) - इससे डॉक्टर को मरीज की सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या पता चलती है, जो की संक्रमण की संभावना जांचने में मदद करता है।
  2. मूत्र की जांच (Urine test) - मूत्र परिक्षण से डॉक्टर यह जांच करेंगे कि मूत्र मार्ग में संक्रमण या गुर्दों में पथरी ही कहीं दर्द का कारण तो नहीं है।
  3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests) - मरीज की अपेंडिसाइटिस की पुष्टी करने या दर्द के किसी अन्य कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर पेट का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सी.टी. स्कैन करते हैं। जब निदान की पुष्टी karne ke liye जरूरत पड़ने पर डॉक्टर एमआरआई परिक्षण (MRI Exam), या सी.टी. स्कैन (CT Scan) जैसे टेस्ट कर सकते हैं। इन इमेजिंग टेस्ट से पेट के दर्द के कुछ स्त्रोत डॉक्टर को दिख सकते हैं जैसे:
    1. अपेंडिक्स का फैला हुआ या फटा हुआ होना
    2. सूजन
    3. अपेंडिक्स में किसी प्रकार की रुकावट
    4. फोड़े होना

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) का इलाज - Appendicitis Treatment in Hindi

अपेंडिसाइटिस का इलाज

इसका इलाज आम तौर पर सर्जरी के माध्यम से किया जाता है, जिसकी मदद से अपेंडिक्स को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। हालांकि कुछ शोध से पता चला है कि एक्यूट अपेंटिसाइटिस का इलाज एंटीबायोटिक्स से करने से कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत खत्म हो जाती है।

आम तौर पर अगर अपेंडिसाइटिस होने का सदेंह हो रहा है, तो डॉक्टर रोगी की सुरक्षा के लिए अपेंडिक्स को जल्द ही निकाल देने की सलाह देते हैं ताकि इसके फटने की संभावना को खत्म किया जा सके।  

अगर अपेंडिक्स में कोई फोड़ा पनप जाए तो उससे निजात पाने के लिए दो रास्ते होते हैं - एक तो फोड़े से मवाद या द्रव को बाहर निकालना और दूसरा अपेंडिक्स को शरीर से निकाल देना।

अपेंडिक्स का ऑपरेशन (अपेंडिक्स को निकालने के लिए सर्जरी या अपेन्डेक्टमी; appendectomy)

सर्जरी से पहले मरीज को एंटीबायोटिक दवाईया दी जाती हैं जिससे संक्रमण नहीं हो पाता। 

अपेंडिक्स का ऑपरेशन (जिसे अपेन्डेक्टमी/ एपेन्डेक्टमी भी कहा जाता है) करने के दो विकल्प होते हैं। पहला, इसे ऑपन सर्जरी की तरह किया जा सकता है, जिससे में पेट में एक चीरा दिया जाता है जिसकी लंबाई 2 से चार इंच तक हो जाती है। दूसरा विकल्प है लेपरोस्कॉपिक सर्जरी (laparoscopic surgery)। इस सर्जरी को पेट में कुछ छोटे चीरे लगा कर किया जाता है। लेपरोस्कॉपिक सर्जरी के दौरान एक छोटा वीडियो कैमरा समेत कई स्पेशल सर्जिकल उपकरणों की जरूरत पड़ती है।

सामान्य रूप से लेपरोस्कॉपिक सर्जरी के बाद रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। साथ ही इस दौरान दर्द भी कम होता और निशान भी कम बनते हैं। यह बूढ़े और स्थूल (मोटे) लोगों के लिए बेहतर होती है। मगर लेपरोस्कॉपिक सर्जरी हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि अपेंडिक्स अगर फट गया हो, जिससे संक्रमण अपेंडिक्स से बाहर फैल गया हो या अपेंडिक्स में फोड़ा हो, तो उसके लिए ऑपन सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इससे चिकित्सक अच्छी तरह से पेट की गुहा को साफ कर पाते हैं। एपेंडेक्टॉमी सर्जरी के बाद एक या दो दिन तक मरीज को अस्पताल में रुकना पड़ता है। 

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के नुकसान - Appendicitis Complications in Hindi

अपेंडिसाइटिस की जटिलताएं

अपेंडिसाइटिस में जटिल स्थिति तब उत्पन्न होती है जब संक्रमित और सूजन आई हुई अपेंडिक्स फट जाए। ऐसा होने पर अपेंडिक्स में जमा मल पदार्थ पेट की गुहा को दूषित कर देता है, जिस कारण से पेरिटोनाइटिस (peritonitis; पेरिटोनियम की सूजन - पेरिटोनियम एक ऊतक की परत है जो पेट के अंदरूनी दीवार पर होती है और आपके पेट के सभी अंगों को सहारा देती है) और फोड़े (abscess) हो सकते है।

  1. पेरिटोनाइटिस - जब अपेंडिक्स फट जाता है तो उसमें से निकलने वाले बैक्टीरिया शरीर के बाकी भागों में फैल कर संक्रमण फैला देते हैं। जब संक्रमण पेरिटोनियम में फैलता है तब पेरिटोनाइटिस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पेरिटोनियम, ऊतकों की एक पतली झिल्ली होती है जो पेट के अंदरूनी हिस्से को ढक कर रखती है। अगर पेरिटोनाइटिस का तुरंत इलाज ना किया जाए तो यह लंबे समय तक समस्या उत्पन्न कर सकती है और यहां तक की घातक हो सकता है। पेरिटोनाइटिस के इलाज में एंटीबायोटिक्स का उपयोग और सर्जरी के माध्यम से अपेंडिक्स निकालना शामिल होता है।
  2. पस वाले फोड़े - ये कई बार अपेंडिक्स के फटने के बाद उसके चारों तरफ बनने लग जाते हैं, जो एक दर्दनाक मवाद (पस) से भरे होते हैं। फोड़ा तब उत्पन्न होता है जब संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर प्रयास कर रहा होता है। यह शरीर से अपेंडिक्स को हटाने के लिए सर्जरी के कारण भी हो जाता है। मगर ऐसा 500 मामलों में से 1 ही पाया जाता है। फोड़े का इलाज कई बार एंटीबायोटिक्स के माध्यम से किया जाता है, मगर ज्यादातर मामलों में फोड़े के अंदर से मवाद को निकालना ही पड़ता है। एनेस्थेटिक देकर, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन की मदद से, एक सुईं से मवाद को बाहर निकाल दिया जाता है। और अगर सर्जरी के दौरान कोई फोड़ा दिख जाए तो उसको अच्छे से साफ कर दिया जाता है और एंटीबायोटिक दे दी जाती है।

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में परहेज़ - What to avoid during Appendicitis in Hindi?

अपेंडिक्स के मरीजों को ज्यादा-से-ज्यादा तरल पदार्थ जैसे सूप और जूस को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, साथ ही दिन में कम-से-कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए. अगले दिन से नियमित रूप से डाइट लेनी शुरू करें, जिनमें साबुत अनाज, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हों.

हालांकि अपेंडिक्स के मरीजों को ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, जो कब्ज पैदा करते हैं. इनमें डेयरी प्रोडक्ट, रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड (पिज्जा, फ्रोजन डिनर्स, पास्ता), चीनी से बनीं चीजें (केक, पाई, पेस्ट्री, डोनट्स) और कैफीन युक्त चीजें शामिल हैं. इसके अलावा अपेंडिक्स के मरीजों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां समय पर लेनी चाहिए.

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Appendicitis in Hindi?

अपेंडिसाइटिस के मरीजों के लिए रोजाना खाने के लिए नीचे कुछ उचित खाद्य पदार्थ बताएं गए हैं: 

  1. सुबह उठने के बाद हल्के गुनगुने पानी में एक ताजा निंबू निचोड़ें और एक चम्मच शहद मिला कर सेवन करें।
  2. सुबह के नाश्ते में फल और दूध शामिल करें, अपेंडिसाइटिस के लिए पूर्ण दूध आहार बेहतर रहता है। मगर ये ध्यान में रखना जरूरी होता है कि पूर्ण दूध की सामग्री मरीज बिना किसी समस्या के ले सकता है।
  3. दोपहर के खाने में उबली हुई सब्जी, लस्सी और इनके साथ मकई के आटे की रोटी (tortilla) को भी शामिल किया जा सकता है
  4. दोपहर में ताजे फल और सब्जियों का रस भी लिया जा सकता है।
  5. रात के खाने में ताजी सब्जियों का सलाद, अंकुरित बीज और घर पर बनाया गया पनीर भी शामिल किया जा सकता है।
  6. गाजर का जूस, खीरा और चुकंदर, अपेंडिसाइटिस के मरीजों के लिए काफी सहायक होते हैं।
  7. मेथी के बीज से तैयार चाय, भी मरीज को काफी सुखदायक अनुभव कराती है।

 अपेंडिक्स के ऑपरेश्न (अपेंटडेक्टॉमी) के बाद आहार -

  1. सर्जरी के बाद जब मरीज ठीक होने लगता है, तो उसको संक्रमण से लगातार लड़ने और ठीक होने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए लगातार पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। 
  2. इस दौरान प्रोटीन, विटामिन सी, और फाइबर से भरपूर आहार नियमित रूप से खाने चाहिए। जहां अंडे प्रोटीन और जिंक का अच्छा स्त्रोत हैं वहीं मिर्च पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी प्राप्त होता है। और फाइबर हमें फलों, सब्जियों, फलियों, साबुत अनाज और बीजों से भरपूर मात्रा में मिल जाता है।

अपेंडिक्स का दर्द कैसा होता है? - What does appendicitis pain feel like in Hindi?

अपेंडिक्स एक छोटी थैली है, जो पेट के निचले हिस्से में मौजूद होता है. यह शरीर में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं करता लेकिन यदि अपेंडिक्स किसी वजह से बाधित हो जाए तो यह इंफेक्शन और सूजन का कारण भी बन सकता है. इसे अपेंडिसाइटिस के नाम से जाना जाता है. इलाज के दौरान शरीर के इस हिस्से को ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है.

अपेंडिक्स में पेट के निचले हिस्से में दाहिने तरफ अचानक से तेज दर्द शुरू होता है. यह दर्द आपकी नाभि के पास से भी शुरू हो सकता है और फिर नीचे दाईं तरफ भी जा सकता है. पहली बार में अपेंडिक्स का दर्द ऐंठन जैसा महसूस होता है और खांसने, छींकने या हिलने-डुलने पर यह बढ़ सकता है.

यह दर्द तब तक बना रहता है, जब तक ऑपरेशन के जरिए अपेंडिक्स को निकाल न दिया जाए.

अपेंडिक्स होने पर क्या करना चाहिए?

एपेंडिसाइटिस के लक्षण महसूस करने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें. इसके लिए घरेलू उपचारों पर निर्भर न रहें. एपेंंडिक्स की सर्जरी होने के बाद डॉक्टर ठीक होने के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द की दवा दे सकते हैं. इसके अलावा एपेंडिक्स होने पर इन चीजों का ध्यान रखें -

  • आराम करें
  • खाने में लिक्विड चीजें लें
  • हल्की-फुल्की सैर के लिए जा सकते हैं
  • भारी सामान को उठाने से बचें
  • सर्जरी के वक्त लगे टाकों को सूखा और साफ रखें


संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Appendicitis
  2. National Health Service [Internet]. UK; Overview - Appendicitis
  3. Hanumant P Lohar, Murtuza Ali Asger Calcuttawala, Dakshyani Satish Nirhale, Virendra S Athavale, Manish Malhotra, Nishant Priyadarshi. Epidemiological aspects of appendicitis in a rural setup. 2014; volume 7; D. Y. Patil Medical College, Hospital and Research Center; Pune, Maharashtra.
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  10. National Health Service [Internet]. UK; Overview - Abscess

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के डॉक्टर

Dr. Paramjeet Singh. Dr. Paramjeet Singh. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr. Nikhil Bhangale Dr. Nikhil Bhangale गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr Jagdish Singh Dr Jagdish Singh गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव
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अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Appendicitis in Hindi

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 5 साल पहले

अपेंडिक्स क्या है? क्या यह मनुष्य के शरीर के लिए खतरनाक है?

Dr. Tarun kumar MBBS , Other

अपेंडिक्स का दर्द पेट के दाईं तरफ नीचे होता है। यह बड़ी आंत से फैला हुआ एक ट्यूब के आकार का पाउच है। अगर अपेंडिक्स में प्रॉब्लम हो जाती है और सही समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह पेट में खतरनाक बैक्टीरिया को रिलीज कर सकता है जिससे संक्रमण भी फैल सकता है।

सवाल लगभग 5 साल पहले

अपेंडिक्स शरीर में कैसे फैल सकता है, इसका क्या कारण है?

Dr. Ashish Mishra MBBS , पैथोलोजी

इसके कई कारण हो सकते हैं जिसमें से अपेंडिक्स के अंदर मुंह का हिस्सा ब्लॉक होना और शरीर में कहीं किसी तरह के संक्रमण की वजह से अपेंडिक्स के ऊतकों का बढ़ना शामिल है।

सवाल लगभग 5 साल पहले

क्या अपेंडिसाइटिस में जी मितली भी हो सकती है?

Dr. Surender Kumar MBBS , General Physician

जी हां, अपेंडिसाइटिस में जी मितली होती और पेट के दाईं तरफ के हिस्से में भी बहुत तेज दर्द होता है।

सवाल लगभग 5 साल पहले

क्या अपेंडिसाइटिस बिना लक्षणों के भी हो सकता है?

Dr. Mayank Yadav MBBS , सामान्य चिकित्सा

जी नहीं, अपेंडिसाइटिस लक्षणों के साथ ही होता है लेकिन इसकी शुरुआती अवस्था में हल्का दर्द होता है। लेकिन इसके लक्षण बढ़ने से अपेंडिक्स की प्रॉब्लम भी बढ़ जाती है।