कलाई में फ्रैक्चर होना क्या है?
हमारी कलाई छोटी-छोटी आठ हड्डियों से बनी होती है जो बाजू (Forearm) की दो लंबी हड्डियों से जुड़ी होती है। फ्रैक्चर इन 10 हड्डियों में से किसी भी हड्डी में हो सकता है। फ्रैक्चर एक से ज्यादा हड्डियों में भी हो सकता है। जब कोई व्यक्ति गिरते समय अपने हाथों के बल खुद को संभालने की कोशिश करते हैं और खुले हाथों के बल जमीन या किसी सख्त सतह पर गिरते हैं, तो इस स्थिति में उनकी कलाई की हड्डी टूट जाती है, यह कलाई में फ्रैक्चर होने का सबसे आम कारण होता है।
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कलाई में फ्रैक्चर के लक्षण क्या हैं?
वैसे तो फ्रैक्चर होने पर आपको अपने आप पता चल जाता है। हालांकि, कलाई में फ्रैक्चर होने पर कुछ लक्षण अनुभव होते हैं, जैसे कलाई में दर्द, कलाई की विकृति, हाथ लगाने में दर्द होना, नील पड़ना या सूजन आदि।
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कलाई में फ्रैक्चर क्यों होता है?
कलाई में फ्रैक्चर होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कलाई के भार गिरना, एक्सीडेंट, कलाई से कोई भारी वस्तु टकराना या सीढ़ियों से गिर जाना। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस या कुपोषण के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
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कलाई में फ्रैक्चर का इलाज कैसे होता है?
कलाई के फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए डॉक्टर चोट लगने के तुरंत बाद एक्स रे और सामान्य परीक्षण करते हैं, ताकि फ्रैक्चर की पुष्टि हो सके। इन टेस्ट के आधार पर ही डॉक्टर उचित इलाज चुनते हैं।
हड्डी टूटने पर कलाई को हिलने से बचाना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि फ्रैक्चर जल्दी ठीक हो सके। इसके लिए डॉक्टर आपकी कलाई पर प्लास्टर करते हैं या कोई सख्त धातु कलाई से बांधते हैं ताकि कलाई हिल ना पाए। सूजन और दर्द कम करने के पेन किलर दवाएं व कलाई को ऊपर उठाकर रखने की सलाह दी जाती हैं। प्लास्टर उतरने के बाद अकड़न सही करने के लिए आपको फीजिकल एक्सरसाइज की आवश्यकता हो सकती है। अगर फ्रैक्चर ज्यादा गंभीर है, तो हड्डियों को अपनी जगह पर रखने के लिए सर्जरी की जा सकती है, जिसके द्वारा कलाई में पिन, प्लेट या पेच डाले जाते हैं। इसके अलावा कुछ दुर्लभ मामलों में शरीर के किसी और हिस्से से हड्डी लेकर कलाई की हड्डी को बदला भी जा सकता है।
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