परिचय
सिर की चोट एक ऐसा शब्द है जो सिर के सभी भागों की चोट का वर्णन करता है, जैसे खोपड़ी, मस्तिष्क और सिर के अंदरुनी ऊतकों व रक्तवाहिकाओं में किसी प्रकार की चोट लगना। सिर में चोट कई कारणों से लग सकती है जैसे गिरना, फिसलना, सड़क दुर्घटना और शारीरिक हिंसा आदि।
सिर में चोट लगने के कारण मस्तिष्क के ऊतकों में सूजन या ब्लिडिंग हो सकती है या मस्तिष्क को चारों तरफ से ढकने वाली परत में खून बह सकता है। सिर में चोट लगने के कारण कई बार खोपड़ी की हड्डी नहीं टूटती है लेकिन हड्डी के पीछे मस्तिष्क को चोट लग जाती है, ऐसी स्थिति में सिर बाहर से ठीक लगता है लेकिन मस्तिष्क के अंदर खून बहने लगता है।
सिर में चोट लगने के तुरंत बाद ही उसके लक्षण महसूस होने लग सकते हैं या लक्षण धीरे-धीरे भी विकसित हो सकते हैं, जिसमें कुछ घंटे से कुछ दिनों तक का समय लग सकता है। इन लक्षणों में सिर में चोट लगने से मतली और उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना, याददाश्त चली जाना, उलझन, थकान महसूस होना और शरीर का संतुलन बनाने में कठिनाई महसूस होना आदि शुमार हैं।
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सिर की चोट का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सिर का परीक्षण करते हैं और यह पूछते हैं कि चोट किस प्रकार लगी थी। परीक्षण के दौरान सीटी स्कैन और सिर का एक्स रे भी किया जा सकता है, इन टेस्टों की मदद से यह पता लगाया जाता है कि सिर की चोट कितनी गंभीर है और सिर की हड्डी सुरक्षित है या नहीं।
यदि सिर में चोट लगी है तो उस पर तुरंत ध्यान देना और उसका इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है। सिर की चोट का इलाज चोट की जगह, प्रकार और उसकी गंभीरता के आधार पर किया जाता है। जिन लोगों के सिर में हल्की चोट आई है, तो हो सकता है उनको जांच व लक्षणों को नियंत्रित करने के अलावा कोई अन्य उपचार करवाने की जरूरत ना पड़े। लेकिन जिन लोगों के सिर में गंभीर रूप से चोट आई है, जिससे उनकी सिर की हड्डी टूट गई है या फिर सिर के बाहर या मस्तिष्क के अंदर खून बह रहा है तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
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सिर में चोट लगने से कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे न्यूरोलॉजिकल संबंधी समस्याएं, कोमा और यहां तक कि कुछ गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
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