दिल की विफलता (हार्ट फेलियर, हृद्पात) के कारण कुछ लोगों में हृदय शरीर के अन्य अंगों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। अन्य लोगों में हृदय की मांसपेशियां कठोर और सख्त हो जाती हैं जिस कारण हृदय से रक्त का प्रवाह अवरुद्ध या कम हो जाता है। दिल की विफलता आपके हृदय के दाएँ, बाएँ या दोनों भागों को प्रभावित कर सकता है। यह या तो तीव्र होता है या लंबे समय तक चलता है।
दिल की तीव्र विफलता के लक्षण अचानक महसूस होते हैं लेकिन उनका प्रभाव जल्दी ख़तम हो जाता है। यह आमतौर से दिल के दौरे के बाद होता है या दिल के वाल्व (जो रक्त के प्रवाह का नियंत्रण करते हैं), में समस्या के कारण होता है।
(और पढ़ें - हृदय रोग के लक्षण)
दिल की विफलता के कारण आपके हृदय के कक्ष खिंच सकते हैं ताकि वह आपके शरीर के अन्य अंगो तक ज़्यादा रक्त ले जा सकें। यह कुछ समय तक काम करता है लेकिन कुछ समय बाद इससे आपके दिल के दीवारें कमज़ोर हो जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो द्रव आपके हाथों, टखनों, पैरों, फेफड़ों और अन्य अंगों में जमा होने लगेगा।
भारत में दिल की विफलता अनुमानित तौर पर लगभग 1% या 80-100 लाख व्यक्तियों को होती है।