वैज्ञानिक आधार पर ऐसा माना जाता है कि शरीर में क्रिएटिनन का स्तर बढ़ने का मतलब यह है कि किडनी ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही है. डिहाइड्रेशन, अधिक मात्रा में प्रोटीन और क्रिएटिनन सप्लीमेंट्स लेना आदि कारण हैं, जिनकी वजह से किडनी प्रभावित हो सकती है और शरीर में क्रिएटिनन का लेवल बढ़ सकता है.
इनके अलावा कुछ मेडिकल कंडिशन भी हैं, जो किडनी की कार्यप्रणाली पर असर डालती हैं. इसके चलते शरीर में क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ सकता है. ये मेडिकल कंडिशन कुछ इस प्रकार हैं -
किडनी फेलियर
किडनी फेल होने के कारण इसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है, जिससे रक्त से अच्छी तरह क्रिएटिनिन फिल्टरेशन नहीं हो पाता है. नतीजन हाई क्रिएटिनिन की समस्या उत्पन्न हो जाती है.
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हृदय रोग
क्रिएटिनिन बढ़ने का एक कारण हृदय से जुड़ी समस्या को भी माना जाता है. एक रिसर्च की मानें, तो थेरोस्क्लेरोसिस और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर जैसी समस्या होने पर किडनी की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है. इससे क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ सकता है.
यूरिनरी ट्रैक्ट ब्लॉकेज
किडनी स्टोन, बढ़ा हुआ प्रोस्टेट और ट्यूमर जैसी समस्याओं के कारण यूरिनरी ट्रैक्ट में रुकावट आ सकती है. इससे पेशाब के जरिए क्रिएटिनिन ठीक से बाहर नहीं निकल पाता है, जिससे हाई क्रिएटिनिन की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
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हाई ब्लड प्रेशर
उच्च रक्तचाप की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब आर्टरीज की दीवारों पर रक्त का दबाव ज्यादा होता है. यह किडनी के आसपास के ब्लड वेसल्स को कमजोर कर सकती है. इससे किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है और क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ सकता है.
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी के रक्त को फिल्टर करने वाले भाग में सूजन हो जाती है. इस समस्या में किडनी ठीक तरह से क्रिएटिनिन को फिल्टर नहीं कर पाती है, जिससे क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है.
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डायबिटीज
यह समस्या रक्त में शुगर का लेवल बढ़ने पर उत्पन्न होती है, जो किडनी को भी प्रभावित कर सकती है. इससे क्रिएटिनिन की फिल्टरेशन की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, जिससे क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है.
ड्रग्स टॉक्सिटी
कुछ दवाओं को लेने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है. इससे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो सकती है, जो हाई क्रिएटिनिन का कारण बन सकती है. इन दवाओं में वैंकोमाइसिन, कीमोथेरेपी दवाएं और लिथियम शामिल है.
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