पेप्टिक अल्सर या पेट के अल्सर का निदान
डॉक्टर किस तरह करते हैं पेप्टिक अल्सर का निदान, आइए जानते हैं
सबसे पहले डॉक्टर हमारी पिछिली चिकित्सा संबधी जानकारी के बारे में जानते हैं, शरीरिक स्थिति को देखते हैं और कुछ टेस्ट भी करते हैं।
एंडोस्कोपी (Endoscopy) या एक्स-रे टेस्ट (X-ray test) इन दोनों टेस्ट्स द्वारा पेप्टिक अल्सर का पता लगाया जाता है।
पिछिली चिकित्सा संबधी जानकारी
पेप्टिक अल्सर के निदान और मदद के लिए डॉक्टर लक्षण तथा पिछली दवाओं के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं। जिन दवाओं का उपयोग आपने बिना डॉक्टर की सलाह के किया हो उन्हें जरुर डॉक्टर से साझा करें। खासकर नॉन-स्टेरायडल एंटी इनफ्लेमेंट्री ड्रग्स (NSAIDs) जैसे ऐस्परिन, आईब्यूप्रोफेन, नेपरोक्सन आदि ।
पेप्टिक अल्सर के लिए शरीरिक परीक्षण
अल्सर के निदान में हमारा शरिरिक परिक्षण डॉक्टर के लिए मददग़ार हो सकता है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर परीक्षण के दौरान इन सब के बारे में जांच कर सकते हैं जैसे पेट में सूजन के लिए जांच, हमारे पेट कि आवाज़ को स्टेथस्कोप कि सहायता से सुनने कि कोशिश करते हैं और टेब का इस्तेमाल करके पेट के दर्द और पेट कि कठोरता और नरमीं को जानने कि कोशिश करते हैं।
पेप्टिक अल्सर के लिए लैब टेस्ट
अगर आप हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया से संक्रमित हैं तो डॉक्टर इन टेस्टों के लिए आपको सलाह दे सकते हैं।
लैब टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं
- ख़ून की जांच (ब्लड टेस्ट)
- यूरिया ब्रेथ टेस्ट (Urea breath test)
- मल परीक्षण (Stool test)
1. खून की जांच (ब्लड टेस्ट)
इस परीक्षण में हमारे ख़ून का सैम्पल लिया जाता है और ये देखा जाता है कि हमारे खून में संक्रमण का स्तर सामान्य है या उससे नीचे ।
2. यूरिया ब्रेथ टेस्ट (Urea breath test)
इस टेस्ट में मरीज को एक विशेष तरह का पेय पदार्थ पिलाया जाता है, इस पेय कि वजह से हमारे शरीर में प्रोटीन का विभाजन होता है और अगर मरीज के शरीर में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया उपस्थित होते हैं तो, ये इस अपशिष्ट उत्पाद को कार्बन-डाइऑक्साइड में बदल देते हैं और जब हम सांस छोड़ते हैं तो ये दिखाई देते हैं। उसके बाद हमारी सांस का सैम्पल लिया जाता है और उसके परिक्षण के लिए लैब में भेजा जाता यदि मरीज के सैंम्पल में कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में पाया जाता है तो इसका मतलब हमारे पेट में या आंत में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया उपस्थित हैं।
3. मल परीक्षण (Stool test)
मल परीक्षण में मरीज के मल को डॉक्टर लैब में भेजता है और उसका परीक्षण किया जाता है। मल में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया का पता लगाया जाता है।
पेप्टिक अल्सर के परीक्षण के दो और तरीक़े
- अपर गैस्ट्रोइन्टेस्टनल एंडोस्कोपी (Upper gastrointestinal (GI) endoscopy and biopsy) एवं बायोप्सी
- कम्प्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (Computerized tomography ,CT scan)
अपर गैस्ट्रोइन्टेस्टनल एंडोस्कोपी (Upper gastrointestinal (GI) endoscopy and biopsy) और बायोप्सी में अपर जीआई एन्डोस्कोपी टेस्ट के दौरान डॉक्टर (गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट), सर्जन या कोई अन्य प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवर एन्डोस्कोप का उपयोग कर रोगी के जी.आई. ट्रैक्ट (GI tract) को भीतर से जानने का प्रयास करते हैं यह पूरी प्रक्रिया अस्पताल में होती है। टेस्ट के दौरान शिरा इंजेक्सन को रोगी के बांह में लागाया जाता है तथा सीडेटिव (sedative, इक प्रकार का दर्दनिवारक दवा) जो कि इस एन्डोस्कोपी टेस्ट के दौरान रोगी को राहत पहुंचाता है। अगर किसी कारण बस रोगी को बेहोशी का इन्जेक्सन नहीं दिया जाता है तो उस स्थिति में एक विशेष प्रकार के तरल पेय से कुल्ला कराया जाता है या गले के पीछे वाले हिस्से में बेहोशी वाला स्प्रे लगाया जाता है। कंप्यूटर के मॉनिटर में वीडियो इमेज भेजने के लिए एन्डोस्कोपी में एक बहुत ही छोटा सा कैमरा लगाया जाता है। हमारे पेट और डूअडीनल (duodenal) में एन्डोस्कोपी के द्वारा पम्प किया जाता है जिससे कि जी.आई. ट्रैक्ट के ऊपरी परत का करीब से निरीक्षण किया जा सके।
1. ऊपरी जी आई श्रृंखला (Upeer GI series)
ऊपरी जी.आई. श्रृंखला (Upeer GI series) इसके तहत हम उपरी जी.आई. ट्रैक्ट की संरचना को जानने का प्रयास करते हैं।
अपर जी.आई सिरीज (Upper GI series)
अपर जी.आई सिरीज (Upper GI series) से हमें ऊपरी जी.आई ट्रैक्ट (GI tract) के आकार का पता चलता है। इस टेस्ट को अस्पताल में किया जाता है। रेडियोलोजिस्ट एक्स-रे के फ़ोटो को देख कर इसका पता लगता है। इस टेस्ट में रोगी को बेहोश नहीं किया जाता है। डॉक्टर, रोगी को टेस्ट के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए और साथ में किन-किन सावधानियों का ध्यान रखाना चाहिए सबकुछ बताते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान, आप एक एक्स-रे मशीन के सामने खड़े होंते हैं या बैठते हैं साथ ही बेरियम (Barium ) जो कि एक तरल पदार्थ है, मरीज के भोजन नलिका, पेट और छोटी आंत में एक आवरण बनाने का काम करता है, जिसकी वजह से डॉक्टर रोगी के अंगों के आकार को एक्स-रे के माध्यम से ज़्यादा स्पष्ट रूप से देख पाते हैं।
परीक्षण के बाद थोड़े समय के लिए रोगी को सूजन और घबराहट हो सकती है। इस प्रक्रिया के कई दिनों बाद तक बेरियम के कारण आपका मल सफ़ेद या हल्के रंग का हो सकता है। एक अच्छे डॉक्टर से हमेशा रोगी को परीक्षण के बाद खाने, पीने के बारे में सलाह लेनी चाहिए।
2. कम्प्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी सीटी स्कैन (CT scan)
सीटी स्कैन (CT scan) में एक्स-रे और कंप्यूटर तकनीक का इस्तेमाल करके चित्र बनाता है। सीटी स्कैन के लिए, डॉक्टर रोगी को पीने के लिए एक घोल या एक विशेष प्रकार के द्रव्य वाला इंजेक्शन देते हैं। इस प्रक्रिया के लिए रोगी एक टेबल पर लेटता है जो कि एक सुरंग के आकर के यन्त्र में फिसलता है और एक्स-रे करता है। एक्स-रे अस्पताल में किया जाता है और रेडियोलॉजिस्ट एक्स-रे में बने चित्र की व्याख्या करता है। इस प्रक्रिया के लिए रोगी को बेहोश करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
पेप्टिक अल्सर, जो कि रोगी के पेट और छोटी आंत की दीवार में छेद बना देते हैं। सीटी स्कैन (CT scan) के द्वारा इसके निदान करने में मदद मिलती है।