निद्रा रोग क्यों होता है?
निद्रा रोग के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं, जैसे:
खर्राटे या स्लीप एप्निया:
यह ऊपरी श्वसन तंत्र में किसी प्रकार की रुकावट के कारण हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया हो जाता है। इसके अलावा यदि मस्तिष्क सांस लेने की प्रक्रिया को शुरु करने में विफल हो जाता है, तो भी यह समस्या हो जाती है।
शरीर का वजन ज्यादा होना या मोटापा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के सबसे आम कारण हैं। क्योंकि मोटापे से मुंह व गले के नरम ऊतक भी प्रभावित हो जाते हैं। नींद के दौरान जब गले व जीभ की मांसपेशियां शांत होती हैं, ये नरम ऊतक श्वसन मार्गों को अवरुद्ध कर देते हैं। लेकिन वयस्कों में ऐसे कई अन्य कारक भी हो सकते हैं, जो खर्राटे या स्लीप एप्निया से जुड़े हो सकते हैं।
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नींद ना आना (Insomnia):
अनिद्रा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति उतनी नींद नहीं ले पाता जिससे उसकी थकान कम हो जाए। इस स्थिति के कारण व्यक्ति को नींद नहीं आती या फिर जल्दी आंख खुल जाती है। नींद ना आने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, विमान यात्रा से होने वाली परेशानी, स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या, किसी प्रकार की दवा खाना और यहां तक कि अधिक मात्रा में पी गई कॉफी भी नींद को प्रभावित कर सकती है। अनिद्रा किसी अन्य निद्रा रोग जैसे चिंता या डिप्रेशन के कारण भी हो सकती है।
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पैरासोम्निया (Parasomnias):
पैरासोम्निया में होश ना रहना जैसी समस्याएं शामिल हैं। इनमें नींद में डरना, नींद में चलना, नींद में खाना, सोते समय आंख हिलना (REM behavior disorder) आदि शामिल हैं। इसके अलावा ऐसे बहुत सारे व्यवहार हो सकते हैं, जो सोते समय व्यक्ति में देखने की मिलते हैं।
पैरासोम्निया अक्सर पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बीमारी है और इसलिए कई मामलों में यह शायद एक आनुवंशिक कारक भी हो सकता है। पैरासोम्निया के कुछ मामले मस्तिष्क संबंधी विकार के कारण भी हो सकते हैं, जैसे सोते समय आंख तेजी से हिलना आदि। कुछ अन्य निद्रा रोग जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया या कुछ निश्चित प्रकार की दवाएं भी पैरासोम्निया का कारण हो सकते हैं।
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नार्कोलेप्सी (Narcolepsy):
नार्कोलेप्सी निद्रा रोग है। नार्कोलेप्सी का कारण ज्यादातर मामलों में हाइपोक्रेटीन की कमी को माना जाता हैं। हाइपोक्रेटीन मस्तिष्क का केमिकल होता है, जो नींद की प्रक्रिया को चलाता है। यह एक न्यूरोट्रांसमीटर भी है, जिसकी मदद से सिग्नल भेजे जाते हैं। आप सो रहे हैं या कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के साथ (या फिर मस्तिष्क में न्यूरोन्स के साथ) काम करते हुऐ जाग रहे हैं, इसको नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जब प्रतिरक्षा प्रणाली किसी गड़बड़ी के कारण मस्तिष्क के किसी ऐसे हिस्से को क्षति पहुंचाने लग जाती है, जो हाइपोक्रेटीन बनाता है, तो इस केमिकल की कमी होने लग जाती है।
क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम (Chronic Fatigue Syndrome):
इस रोग में मरीज को बहुत अधिक थकान महसूस होती है, जो पर्याप्त आराम करने पर भी ठीक नहीं हो पाती है और यहां तक कि थोड़ी बहुत शारीरिक गतिविधि करने के बाद बदतर हो जाती है।
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विमान यात्रा में होने वाली थकान (Jet Lag):
यह एक थोड़े से समय के लिए रहने वाली समस्या है, जो अलग-अलग समय क्षेत्रों (Time zones) में यात्रा करने से होती है। इसमें मरीज के शरीर का बॉडी क्लॉक सामान्य समय से अलग हो जाता है इसलिए उसको थकान, नींद ना आना, जी मिचलाना व अन्य परेशानियां होने लग जाती हैं।
पैर हिलाने की बीमारी (Restless Legs Syndrome):
यह तंत्रिका संबंधी विकार है जिसमें टांग में एक अजीब की तकलीफ पैदा हो जाती है और उसे लगातार हिलाने का मन करता है। यह मस्तिष्क के केमिकल (न्यूरोट्रांसमीटर) किसी प्रकार की असामान्यता से भी जुड़ा हो सकता है, क्योंकि ये केमिकल मांसपेशियों के हिलने ढुलने में मदद करते हैं। इसके अलावा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की असामान्यता के कारण भी यह पैर हिलने की बीमारी हो सकती है।
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