वाहिकाशोथ क्या है?
रक्त वाहिकाओं में सूजन व लालिमा होने की स्थिति को वाहिकाशोथ कहा जाता है। यह तब होता है, जब शरीर में किसी प्रकार की गड़बड़ी के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली रक्तवाहिकों को क्षतिग्रस्त करने लग जाती है। वाहिकाशोथ में धमनियां, नसें व केशिकाएं भी प्रभावित हो जाती हैं।
धमनियां हृदय से शरीर के अन्य अंगों तक खून पहुंचाती हैं। नसें वे रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो खून को वापस अंगों से हृदय तक लेकर जाती हैं। केशिकाओं का मुख्य काम नसों व धमनियों को आपस में जोड़ना होता है।
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वाहिकाशोथ के लक्षण क्या हैं?
वाहिकाशोथ के लक्षण व संकेत काफी अलग-अलग हो सकते हैं। इसके लक्षण मुख्य रूप से शरीर में खून का बहाव कम होने से पैदा होते हैं। वाहिकाशोथ के प्रकार के अनुसार उसके लक्षण व संकेत भी अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ ऐसे लक्षण जो लगभग सभी प्रकार के वाहिकाशोथ में होते हैं, जैसे:
- बुखार
- सिरदर्द
- थकान
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- रात के समय पसीने आना
- त्वचा पर चकत्ते
- नसों संबंधी समस्याएं जैसे कमजोरी महसूस होना या सुन्न होना
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वाहिकाशोथ क्यों होता है?
कई मामलों में वाहिकाशोथ के कारण का पता नहीं चल पाता है। लेकिन कुछ मामलों में यह मरीज को हुए संक्रमण के कारण भी हो सकता है, इस कुछ निश्चित प्रकार के वायरस से होने वाले संक्रमण शामिल हैं। कभी-कभी किसी प्रकार की दवा के कारण होने वाले एलर्जिक रिएक्शन के कारण भी वाहिकाशोथ हो सकता है।
इसके अलावा वाहिकाशोथ के कुछ मामले प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी बीमारियों से भी जुड़े हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को कुछ महीनों से प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी कोई रोग है, तो उसको वाहिकाशोथ होने का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए वाहिकाशोथ कुछ प्रकार के रोगों की जटिलता के रूप में भी विकसित हो सकता है, जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस और लुपस आदि।
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वाहिकाशोथ का इलाज कैसे किया जाता है?
वाहिकाशोथ का इलाज पूरी तरह से रोग के परीक्षण और रोग से प्रभावित हुए अंगों पर निर्भर करता है। यदि वाहिकाशोथ किसी एलर्जिक रिएक्शन के कारण हुआ है, तो इसका इलाज करने की जरूरत नहीं होती यह अपने आप ठीक होने लग जाता है।
कुछ मामलों में जब शरीर का कोई मुख्य अंग जैसे फेफड़े, मस्तिष्क या किडनी क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो इसका इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ जाती है।
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