वायरल इन्फेक्शन - Viral Infection in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

August 19, 2018

September 04, 2023

वायरल इन्फेक्शन
वायरल इन्फेक्शन

वायरल इंफेक्शन क्या है? 

वायरस बहुत ही सूक्ष्म प्रकार के रोगाणु होते हैं। ये प्रोटीन की परत के अंदर एक जेनेटिक सामग्री के बने होते हैं। वायरस कई जानी पहचानी बीमारियां फैलाते हैं जैसे सामान्य जुकाम, फ्लू और मस्से आदि। इनके कारण कई गंभीर बीमारी भी पैदा हो जाती है जैसे एचआईवी एड्स, चेचक और इबोला

निगलने या सांस लेने, कीट के काटने या सेक्स के द्वारा यह वायरस लोगों के शरीर के अंदर घुस जाता है। वायरल इन्फेक्शन से आमतौर पर सबसे अधिक नाक, गला और ऊपरी वायुमार्ग प्रभावित होते हैं।

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ये जीवित व सामान्य कोशिकाओं पर हमला करते हैं और अपने जैसे अन्य वायरस पैदा करने के लिए इन कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हैं। जिस कारण से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाती हैं या उनके रंग में बदलाव आ जाता है जिससे आप बीमार पड़ जाते हैं। विभिन्न प्रकार के वायरस शरीर की अलग-अलग कोशिकाओं पर हमला करते हैं जैसे आपका लीवर, श्वसन प्रणाली या खून आदि।

कई बात जब आप इस वायरस की चपेट में आते हैं तो पूरी तरह से इसके लक्षण स्पष्ट नजर नहीं आते। कई बार आपका इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र इन लक्षणों को पूरी तरह से उभरने भी नहीं देता। ऐसे में आपके चिकित्सक आपको जो दवाएं देते हैं वे आपके लक्षणों, ब्लड टेस्ट, कल्चर टेस्ट और प्रभावित ऊतकों के अध्ययन पर आधारित होती है। 

अधिकतर वायरल इन्फेक्शन की स्थितियों में, उपचार केवल लक्षणों में सुधार करने में मदद कर पाते हैं। जबकि पूरी तरह से ठीक होने के लिए आपको प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा वायरस से लड़ने का इंतजार करना पड़ता है। ध्यान दें कि एंटीबायोटिक्स द्वारा वायरल इंफेक्शन को ठीक नहीं किया जा सकता। इसके लिए विशेष तौर से एंटीवायरल दवाएं होती है। साथ ही, टीकाकरण भी आपको कई सारी वायरल बीमारियों से बचाता है। इसी तरह एंटी वायरल दवाएं, वायरस के बढ़ने को रोकती हैं और साथ ही साथ तंत्रिका तंत्र को वायरल इंफेक्शन से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता देती है। 

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं)

वायरल इन्फेक्शन के प्रकार - Types of Viral Infection in Hindi

वायरल इन्फेक्शन कितने प्रकार का हो सकता है?

  • तीव्र इन्फेक्शन, जो थोड़े समय तक ही रहता है।
  • दीर्घकालिक इन्फेक्शन, जो हफ्ते, महीने या फिर जीवनभर तक रह सकता है।
  • गुप्त इन्फेक्शन, जिसके शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते लेकिन कुछ महीनों या सालों के अंतराल पर यह वायरस पुनः सक्रिय होकर हमला कर देता है। 

(और पढ़ें - इन्फेक्शन का इलाज)

कुछ सामान्य वायरस जिनमें निम्न शामिल हैं:

(और पढ़ें - चिकन पॉक्स के घरेलू उपाय)

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वायरल इन्फेक्शन के लक्षण - Viral Infection Symptoms in Hindi

वायरल इन्फेक्शन में क्या लक्षण महसूस हो सकते हैं?

वायरल इन्फेक्शन के साथ कई प्रकार के लक्षण होते हैं जो बेहद कम से लेकर काफी गंभीर तक हो सकते हैं। इसके लक्षण वायरस के प्रकार, शरीर का कौनसा हिस्सा प्रभावित हुआ है, व्यक्ति की उम्र और ग्रस्त व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं।

निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं:

और अधिक गंभीर लक्षण जिनमें निम्न शामिल हैं:

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वायरल इन्फेक्शन में हर एक व्यक्ति के लक्षण एक दूसरे से अलग हो सकते हैं क्योंकि यह इंफेक्शन पूरी तरह उनके बॉडी सिस्टम (शरीर के प्रतिक्रया देने के ढंग पर आधारित है) 

श्वसन इन्फेक्शन – इसमें नाक, गला, ऊपरी वायुमार्ग और फेफड़ों का संक्रमण हो जाता है

श्वसन का सबसे आम इन्फेक्शन, ऊपरी श्वसन तंत्र में इन्फेक्शन होता है जिसमें निम्न शामिल है:

अन्य वायरल श्वसन संक्रमणो में इन्फ्लूएंजा और निमोनिया आदि शामिल हैं।

शिशुओं, वृद्ध लोगों और जिन लोगों को फेफड़े या हृदय संबंधी विकार हैं उनमें श्वसन इन्फेक्शन आमतौर पर अधिक गंभीर लक्षण पैदा करता है।

वायरल इन्फेक्शन में अक्सर सामान्य जुकाम होता है, जिसमें आमतौर पर निम्न लक्षण शामिल होते हैं:

हालांकि जुकाम, नाक और गले का एक सामान्य और मामूली सा संक्रमण होता है, जो 2 दिन से 2 हफ्ते तक रह सकता है।

“इन्फ्लूएंजा” को “फ्लू” के नाम से भी जाना जाता है, यह भी वायरस के कारण होने वाला श्वसन संक्रमण होता है। फ्लू कुछ तरीकों से सामान्य जुकाम से अलग होता है। फ्लू के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)

अन्य कुछ प्रकार के वायरस शरीर के अन्य विशेष भाग को संक्रमित करते हैं:

  • गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (जठरांत्र प्रणाली): जठरांत्र प्रणाली में इन्फेक्शन जैसे कि पेट में इन्फेक्शन (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) आदि सामान्य रूप से वायरस के कारण पैदा होती हैं जिसके लक्षणों में दस्त और/उल्टी आदि शामिल हैं। गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षणों में निम्न भी शामिल हो सकते हैं:
    • बिना उल्टी के या उल्टी के साथ जी मिचलाना
    • दस्त
    • हल्का बुखार
    • पेट में दर्द
       
  • लीवर: इस इन्फेक्शन से हेपेटाइटिस हो जाता है। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस सी का इलाज)
     
  • तंत्रिका प्रणाली: रेबीज वायरस जैसे कुछ वायरस मस्तिष्क को संक्रमित करते हैं जिससे इन्सेफेलाइटिस विकसित हो जाता है। अन्य वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढंकने वाले ऊतकों की परत को संक्रमित करते हैं, जिससे मेनिनजाइटिस या पोलियो हो सकता है। (और पढ़ें - मस्तिष्क संक्रमण का इलाज)
     
  • त्वचा: वायरल इन्फेक्शन जो त्वचा को संक्रमित करता है, कभी-कभी मस्से या अन्य धब्बे आदि पैदा करत देता है। कई प्रकार के वायरस हैं जो शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करते हैं जैसे कि चिकनपॉक्स और चकत्ते आदि भी पैदा कर सकते हैं। चिकनपॉक्स एक संक्रामक रोग होता है। ज्यादातर मामलों में यह 15 साल से कम के बच्चों में होता है लेकिन यह 15 साल से ऊपर के बच्चों और वयस्कों को भी हो सकता है। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
    • खुजलीदार चकत्ते – ये छाले या फफोले के जैसे चकत्ते होते हैं जो आमतौर पर चेहरे, खोपड़ी और धड़ पर दिखाई देते हैं।
    • बुखार
    • सिर दर्द
       
  • हर्पीस: हर्पीस जैसे इन्फेक्शन हर्पिज सिम्पलेक्स वायरस (HSV) के कारण फैलते हैं। यह संक्रमण मुंह, जननांग और गुदा क्षेत्र को संक्रमित कर देते हैं। ओरल (मुंह का) हर्पिस मुंह और चेहरे के आसपास घाव पैदा कर देता है, जबकि जेनिटल हर्पिस जननांगों और गुदाक्षेत्र में घाव विकसित करता है। यौन अंगों पर होने वाले हर्पिज को यौन संचारित रोग (STD) के नाम से जाना जाता है। यह यौन संपर्क के माध्यम से जननांगों और मुंह में फैलता है। कुछ प्रकार के वायरस आमतौर पर कई बॉडी सिस्टम को प्रभावित कर देते हैं।

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

लगभग सभी को अपने जीवन में कम से कम एक बार फ्लू या कोई गंभीर जुकाम जरूर होता है। ऐसे में वायरल इंफेक्शन को बहुत अधिक गंभीर नहीं माना जाता। हालांकि, कई बार यह इंफेक्शन बेहद तकलीफदेह भी हो जाते हैं। ऐसे में हम यहां आपको कुछ ऐसी परिस्थितियों के बारें में बता रहे है जो यदि आपके साथ हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए: 

  • सांस फूलना
  • त्वचा पर नए लाल चकत्ते या निशान दिखाई देना।
  • यदि लक्षण सात दिनों से अधिक समय तक महसूस हो रहे हैं।
  • तेज बुखार जो सात दिन से अधिक समय तक रहता है। 

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वायरल इन्फेक्शन के कारण - Viral Infection Causes & Risks in Hindi

वायरल इन्फेक्शन क्यों होता है?

वायरस मानव शरीर में किसी भी छेद द्वारा शरीर में प्रवेश सकते हैं, लेकिन वायरस के घुसने की सबसे ज्यादा संभावना नाक और मुंह होती है। जब एक बार वायरस शरीर के अंदर पहुंच जाता है, तो यह खुद को बाहरी कुछ इस प्रकार की कोशिकाओं से जोड़ लेता है जिस पर यह हमला करता है।

जिन कोशिकाओं पर वायरस हमला करता है उनको होस्ट सेल (Host cell) कहा जाता है। वायरस का कोशिका में प्रवेश करने के बाद, वायरस होस्ट कोशिका के प्रोटीन से अपने जैसे वायरस बनाना शुरू कर देते हैं। ये नए वायरस होस्ट कोशिका की झिल्ली के अंदर से और कभी-कभी कोशिका को नष्ट करके अपना रास्ता बनाते हैं। जिसके बाद वे नई कोशिका पर आक्रमण करते हैं। यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक शरीर पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज और अन्य सुरक्षाओं (Defences) का निर्माण नहीं कर लेता, जो वायरल इन्फेक्शन के वायरस से लड़ती हैं।

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वायरल इन्फेक्शन निम्न में से किसी एक तरीके से फैल सकता है:

  • जुकाम से ग्रस्त व्यक्ति अपने खांसी व छींक के साथ इन्फेक्शन को फैला सकता है।
  • इन्फेक्शन से ग्रस्त व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने से भी बैक्टीरिया या वायरस दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
  • गंदे हाथों से भोजन को छूने से वायरस या बैक्टीरिया आंत में फैल जाते हैं।
  • शरीर के द्रव – जैसे खून, लार और वीर्य आदि में भी संक्रमित जीव होते हैं और इन द्रवों का संचारण होना जैसे उदाहरण के लिए इन्जेक्शन या यौवन संपर्क आदि के साथ एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने से भी इन्फेक्शन फैलता है। ऐसे में विशेष रूप से हेपेटाइटिस और एड्स जैसे इन्फेक्शन फैलते हैं। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी का इलाज)

(और पढ़ें - वायरल फीवर का इलाज)

वायरल इन्फेक्शन से बचाव - Prevention of Viral Infection in Hindi

वायरल इन्फेक्शन की रोकथाम कैसे करें?

  • अपने हाथों को अच्छी तरह से धोते रहें (जुकाम होने से बचाव रखने का यह सबसे बेहतर तरीका होता है)
  • ऐसे व्यक्ति के साथ हाथ मिलाना जोखिम भरा हो सकता है, जिसको जुकाम है। इसलिए इसके बाद तुरंत हाथों को धोएं और हाथ धोएं बिना मुंह, नाक व आंखों आदि को ना छूएं।
  • खाने को पका कर एवं बाद में ठंडा करके ही काम में लेना चाहिए। 
  • सब्जियों और मीट आदि को अलग-अलग जगह पर रखना चाहिए और इनको अलग-अलग चोपिंग बॉर्ड पर काटना चाहिए।
  • मीट को अच्छी तरह से कीटाणु रहित करके स्वच्छता से रखा जाना चाहिए।
  • यह बात याद रखें कि जिस खाद्य पदार्थ में ये अदृश्य जीव (वायरस) होते हैं उनसे किसी प्रकार की बदबू नहीं आती।
  • जब खाना पकाया जाता है तो कुछ प्रकार के जीव मर जाते हैं लेकिन वे फिर भी उसमें कुछ विषाक्त पदार्थ छोड़ जाते हैं। ये विषाक्त पदार्थ उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
  • यौन संबंध बनाने के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने से यौन संचारित रोग फैलने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। (और पढ़ें - सेक्स करने का तरीका)
  • टीकाकरण द्वारा कुछ वायरल बीमारियों  के जोखिम को कम किया जा सकता है। टीकाकरण से कई प्रकार के इन्फेक्शन होने से बचाव किया जा सकता है। जिनमें फ्लू, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, चिकन पॉक्स, शिंगल्स (Shingles), कैंसर का कारण बनने वाले उपभेद एचपीवी (Human papillomavirus), मीजल्स/ मम्प्स/ रूबेला (MMR), पोलियो, रेबीज, रोटावायरस और अन्य कई प्रकार के वायरस शामिल हैं। टीके की प्रभावशीलता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक खुराक की मात्रा अलग-अलग होती है। प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिए कुछ टीकों में बूस्टर शॉट की आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - ब्लड इन्फेक्शन का इलाज)

वायरल इन्फेक्शन का परीक्षण - Diagnosis of Viral Infection in Hindi

वायरल इन्फेक्शन की जांच कैसे की जा सकती है?

वायरल इन्फेक्शन का परीक्षण आमतौर पर शारीरिक लक्षणों और बीमारी की पिछली जानकारी पर आधारित होता है। इन्फ्लूएंजा जैसे कोई स्थिति जो वायरस के कारण होती है, इसकी जांच करना सामान्य तौर पर आसान होता है क्योंकि ज्यादातर लोग लक्षणों से परिचित होते हैं। अन्य प्रकार के वायरल इन्फेक्शन का पता लगाना कठिन हो सकता है और इनके लिए कुछ प्रकार के टेस्ट भी करने पड़ सकते हैं।

वायरल इन्फेक्शन के लिए किये जाने वाले कुछ टेस्ट, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • ब्लड टेस्ट: वायरस के खिलाफ शरीर द्वारा बनाई जाने वाली एंटीबॉडी की जांच करने के लिए या फिर खुद वायरस द्वारा बनाए जाने वाले एंटीजन (Antigens) की जांच करने के लिए खून का परीक्षण किया जात है। (और पढ़ें - एचबीए 1 सी परीक्षण क्या है)
  • कल्चर: खून, शरीर के द्रव या संक्रमित क्षेत्र से ली गई सामग्री को कांच की स्लाइड पर रखकर उसकी जांच करना। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टेस्ट)
  • स्पाइनल टैप (Spinal tap): इस प्रक्रिया में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (Cerebrospinal fluid) का परीक्षण करने के लिए सैंपल लिया जाता है। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस सी टेस्ट)
  • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR): इस तकनीक का उपयोग वायरल जेनेटिक सामग्री की की कॉपियां बनाने के लिए किया जात है। जो डॉक्टरों को तेजी से और सटीक रूप से वायरस की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
  • एमआरआई (MRI): यह एक इमेजिंग टेस्ट प्रक्रिया होती है जिसकी मदद से टेम्पोरल लोब में बढ़ी हुई सूजन की जांच करने के लिए किया जाता है।

(और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या है)

वायरल इन्फेक्शन का इलाज - Viral Infection Treatment in Hindi

वायरल इन्फेक्शन का उपचार क्या है?

वायरल इन्फेक्शन फैलाने वाले वायरस के कई प्रकारों के लिए कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। हालांकि, कई सारी चीजें हैं जो कुछ प्रकार के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • निर्जलीकरण: खूब मात्रा में तरल, कभी-कभी नसों के द्वारा (Intravenously) भी दिया जाता है। (और पढ़ें - नारियल पानी के फायदे)
  • दस्त: इसमें कभी-कभी लोपेरामाइड (Loperamide) दवा दी जाती है।
  • बुखार और दर्द: एसिटामिनोफेन या नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs) (और पढ़ें - बच्चे के बुखार का इलाज)
  • मतली और उल्टी:  इसमें एक साफ तरल आहार दिया जाता है और कभी-कभी एंटीमेटिक (मतली रोकने वाली दवाएं) दी जाती है, जैसे ओन्डेनस्टेरॉन (Ondansetron)
  • चकत्ते : इनको ठीक व नम बनाए रखने वाली क्रीम और कभी-कभी खउजली के लिए एंटीहिस्टामिन दवाएं भी दी जाती हैं।
  • नाक बहना: इस समस्या के लिए कई बार नेजल डीकॉजेस्टैंट लिखे जाते हैं जैसे फेनाइलफेरीन (Phenylephrine) या फेनाइलपैनोलामाइन (Phenylpropanolamine)।
  • गले में दर्द: गले को शांत करने के लिए कई बार गले को सुन्न करने वाली लोजेंज (मीठी गोलियां) दी जाती हैं, जिनमें बेन्जोकेइन (Benzocaine) या डाइक्लोनाइन (Dyclonine) शामिल होता है।

(और पढ़ें - टॉन्सिल के घरेलू उपाय)

जिन लोगों को ये लक्षण महसूस होते हैं उनको सभी को इलाज करवाने की जरूरत नहीं होती। यदि लक्षण बेहद कम हैं, तो उनके अपने आप जाने की प्रतीक्षा करना बेहतर होता है। कुछ उपचार शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

एंटीवायरल दवाएं:

जो दवाएं वायरल इन्फेक्शन से लड़ती हैं उन्हें एंटीवायरल दवाएं कहा जाता है। ऐसे कई प्रकार के वायरल इन्फेक्शन हैं जिनके लिए कोई प्रभावी एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं हैं।

एंटीवायरल दवाएं मानव कोशिकाओं के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं। इसके अलावा, इनसे जुडी एक दिक्क्त यह भी है कि इन समस्याओं का वायरस भी एंटीवायरल दवाओं के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेते हैं।

अन्य एंटीवायरल दवाएं, वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती हैं। इन द्वाओं में कुछ प्रकार के इंटरफेरॉन (Interferons), इम्युनोग्लोबुलिन (Immunoglobulins) और टीके आदि शामिल हैं।

  • इंटरफेरॉन दवाएं - ये दवाएं स्वाभाविक रूप से बनने वाले पदार्थों से ही बनी होती हैं, जो वायरल रेप्लिकेशन को रोकती या धीमा करती हैं।
  • इम्यून ग्लोबुलिन - यह एंटीबॉडीज़ का एक रोगाणुरहित घोल (Sterilized solution) होता है, जो कुछ लोगों के समूह से जमा किया जाता है।
  • वैक्सीन (टीके) - इनमें ऐसी सामग्री होती है जो शरीर के प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके इन्फेक्शन की रोकथाम करने में मदद करती है।

(और पढ़ें - टीकाकरण चार्ट)

संक्रमण को रोकने के लिए वायरस के संपर्क में आने से पहले ही कई इम्यून ग्लोबुलिन और टीके दिए जाते हैं। कुछ इम्यून ग्लोबुलिन और कुछ वैक्सीन जो रेबीज और हेपेटाइटिस बी के लिए इस्तमाल किए जाते हैं, उनका प्रयोग वायरस के संपर्क में आने के बाद उसकी प्रतिरोधी तैयार करने और उसके इंफेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए किया जाता है। इम्यून ग्लोबुलिन का इस्तेमाल कुछ अन्य प्रकार के संक्रमणों का इलाज करने के लिए भी किया जाता है।

ज्यादातर एंटीवायरल दवाओं को मुंह द्वारा दिया जाता है। कुछ दवाओं को नसों में टीका (Intravenously) या मांसपेशियों में टीका (Intramuscularly) लगाकर दिया जाता है। जबकि कुछ एंटीवायरल दवाओं को लेप, क्रीम, आइड्रोप और पाउडर के रूप में दिया जाता है। पाउडर को सांस के द्वारा खींचा जाता है।

वायरल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक प्रभावी दवा नहीं है, लेकिन यदि किसी व्यक्ति को वायरल इन्फेक्शन के अलावा बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी है, तो अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - यूरिन इन्फेक्शन का इलाज)



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Viral Infections
  2. Government of South Australia. Viral Respiratory Infections– including symptoms, treatment and prevention. Department for Health and Wellbeing. [Internet]
  3. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Infections – bacterial and viral
  4. National Organization for Rare Disorders [Internet], Viral infections
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Diseases & Conditions A-Z Index

वायरल इन्फेक्शन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Viral Infection in Hindi

वायरल इन्फेक्शन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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