इंसुलिन एक हार्मोन है जो ब्लड शुगर से एनर्जी का उत्पादन करने में शरीर की मदद करता है। लिहाजा इंसुलिन, शरीर में ब्लड शुगर के लेवल को मेनटेन रखने में मदद करता है। लेकिन कुछ मामलों में, हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट यानी प्रतिरोधी हो जाता है और ब्लड ग्लूकोज (शुगर) का लेवल तेजी से बढ़ने लगता है, जिसके बाद व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या हो जाती है। हालांकि, पूरी तरह से स्वस्थ होने और डायबिटिक होने के बीच भी एक स्टेज है, जिसे- प्री डायबिटीज कहते हैं।
प्री डायबिटीज एक शुरुआती संकेत है जो यह बताता है कि आपको आगे चलकर कुछ समय बाद डायबिटीज हो सकता है। चूंकि प्री डायबिटीज के संकेत स्पष्ट रूप से नजर नहीं आते हैं, लिहाजा यह समस्या अक्सर डायग्नोज नहीं हो पाती है। कोई व्यक्ति जिसे प्री डायबिटीज है जब वे अपना ब्लड टेस्ट करवाते हैं तो उनका ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य लिमिट से अधिक निकलता है, लेकिन उतना भी अधिक नहीं कि उसे डायबिटीज माना जा सके।
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प्री डायबिटीज इस बात का संकेत है कि अगर आपने अपनी जीवनशैली में तुरंत बदलाव नहीं किया तो आपको जल्द ही टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। अस्वास्थ्यकर आदतें जैसे - निष्क्रिय जीवनशैली अपनाना और अनहेल्दी चीजों का सेवन करना - ये 2 सबसे कॉमन कारण हैं प्री डायबिटीज विकसित होने के। हालांकि, अच्छी बात ये है कि अगर व्यक्ति अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव कर ले तो बीमारी को विकसित होने से रोका जा सकता है और व्यक्ति डायबिटीज-फ्री लाइफ जी सकता है।
तनाव को कम करना, स्वस्थ और संतुलित भोजन का सेवन करना, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना और धूम्रपान की लत छोड़ना- ये कुछ ऐसी चीजें है जो आपको ब्लड शुगर लेवल को मेनटेन रखने में मदद कर सकते हैं। तो आखिर प्री डायबिटीज क्या है, इसका कारण, जोखिम कारक और इलाज कैसे किया जा सकता है इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।
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प्री डायबिटीज रेंज - Prediabetes Range in Hindi
हमारे शरीर का ब्लड शुगर लेवल अलग-अलग रेंज में आता है। सामान्य, प्री डायबिटीज और डायबिटीज के रेंज में ब्लड शुगर लेवल कितना होता है, यहां जानें
फास्टिंग ब्लड शुगर :
सामान्य ब्लड शुगर |
5.5 mmol/l से नीचे या फिर 100 mg/dl |
प्री डायबिटीज |
5.5-6.9 mmol/l या 100-125 mg/dl |
डायबिटीज |
7 mmol/l से अधिक या 126 mg/dl या इससे ऊपर |
भोजन करने के 2 घंटे बाद :
सामान्य ब्लड शुगर |
7.8 mmol/l तक या फिर 140 mg/dl |
प्री डायबिटीज |
7.8 mmol/l से 11.0 mmol/l के बीच या फिर 140-199 mg/dl |
डायबिटीज |
11.1 mmol/l से ऊपर या 200 mg/dl से अधिक |
(सोर्स : अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन या एडीए)
विश्व स्वास्थ्य संगठन का रेंज इससे थोड़ा सा अलग है : WHO की मानें तो 110 mg/dl और 125 mg/dl के बीच के शुगर लेवल को प्री डायबिटीज कहा जाता है। टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए 2018 में आईसीएमआर की गाइडलाइन्स- जिसमें ADA और WHO दोनों के रेंज को ध्यान में रखा गया है- में प्री डायबिटीज की 2 मुख्य बातों पर फोकस किया गया है- फास्टिंग ग्लूकोज का दुर्बल होना और ग्लूकोज टॉलरेंस का दुर्बल होना।
प्री डायबिटीज ए1सी रेंज - Prediabetes A1c range in Hindi
आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के मुताबिक, हर 3 साल में एक बार प्री डायबिटीज की स्क्रीनिंग होनी चाहिए। जो लोग पहले से ही प्री डायबिटिक हैं उनका ब्लड शुगर हर साल चेक किया जाना चाहिए यह देखने के लिए कि कहीं उनकी स्थिति डायबिटीज तक तो नहीं पहुंच गई। एचबीए1सी टेस्ट जिसे ग्लाइकोसिलेटेट या ग्लाइसेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहते हैं- एक तरह का टेस्ट है जिसे प्री डायबिटीज और डायबिटीज को डायग्नोज करने के लिए किया जाता है और साथ ही इसमें ब्लड शुगर लेवल पर भी नजर रखी जाती है। इसमें लाल रक्त कोशिकाओं के ग्लूकोज से लिंक के प्रतिशत को देखा जाता है- अगर संख्या अधिक हो तो यह ब्लड शुगर का संकेत होता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए आईसीएमआर की 2018 गाइडलाइन्स के मुताबिक, ग्लाइसेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए1सी) का स्क्रीनिंग के लिए भी सुझाव दिया जाता है हालांकि भारत में इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ प्रतिबंध भी है। डायबिटीज मेलिटस के डायग्नोसिस में एचबीए1सी का इस्तेमाल: WHO परामर्श की संक्षिप्त रिपोर्ट के मुताबिक, इस टेस्ट के कुछ फायदे भी हैं और कुछ नुकसान भी।
प्री डायबिटीज एचबीए1सी के फायदे
- एचबीए1सी सिर्फ मौजूदा समय में ही नहीं बल्कि पिछले 2-3 महीने में ब्लड शुगर के लेवल का सटीक अंदाजा लगाता है।
- एचबीए1सी करवाने के लिए किसी तरह की तैयारी जैसे फास्टिंग करने की जरूरत नहीं होती।
प्री डायबिटीज एचबीए1सी के नुकसान
- WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, एचबीए1सी ज्यादा महंगा है- मध्यम और निम्न आय वाले देश के सभी लोग इसे अफोर्ड नहीं कर सकते
- WHO की रिपोर्ट कहती है कि यह टेस्ट ब्लड ग्लूकोज टेस्ट की तरह विस्तृत रूप से सभी जगह उपलब्ध नहीं है
- लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली कोई गंभीर बीमारी या फिर हीमोग्लोबिन से संबंधित कोई और समस्या टेस्ट के नतीजों को प्रभावित कर सकती है जिससे टेस्ट के नतीजे एकदम सही हों ऐसा जरूरी नहीं है।
प्री डायबिटीज एचबीए1सी रेंज : एचबीए1सी टेस्ट में 5.7-6.4 प्रतिशत की वैल्यू प्री डायबिटीज का संकेत देती है जबकी 6.5 प्रतिशत की वैल्यू को डायबिटीज माना जाता है।
प्री डायबिटीज एचबीए1सी की टेस्टिंग फ्रीक्वेंसी : यह टेस्ट जहां पर डायबिटीज के लिए इस्तेमाल हो रहा हो वहां पर आईसीएमआर की गाइडलाइन्स के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों में इसे हर 6 महीने या 12 महीने में किया जाना चाहिए अगर हीमोग्लोबिन 7 प्रतिशत से कम हो और अगर 7 प्रतिशत से अधिक हो तो हर 3 महीने में।