फ्लैक्स प्लांट को भारत में "अलसी" कहते हैं, यह ठंडे क्षेत्रों में उगाया जाता है। अलसी में मैग्नीशियम,पोटैशियम, प्रोटीन, विटामिन बी 6, जिंक और विटामिन ई होता है। अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जिसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड भी कहते हैं जो सूजन और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में असरकारक है। गर्भावस्था में खाने की आदतों में काफी बदलाव आता है। लेकिन इस समय सही पोषण लेना बहुत जरूरी होता है। गर्भावस्था में स्वस्थ भोजन करना बहुत जरूरी होता है।

यूं तो अलसी खाने के बहुत लाभ हैं लेकिन इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था में अलसी कितनी असरकारक है? गर्भावस्था में अलसी खाना चाहिए या नहीं?

  1. गर्भावस्था में अलसी खाने के फायदे - Pregnancy mein alsi khane ke fayde
  2. गर्भावस्था में अलसी खाने के नुकसान - Pregnancy mein alsi khane ke nuksan
  3. गर्भावस्था में अलसी कैसे और कितना खाएं? - Pregnancy mein alsi kaise aur kitna khaye
  4. गर्भावस्था में अलसी खाने की सावधानियां - Pregnancy mein alsi khane ki savdhaniyan
  5. सारांश

गर्भावस्था में अलसी खाने के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं:

  • अध्ययनों के अनुसार अलसी के सेवन से हृदय रोगों से बचा जा सकता है क्योंकि इसमें रक्त को पतला करने वाले गुण होते हैं।
  • अलसी का सेवन करने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव होता है क्योंकि यह फाइटोन्यूट्रिएंट (कुछ पौधों में पाया जाने वाला तत्व) से प्रचुर होता है।
  • अलसी में मौजूद घुलनशील फाइबर के कारण मधुमेह से बचा जा सकता है।
  • अलसी ज्यादा गर्मी लगने से भी आराम दिलाती है जो गर्भावस्था में आम समस्या है।
  • अलसी में लिनोलिक एसिड, अल्फा-लिनोलिक एसिड, ओमेगा 3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैट आदि होते हैं, जो गर्भावस्था में आवश्यक होते हैं क्योंकि वे भ्रूण के मस्तिष्क के विकास में सहायता करते हैं।
  • शोध के अनुसार अलसी खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर (एल डी एल) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर (एच डी एल) को बढ़ाने में मदद करती हैं। (और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल की नार्मल रेंज क्या होनी चाहिए)
  • अलसी में रक्त को पतला करने वाले गुण होते हैं।

(और पढ़ें - खून पतला होने के कारण)

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गर्भावस्था में अलसी खाने के निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं:

(और पढ़ें - गर्भावस्था में अदरक खाना चाहिए या नहीं)

अगर आप अलसी के सीधे सेवन से बचना चाहते हैं तो आप इसे पीसकर पाउडर बनाकर स्मूदी या दही के साथ भी ले सकते हैं। आप अपने सलाद या नाश्ते को गार्निश करने के लिए अलसी के पाउडर का उपयोग भी कर सकते हैं। इसे कुरकुरा रखने के लिए एक एयरटाइट कंटेनर में ही रखें। गर्भावस्था के दौरान अलसी के बीजों का सेवन करना जरूरी है। शरीर को अल्फ़ा-लिनोलेनिक एसिड की आवश्यकता एक दिन में लगभग 1.4g होती है। इसका मतलब है कि एक चम्मच से कम अलसी के बीजों का सेवन करना पूरी तरह सुरक्षित होता है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं)

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गर्भावस्था में अलसी खाने के दौरान निम्नलिखित सावधानियां रखें:

  • डॉक्टर की सलाह के बिना गर्भावस्था में अलसी के तेल का इस्तेमाल न करें। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में अलसी का सेवन कम मात्रा में करना ही सुरक्षित होता है क्योंकि ज्यादा मात्रा में सेवन करने से हार्मोन में गड़बड़ी भी होती है।
  • अलसी का ज्यादा सेवन न करें। इससे डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए अलसी के अति सेवन से बचें।

(और पढ़ें - महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हार्मोन का महत्व)

अलसी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से शरीर में हार्मोन से जुड़े कई बड़े बदलाव हो सकते हैं इसलिए जरूरी है कि किसी भी खाद्य पदार्थ के सेवन से पूर्व उससे होने वाले नुकसान के बारे में भी सोच लिया जाए या फिर ये अधिक बेहतर होगा की डॉक्टर की सलाह ले ली जाए। अब तक इंसानों पर अलसी से जुड़ा किसी प्रकार का कोई शोध नहीं किया गया है। लेकिन जानवरों पर किए गए परीक्षणों से पता चला है कि इस बीज का ज्यादा सेवन भ्रूण के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है इसलिए आपको हमेशा अपने आहार के एक भाग के रूप में अलसी को शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।

(और पढ़ें - हार्मोन असंतुलन के कारण)

गर्भावस्था में अलसी का सेवन सावधानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो मां और बच्चे की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। अलसी का सेवन पाचन क्रिया को सुधारने, गर्भवती महिला को ऊर्जा देने और बच्चे के मस्तिष्क विकास में मदद कर सकता है। हालांकि, अत्यधिक मात्रा में अलसी के सेवन से हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं, खासकर यदि महिलाओं को हार्मोन से संबंधित समस्याएं हैं। अलसी में लिग्नन नामक पदार्थ होता है, जो एस्ट्रोजन जैसा प्रभाव डाल सकता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसे सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करना चाहिए।

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