ब्रेन कैंसर का उपचार कैसे किया जाता है?
ब्रेन कैंसर का उपचार आम तौर पर कैंसर के प्रकार, आकार और स्थान पर निर्भर करता है। इसके साथ ही साथ आपके समग्र स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकताएं भी महत्वपू्र्ण भूमिका निभाती हैं।
1. सर्जरी (Surgery)-
- अगर मस्तिष्क में ट्यूमर ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर ऑपरेश्न की मदद से पहुंचा जा सकता है, तो डॉक्टर ट्यूमर को जितना हो सके बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।
- कुछ मामलों में ट्यूमर, छोटा और मस्तिष्क से आसानी से निकल जाने की दशा में होता है, जिससे सर्जरी के माध्यम से हटाना संभव होता है। वहीं, कुछ मामलों में ट्यूमर ऐसी दशा में होता है जिसको मस्तिष्क से अलग नहीं किया जा सकता या वह किसी संवेदनशील जगह के आस पास होता है, जिससे सर्जरी जोखिम भरी बन जाती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर उतना ही ट्यूमर हटाने की कोशिश करते हैं, जितना संभव हो पाता है।
- ब्रेन कैंसर ट्यूमर से कुछ हिस्से को हटाने से भी ब्रेन कैंसर से संकेत व लक्षण कम हो जाते हैं।
- सर्जरी द्वारा ब्रेन ट्यूमर को निकालने के साथ संक्रमण और खून बहने जैसे जोखिम होते हैं। अन्य लक्षण उस जगह पर निर्भर करते हैं, जहां पर ब्रेन ट्यूमर विकसित हुआ है। सर्जरी को चुनने से पहले उसके सभी जोखिमों के समझने के लिए डॉक्टर से बात करें।
2. रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
- रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर ग्रसित कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटोन्स जैसी उच्च उर्जा की किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। विकिरण चिकित्सा आपके शरीर के बाहर एक मशीन से आ सकती है, जिसे एक्सटर्नल बीम रेडिएशन कहा जाता है। बहुत ही कम मामलों में मशीन को शरीर के अंदर और मस्तिष्क के पास लगाया जाता है, जिसे ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy) कहा जाता है।
- एक्सटर्नल बीम रेडिएशन सिर्फ उस जगह पर फोकस करती है, जहां पर ट्यूमर होता है। कई बार इसका फोकस पूरे मस्तिष्क पर लगा दिया जाता है, इसे पूर्ण मस्तिष्क पर विकिरण (Whole-brain radiation) कहा जाता है, इसका प्रयोग खासकर उस प्रकार के कैंसरों के इलाज के लिए किया जाता है जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में फैल जाते हैं।
3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- कीमोथेरेपी में ट्यूमर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी की दवा, खाने के लिए टेबलेट और नसों में इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। कीमोथेरेपी की कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कैंसर के प्रकार के अनुसार किया जाता है।
- कीमोथेरेपी की दवाओं के साइड इफेक्ट उसकी खुराक पर निर्भर करते हैं, इसके कारण बाल झड़ना, मतली और उल्टी जैसे समस्याएं हो सकती हैं।
4. टारगेटेड दवा थेरेपी (Targeted drug therapy)
- लक्षित या टारगेटेड दवाओं द्वारा उपचार का मुख्य लक्ष्य उन विशेष असामान्यताओं पर होता है जो ब्रेन कैंसर के दौरान दिखाई देती हैं। इन असामान्यताओं को रोककर, कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।
- इन दवाओं को नसों में इंजेक्शन के द्वारा लगाया जाता है, जिससे नई रक्त वाहिकाओं को बनने से रोका जाता है, ब्रेन कैंसर की कोशिकाओं में खून की सप्लाई को बंद कर दिया जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।
5. पैलीएटिव केयर (प्रशामक चिकित्सा; Palliative care)
इस उपचार में मुख्य रूप से रोग के लक्षणों को कम करने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और रोगी तथा उसके परिवार वालों को सहारा देने पर ध्यान दिया जाता है। दर्दनिवारक उपचार व्यापक रूप से काफी भिन्न होते हैं, इनके साथ अक्सर दवाएं, पोषक तत्वों में बदलाव, आराम करने की तकनीक, भावनात्मक सहायता और अन्य प्रकार की थेरेपी शामिल होती हैं।
कोई भी व्यक्ति, अपनी उम्र, कैंसर के प्रकार या स्टेज की परवाह किए बिना दर्दनिवारक उपचार ले सकता है। यह और भी बेहतर काम करता है, जब यह उतना ही जल्दी शुरू की जाए जितना जल्दी उपचार की प्रक्रिया आवश्यक होती है। लोग एक ही समय में ट्यूमर के इलाज की दवाएं और साइड इफेक्ट को कम करने की दवाएं एक साथ ले सकते हैं। बल्कि, जो मरीज इन दोनों प्रकार की दवाओं को एक साथ लेते हैं, उनके लक्षण कम गंभीर होते हैं। जो मरीज इसप्रकार से अपना इलाज पाते हैं वे जीवन की बेहतर गुणवत्ता एवं उपचार संतुष्टि का अनुभव करते हैं।
5. उपचार के बाद पुनर्वास (Rehabilitation after treatment)
क्योंकि ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उन हिस्सों में विकसित हो सकता है जो मस्तिष्क की कार्यशीलता (मोटर स्किल्स), दृष्टि, बोलने और सोचने-समझने जैसे कार्यों को नियंत्रित करती है, इसलिए उपचार के बाद पुनर्वास की सुविधा स्वस्थ होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। आपके डॉक्टर आपको उन सेवा प्रदाताओं के पास भेज सकते हैं, जो आपकी मदद कर सकती हैं, जैसे:
- शारीरिक थेरेपी (Physical therapy) – यह मष्तिष्क के क्रियाशील रूप (मोटर स्किल्स )में आई हुई कमी या मांसपेशियों की ताकत को फिर से हासिल करने में मदद कर सकती है।
- स्पीच थेरेपी (Speech therapy) – यह विशेष रूप से ठीक बोलने में परेशानी महसूस करने वाले मरीजों की दी जाती है, जो मरीज को पहले की तरह बोलने की आदत व क्षमता को फिर से वापस पाने में मददगार होती हैं।