सर्वाइकल डायस्टोनिया को स्पासमोडिक टोर्टिकोलिस भी कहा जाता है। यह एक दर्दनाक स्थिति है, जिसमें गर्दन की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और गर्दन को घुमाने में समस्या आती है। इसमें प्रभावित व्यक्ति अपने सिर को आगे-पीछे या दाएं-बाएं करने में असमर्थ हो जाता है।
यह एक दुर्लभ विकार है, जो किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह मध्यम आयु वर्ग के लोगों को होता है। हालांकि, यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और फिर खराब होते जाते हैं।
सर्वाइकल डायस्टोनिया के लक्षण
इस बीमारी के संकेतों और लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :
- गर्दन आगे की ओर झुकी रहना, इस दौरान ठोड़ी नीचे की ओर रहती है। इस मुद्रा को एंटेरोकोलिस के नाम से जाना जाता है।
- गर्दन पीछे की ओर झुकी रहना, इस दौरान ठोड़ी ऊपर की ओर रहती है। इसे रेट्रोकॉलिस कहा जाता है।
- गर्दन कंधे की तरफ झुकना, इस दौरान कान कंधे के करीब होता है। इसे लेटरोकॉलिस कहते हैं।
सर्वाइकल डिस्टोनिया से ग्रस्त कई लोगों में गर्दन का दर्द कंधे को प्रभावित नहीं कर सकता है। इस विकार की वजह से सिरदर्द जैसी समस्या भी हो सकती है। कुछ लोगों में इस दर्द की वजह से बहुत ज्यादा थकान महसूस करना या फिर उन्हें किसी कार्य को करने में दिक्कत आ सकती है।
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सर्वाइकल डायस्टोनिया का कारण
इस बीमारी से ग्रस्त अधिकांश मामलों में कोई विशिष्ट कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इस बीमारी के कुछ मामले फैमिली हिस्ट्री (परिवार के सदस्यों में विकारों एवं बीमारियों का फैलना) से जुड़े थे। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जीन में किसी गड़बड़ी के कारण हो सकता है। सर्वाइकल डायस्टोनिया कभी-कभी सिर, गर्दन या कंधे की चोट से भी जुड़ा हो सकता है।
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सर्वाइकल डायस्टोनिया का इलाज
सर्वाइकल डायस्टोनिया के लिए वैसे तो कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इस बीमारी के उपचार के विकल्पों में सुधार हुआ है। कई बार यह बिना किसी विशेष उपचार के ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका प्रभाव कम होता है।
डॉक्टरों का मानना है कि बैटुलिनम टोक्सिन के इंजेक्शन से सर्वाइकल डायस्टोनिया के लक्षणों और प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस इंजेक्शन का उपयोग आमतौर पर चेहरे की झुर्रियों को ठीक करने के लिए किया जाता है, लेकिन सर्वाइकल डायस्टोनिया की समस्या में भी इसे गर्दन की मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है।
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सर्वाइकल डायस्टोनिया के जोखिम
इस बीमारी के जोखिम कारकों में शामिल हो सकते हैं :
- उम्र
वैसे तो यह विकार किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह 30 साल की उम्र के बाद शुरू होता है।
- सेक्स
यह विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में होने का जोखिम अधिक है।
- फैमिली हिस्ट्री
यदि परिवार के किसी करीबी सदस्य को यह विकार है या किसी अन्य प्रकार का डायस्टोनिया है, तो अन्य सदस्यों को भी इसका जोखिम रहता है।
यदि आपको भी लंबे समय से गर्दन को घुमाने में समस्या है तो इसे हल्के में न लें। आपको तुरंत किसी ऑर्थोपेडिक्स के पास जाकर चेकअप कराने की जरूरत है।