फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) - Food Poisoning in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 11, 2018

December 18, 2023

फूड पाइजनिंग
फूड पाइजनिंग

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) क्या है?

फूड पाइजनिंग को खाद्य जनित बीमारी (फूडबोर्न इलनेस) के नाम से भी जाना जाता है, जो दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करने से होती है। संक्रामक जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी आदि या उनके द्वारा दूषित किए गए भोजन का सेवन करना फूड पाइजनिंग का सबसे सामान्य कारण होता है।

संक्रामक जीव या उनके विषाक्त पदार्थ, खाद्य पदार्थों को उत्पादन करने से बनाने तक किसी भी समय दूषित कर सकते हैं। अगर भोजन को ठीक तरीके से बनाया या संभाला ना जाए तो भी वह दूषित हो सकता है।

फूड पाइजनिंग के लक्षण विषाक्त भोजन करने के कुछ घंटे बाद शुरू हो जाते हैं, जिनमें मुख्यत: दस्त, मतली और उल्टी आदि शामिल हैं।

फूड पाइज़निंग का उपचार आम तौर पर घर पर ही किया जाता है, और इसके ज्यादातर मामलों में यह 3 से 5 दिनों के अंदर ही ठीक हो जाता है। जिन लोगों को फूड पाइजनिंग है उनका पूरी तरह से हाईड्रेट रहना जरूरी होता है। ज्यादातर फूड पाइजनिंग के मामले हल्के रहते हैं, जो बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को उपचार के लिए अस्पताल जाने की जरूरत पड़ जाती है।

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फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लक्षण और संकेत - Food Poisoning Symptoms in Hindi

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लक्षण और संकेत क्या होते हैं?

भोजन को दूषित करने वाले स्त्रोत के अनुसार फूड पाइजनिंग के लक्षण भी अलग अलग होते हैं। ज्यादातर फूड पाइजनिंग के मामलों में एक से ज्यादा लक्षण देखे जाते हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं:

दूषित भोजन खाने के 2 से 3 घंटों के बाद फूड पाइजनिंग के संकेत व लक्षण शुरू हो जाते हैं, कई बार लक्षण दिखने में कुछ दिन भी लग सकते हैं। दूषित भोजन से होने वाली अस्वस्थता कुछ घंटे से कुछ दिनों तक रह सकती है।

डॉक्टर को कब दिखना चाहिए?

अगर किसी व्यक्ति में नीचे दिए गए लक्षण दिखने लगते हैं, तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए:

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फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के कारण - Food Poisoning Causes in Hindi

भोजन में विषाक्तता के कारण क्या हैं?

अन्न उपजाने से लेकर उसकी कटाई, भंडारण और यहां तक कि भोजन बनाते हुए किसी भी समय वह दूषित हो सकता है। अक्सर भोजन के दूषित होने का मुख्य कारण क्रॉस कोंटामिनेशन होता है, इसमें हानिकारक जीव एक सतह से दूसरी सतह पर फैलते रहते हैं। विशेष रूप से ये कच्चे खाए जाने वाले या खाने के लिए पहले से तैयार खाद्य पदार्थों को प्रभावित करते हैं, जैसे सलाद व अन्य उपज। क्योंकि ये खाद्य पदार्थ पकाए नहीं जाते, और इनमें मौजूद हानिकारक जीव भोजन में नष्ट नहीं हो पाते।

ज्यादातर फूड पाइजनिंग के लिए 3 मुख्य कारण उत्तरदायी है: 

  • बैक्टीरिया - फूड पाइजनिंग की वजहों में बैक्टीरिया बहुत प्रचलित कारणों में से एक है।, इ. कोली (E. coli), लिस्टेरिया (Listeria), और साल्मोनेला (Salmonella) आदि फूज पाइजनिंग फैलाने वाले सबसे मुख्य बैक्टीरिया हैं। (और पढ़ें - बैक्टीरिया संक्रमण का इलाज)
  • परजीवी - इस से फूड पाइजनिंग होना बैक्टीरिया की तरह समान बात नहीं है, पर भोजन के माध्यम से फैले परजीवी बहुत खतरनाक हो सकते हैं। पैरासाइट्स पाचन तंत्र में सालों तक रह सकते हैं, जिनको पहचाना भी नहीं जा सकता। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और गर्भवती महिलाओं कि आंतों में अगर पैरासाइटस स्थान बना लें, तो उसके खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। (और पढ़ें - पाचन शक्ति कैसे बढाये)
  • वायरस – फूड पाइजनिंग वायरस के कारण भी हो सकती है, फूड पाइजनिंग के लिए नोरोवायरस (norovirus) सबसे आम वायरस होता है। इसके अलावा सेपोवायरस (sapovirus), रोटावायरस (Rotavirus) और एस्ट्रोवायरस (Astrovirus) भी फूड पाइजनिंग का कारण बन सकते हैं, मगर ये नोरोवायरस की तरह आम नहीं हैं। हेपेटाइटिस-ए (Hepatitis-A ) भी एक गंभीर स्थिति है, जो भोजन के माध्यम से फैलती है।

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फूड पाइजनिंग का खतरा कब बढ़ जाता है?

दूषित भोजन खाने से बीमार पड़ना आपके, उम्र, स्वास्थ्य, जीवों के प्रकार और संक्रमण की मात्रा पर निर्भर करता है। इनमें से उच्च जोखिम समूह जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • वृद्धावस्था – किसी व्यक्ति के बूढ़े होने के साथ-साथ उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होती रहती है, और पहले के मुकाबले संक्रामक जीवों के विरूद्ध कम प्रतिक्रिया दे पाती है।
  • गर्भवती महिलाएं – गर्भावस्था के दौरान चयापचय और रक्त परिसंचरण में कई बदलाव आते हैं, जिनसे फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान इसकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में गर्भ में शिशु भी बीमार पड़ जाता है। (और पढ़ें - गर्भधारण करने के तरीके)
  • शिशु और छोटे बच्चें – इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती, इसलिए इनके लिए फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - शिशु की देखभाल)
  • पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोगडायबिटीज, लिवर संबंधी रोग और एड्स जैसी बीमारीयों से ग्रसित लोगों में भी फूड पाइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा जो लोग कैंसर के लिए कीमोथेरेपी या रेडिएशन लेते हैं, उनकी भी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया क्षमता कम होती है। एेसे में इन लोगों को भोजन विषाक्तता आसानी से घेर लेती है।
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फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) से बचाव - Prevention of Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग से कैसे बचें?

घर पर फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) की रोकथाम के लिए इन तरीकों को अपनाएं:-

  • अपने हाथ, बर्तन और भोजन बनाने की सतहों को अच्छे से धो लें - खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन के साथ गुनगुने पानी में अच्छे से धो लें। भोजन के बर्तन, बोर्ड व अन्य सतहों को साबुन के साथ गर्म पानी में धोएं।
  • तैयार भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें - खरीददारी करते समय कच्चे मांस, चिकन और मछली आदि को, अन्य खाद्य पदार्थों से दूर रखें, क्योंकि इससे क्रॉस कोन्टामिनेशन (cross-contamination) होता है।
  • भोजन को सुरक्षित तापमान में पकाएं - सामान्य तापमान पर पकाने से ज्यादातर खाद्य पदार्थों के हानिकारक जीव मर जाते हैं। भोजन को पकाने के लिए सुरक्षित तापमान का पता लगाने के लिए. फूड थर्मोमीटर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को तुरंत फ्रीज में रखें - ऐसे खाद्य पदार्थों को खरीदने या बनाने के 2 घंटे से ज्यादा बाहर ना रखें। अगर बाहर का तापमान 32.2 C है, तो इन्हें 1 घंटे से ज्यादा समय तक बाहर ना रखें।
  • खाद्य पदार्थों को सुरक्षित तरीके से डीफ्रॉस्ट करें- खाद्य पदार्थों को रेफ्रिजरेटर के बाद सीधे बाहरी वातावरण में ना पिघलने दें, उन्हें बाहर निकालने से पहले फ्रिज में डीफ्रोस्ट फीचर का इस्तेमाल करें। फ्रिज के बाद माइक्रोवेव में खाना रखने से पहले उन्हें फ्रिज में ही डीफ्रोस्ट करें या माइक्रोवेव में 50 प्रतिशत पावर के साथ गर्म करें। साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इस खाद्य पदार्थ को तुरंत ही पकाया और खाया जाना चाहिए। (और पढ़ें - टायफाइड में क्या खाना चाहिए)
  • संदेह की स्थिती में ना खाएं - अगर आप निश्चित नहीं है, कि भोजन को सुरक्षित तरीके से बनाया और रखा गया है, तो ऐसे स्थिती में ना खाएं। बाहरी तापमान में ज्यादा देर तक खाद्य पदार्थों को रखने से उनमें बैक्टीरिया और अन्य विषाक्त पदार्थ पैदा हो सकते हैं, जिनको पकाने पर भी नष्ट नहीं किया जा सकता। खाद्य पदार्थों पर आपको यदि संदेह हो कि ये खराब हो गए हैं तो उस स्थिति में उसे भी नहीं चाहिए बल्कि बाहर फेंक देना चाहिए। यहां तक कि अगर आपको खूशबू अच्छी आ रही हो लेकिन संदेह हो तब भी उसे खाना नहीं चाहिए।

फूड पाइजनिंग विशेष रूप से वृद्धों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो उनके लिए एक गंभीर और जीवन के लिए खतरनाक स्थिती बन सकती है। इन स्थिति वालें लोगों को निम्न चीजों का सेवन न करके फूड पाइजनिंग से सावधानी बरतनी चाहिए:

  • पॉल्ट्री और कच्चा मीट
  • कच्ची और अधपकी मछली (और पढ़ें - मछली के तेल के फायदे
  • कच्चे या अधपके अंडे, और इनसे युक्त खाद्य पदार्थ
  • कच्ची अंकुरित चीजें जैसे, अल्फाल्फा (एक प्रकार का पौधा जो पशुओं के चारे के काम में आता है) (और पढ़ें - अल्फाल्फा के फायदे)
  • अनपॉश्चुराइज्ड जूस
  • अनपॉश्चुराइज्ड दूध और उसके उत्पाद
  • कुछ प्रकार के चीज (पनीर)

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फूड पाइजनिंग का निदान - Diagnosis of Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग की जांच के लिए क्या टेस्ट किये जाते हैं?

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) का निदान अक्सर पिछली विस्तृत जानकारीयों के आधार पर किया जाता है, जिसमें बीमारी की अवधि, खाई गई विशिष्ट चीजों की जानकारी और लक्षण शामिल हैं। डिहाईड्रेशन के संकेत देखने के लिए डॉक्टर शारीरिक परिक्षण भी कर सकते हैं।

लक्षण और पिछले स्वास्थ्य की जानकारी के आधार पर ही डॉक्टर नैदानिक टेस्ट कर सकते हैं, जैसे खून और मल की जांच या परजीवियों के लिए परिक्षण आदि।

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मल के परिक्षण में आपके डॉक्टर आपके मल में से एक सैंपल लैबोरेट्री में भेज सकते हैं, वहां पर विशेषज्ञ मल में से संक्रामक जीवों की पहचान करने की कोशिशें करेंगे। संक्रामक जीव की पहचान होने पर डॉक्टर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को सूचित करेंगे, ताकि यह तय किया जा सके कि फूड पाइजनिंग किसी प्रकोप से तो नहीं जुड़ा हुआ है और व्यापक रुप से तो नहीं फैलने वाला। 

कुछ मामलों में फूड पाइजनिंग के कारण का पता ही नहीं चल पाता।

(और पढ़ें - हाइपोथर्मिया का इलाज)

फूड पाइजनिंग का इलाज - Food Poisoning Treatment in Hindi

फूड पाइजनिंग के उपचार:-

फूड पाइजनिंग का उपचार, बीमारी के स्त्रोत और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। ज्यातार लोगों में फूड पाइज़निंग बिना किसी इलाज के अपने आप ठीक हो जाता है, जबकी कुछ लोगों में इसके लिए मेडिकल उपचार की जरूरत पड़ सकती है।

फूड पाइजनिंग के उपचारों में निम्न शामिल हैं:

खत्म हुए तरल पदार्थ का प्रतिस्थापन करना - इलेक्ट्रोलाइट्स व मिनरल्स जैसे सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम जो शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखते हैं। कई बार दस्त के कारण शरीर में इनकी कमी हो जाती है, और इनका प्रतिस्थापन करने की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्चे व वयस्क जिनमें तीव्र दस्त व उल्टी समस्या होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अस्पताल में उनकी नसों से माध्यम से उनके शरीर में द्रव व अन्य तरल भेजकर डिहाईड्रेशन की रोकथाम और उसका उपचार किया जाता है। 

(और पढ़ें - इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के लक्षण)

एंटीबायोटिक्स - अगर मरीज को कुछ प्रकार के बैक्टिरिया के कारण फूड पाइजनिंग हुआ है, और उसके लक्षण भी गंभीर हैं ऐसे में डॉक्टर उसके लिए कुछ एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं। लिस्टेरिया वायरस से होने वाले फूड पाइज़निंग का इलाज अस्पताल में भर्ती करके इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जाता है। फूड पाइजनिंग का इलाज जितना जल्दी हो बेहतर रहता है। गर्भावस्था के दौरान शीघ्र एंटीबायोटिक्स से इलाज बंच्चे को संक्रमित होने से बचाता है।

वयस्क जिनके दस्त में खून नहीं है, और ना ही बुखार है उन्हें लेपोरामाइड (Imodium A-D) या बिसमथ सबसेलीसिलेट (Pepto-Bismol) दवाएं लेने से आराम हो जाता है। हालांकि इन दवाओं का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उल्टी और दस्त का उपयोग शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है। साथ ही इन दवाओं का इस्तेमाल बीमारी की गंभीरता को छिपा सकता है, जिससे सही उपचार ढूंढने में अधिक समय लग सकता है। (और पढ़ें - शिशु को दस्त का इलाज)

कैफीन से बचें, क्योंकि यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, कैमोमाइल, पुदीना और सिंहपर्णी से बनी डिकैफिनेटेड चाय पेट की समस्या शांत करके आराम प्रदान करती हैं। फलों के रस और नारियल पानी, कार्बोहाइड्रेट की कम हुई मात्रा को फिर से पर्याप्त कर सकते हैं, जिससे थकान दूर हो जाती है। फूड पाइज़निंग के मरीजों को खूब आराम करना बहुत जरूरी होता है।

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फूड पाइजनिंग के गंभीर मामलो में, मरीजों को अस्पताल में भर्ती करके इंट्रावेनस द्रव (नसों द्वारा) से उसे फिर हाईड्रेशन किया जाता है। फूड पाइजनिंग के और बुरे और बिगड़े हुए मामलों में जब तक मरीज पूरी तरह से ठीक ना हो जाए उसे एक लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता पड़ सकती है।

(और पढ़ें - डिहाइड्रेशन के उपाय)



संदर्भ

  1. Europe PubMed Central. Bacteriocins: modes of action and potentials in food preservation and control of food poisoning. European Bioinformatics Institute. [internet].
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Prevent Food Poisoning
  3. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Food Poisoning Symptoms
  4. Centre for Health Protection. Food Poisoning. Department of Health, Hong Kong. [internet].
  5. Healthdirect Australia. Food poisoning. Australian government: Department of Health

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के डॉक्टर

Dr. kratika Dr. kratika सामान्य चिकित्सा
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Dr.Vasanth Dr.Vasanth सामान्य चिकित्सा
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फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Food Poisoning in Hindi

फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।