हाइपरग्लाइसेमिया क्या है?
हाइपरग्लाइसेमिया एक मेडिकल टर्म है, जिसका उपयोग ग्लूकोज का स्तर ज्यादा होने के लिए किया जाता है। यह तो हम जानते ही हैं कि खून में ग्लूकोज होता है, लेकिन जब इसका स्तर सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है तो इसे हाई ब्लड शुगर यानी हाइपरग्लाइसेमिया नाम से जाना जाता है।
हाइपरग्लाइसेमिया में क्या होता है?
भोजन करने के बाद खून में अस्थायी रूप से या अल्पकालिक ग्लूकोज बढ़ सकता है और यह स्थिति ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को प्रभावित करने वाली बीमारी (एंडोक्राइन विकार) से जुड़ी हो सकती है। बता दें, एक स्वस्थ वयस्क में ब्लड ग्लूकोज का सामान्य स्तर 100mg/dL से कम होता है जबकि खाली पेट (8 या इससे ज्यादा घंटे तक कुछ न खाना जैसे सुबह उठने पर या नाश्ते से पहले) ब्लड ग्लूकोज का सामान्य स्तर 140 mg/dL से कम होता है।
हाइपरग्लेसेमिया इंसुलिन की कमी और इंसुलिन प्रतिरोध के कारण डायबिटीज मेलिटस (टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावस्था डायबिटीज मेलिटस) से पीड़ित मरीजों में आमतौर पर हाइपरग्लाइसेमिया जैसी स्थिति विकसित हो सकती है।
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इंसुलिन एक हार्मोन है, जो कि अग्न्याशय में 'बीटा आइसलेट कोशिकाओं' द्वारा स्रावित होता है और यह ग्लूकोज के स्तर का नियमन करता है। टाइप 1 डायबिटीज तब होता है जब इम्यून सिस्टम सेल्स (ऑटोएंटीबॉडी) बीटा आइसलेट कोशिकाओं को नष्ट करने लगते हैं, जिसकी वजह से इंसुलिन की कमी शरीर द्वारा ग्लूकोज के अवशोषण को रोकती है, इससे ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में संचारित होने लगता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज में, आमतौर पर खराब जीवनशैली और मोटापे की वजह से इंसुलिन प्रतिरोध (जब इंसुलिन ठीक से प्रतिक्रिया न करे) विकसित होता है। ऐसे में जिन हिस्सों में इंसुलिन का जाना जरूरी होता है, वहां यह पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है और कुछ अंग सही से कार्य नहीं करते हैं।
गर्भकालीन डायबिटीज मेलेटस में ब्लड शुगर का स्तर ज्यादा हो जाता है, यह उन गर्भवती महिलाओं में होता है, जिसमें इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि हो जाती है। यह अक्सर उनमें होता है, जिन्हें इससे पहले कभी शुगर नहीं हुआ होता है।
आमतौर पर ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट (ओएचए) दवाओं जैसे मेटफॉर्मिन और/या इंसुलिन की मदद से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में जैसे किसी समय की दवाई भूल जाना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना या एक्यूट स्ट्रेस के किसी अन्य कारण की वजह से ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित रूप से बढ़ सकता है। हाई ब्लड शुगर की जटिलताओं में डायबिटीज केटोएसिडोसिस और हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक सिंड्रोम शामिल है।