परिचय
लाइम रोग सूजन व लालिमा से संबंधित एक इन्फेक्शन है, जो मनुष्य में एक कीट के काटने से फैलता है। ये छोटे जीव व्यक्ति की त्वचा से चिपक जाते हैं व कुछ दिनों तक त्वचा से खून चूसते रहते हैं और व्यक्ति को पता भी नहीं चल पाता है। ये कीट आमतौर पर काफी सूक्ष्म होते हैं और इतनी आसानी से दिखाई नहीं देते हैं। लाइम रोग बोरेलिया बर्गडोर्फेरी (Borrelia Burgdorferi) नाम के एक बैक्टीरिया के कारण होता है।
किसी संक्रमित कीट के काटने के 3 से 30 दिनों के अंदर लाइम रोग के लक्षण पैदा होने लग जाते हैं। इससे आमतौर पर फ्लू के जैसे लक्षण पैदा होते हैं। यदि लाइम रोग का समय पर इलाज ना किया जाए तो यह हृदय, शरीर के जोड़ों व तंत्रिका तंत्र तक भी फैल जाता है। यदि समय पर पता लगाकर उचित इलाज कर दिया जाए तो लाइम रोग के ज्यादातर मामले सफलतापूर्वक ठीक हो जाते हैं।
लाइम रोग का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर मरीज के लक्षणों की जांच व उसका शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसके अलावा परीक्षण के दौरान यह भी पूछा जाता है कि हाल ही में आपको किसी कीट ने तो नहीं काटा है। यदि लाइम रोग गंभीर चरणों में पहुंच गया है, तो लेबोरेटरी टेस्ट करवाना काफी लाभदायक हो सकता है।
लाइम रोग से बचाव करने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं, जैसे घर से बाहर निकलते समय पूरी बाजू वाली शर्ट व लंबी पैंट पहनना, कीटों को दूर भगाने वाली क्रीम लगाना या झाड़ियों आदि से दूर रहना। यदि इन्फेक्शन के गंभीर चरणों तक भी इसका पता नहीं लग पाया है, तो लाइम रोग से होने वाले लक्षणों की संभावना अधिक बढ़ जाती है। लाइम रोग का इलाज करने के लिए 2 से 4 हफ्तों तक एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। लाइम रोग के ऐसे मामले जिनका समय पर परीक्षण करके उचित इलाज कर दिया जाता है अक्सर उनसे कोई गंभीर समस्या नहीं होती है।
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