मलेरिया एक ऐसा रोग है जिसमे रोगी को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। इसमें बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी दुबारा आ जाता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में चला जाता है या उसकी मृत्यु तक हो जाती है।
मलेरिया प्लाज़्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। मलेरिया मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से शुरू होता है जो इस परजीवी को शरीर में छोड़ता है।
यह रोग भूमध्य रेखा के आसपास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है जिसमें सब-सहारा अफ्रीका और एशिया के ज़्यादातर देश शामिल हैं। भारत में यह रोग पूरे वर्ष रहता है। हालांकि मच्छर प्रजनन के कारण बारिश के दौरान और बारिश के बाद यह रोग अधिक लोगों को होता है।
दिसंबर 2016 में जारी किए गए नए WHO अनुमानों के मुताबिक मलेरिया के 21 करोड़ मामले सामने आए और इससे 42,000 मौतें हुईं। 2015 में 91 देशों और क्षेत्रों में मलेरिया ट्रांसमिशन हो रहा था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया में कुल मलेरिया के मामलों में से 77% मामले भारत में हैं। यह रोग मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, दक्षिणी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों में प्रचलित है।
दूसरों की तुलना में कुछ जनसंख्या समूह पर मलेरिया का खतरा अधिक रहता है। इसमें शिशु, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चें, गर्भवती महिलायें और एचआईवी / एड्स के रोगी, साथ ही गैर-प्रतिरक्षा प्रवासी, एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले लोग और यात्री शामिल हैं।