न्यूरोलेप्टीक मैलिग्नेंट सिंड्रोम क्या है?
न्यूरोलेप्टीक मैलिग्नेंट सिंड्रोम एक दुर्लभ समस्या है, यह मनोविकारों के दोष को दूर करने वाली दवाओं और इसको शांत करने वाली दवाओं के समूह से होती है। इससे आपके जीवन को भी खतरा होता है। इन दवाओं को सामान्यतः सिजोफ्रेनिया(schizophrenia; एक प्रकार के पागलपन) और अन्य न्यूरोलॉजिकल, मानसिक व भावनात्मक विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सामान्यतः न्यूरोलेप्टिक्स (neuroleptics), थिओरिडजाइन, हेलोपरिडोल, क्लोरप्रोमाजाइन, फ्ल्यूफेनाजाइन और परर्फेनेजाइन शामिल हैं।
सिंड्रोम की विशेषता उच्च बुखार, मांसपेशियों की अकड़न, बदलती मानसिक स्थिति (पागल व्यवहार) और स्वायत्तता का दोष(Autonomic dysfunction) है। स्वायत्तता का दोष, अनैच्छिक (ऑटोनोमिक) तंत्रिका तंत्र के दोषपूर्ण कार्यों को बताता है, जिसमें रक्तचाप का अस्थिर होना, अत्यधिक पसीना और लार का अत्यधिक स्राव होता है।
इस विकार का आनुवंशिक आधार माना जा सकता है, लेकिन यह अभी सिद्ध नहीं हो सका है। यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि यह रिसेप्टर्स (receptors) का (dopamine D2 receptor antagonism) एक दोष है, जो न्यूरोलेप्टीक मैलिग्नेंट सिंड्रोम के कारण में महत्वपूर्ण योगदान करता है।