पोटेशियम की कमी क्या है?
पोटेशियम एक आवश्यक मिनरल होता है जो शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मांसपेशियों के हिलने-ढुलने, तंत्रिकाओं को स्वस्थ रूप से कार्य करने और शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
यह शरीर के कई महत्वपूर्ण फंक्शन्स (कार्यों) के लिए जरूरी होता है, इसके बिना आपको स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन को तोड़ने व उनका उपयोग करने के लिए आपके शरीर को पोटेशियम की आवश्यकता पड़ती है। मांसपेशियों को विकसित करने के लिए भी पोटेशियम का उपयोग किया जाता है। किडनी ही शरीर का एकमात्र मुख्य अंग होता है जो पोटेशियम की मात्रा को शरीर में नियंत्रित रखता है और अतिरिक्त को पेशाब के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देता है।
शरीर से अधिक मात्रा में पोटेशियम निकलने से उल्टी या दस्त या फिर दोनों हो सकते हैं। कभी-कभी पोटेशियम में कमी होने का कारण आहार में पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम ना लेना होता है। इसके लक्षणों में कमजोरी महसूस होना, गंभीर रूप से मांसपेशियों में थकान और मांसपेशियों में ऐंठन शामिल है। यदि आप डाइयुरेटिक्स (हाई बीपी की दवाएं) लेते हैं तो इसके कारण आप अत्यधिक मात्रा में पोटेशियम निकाल सकते हैं जिससे आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो सकता है। इनमें से किसी भी प्रकार का लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
पोटेशियम में कमी होने से हृदय में असामान्यता या दिल का दौरा पड़ना आदि जैसी समस्याए हो सकती हैं। ये खासकर उन लोगों को ज्यादा होती हैं जिनको पहले से ही हृदय से जुड़ी समस्याएं होती हैं। डॉक्टर मरीज में पोटेशियम की कमी की जांच थकान व मांसपेशियों में ऐंठन जैसे लक्षणों के आधार पर करते हैं। इसके अलावा परीक्षण की पुष्टी उन टेस्टों के आधार पर की जाती है जो आपके खून में पोटेशियम का स्तर बताते हैं। इस समस्या के उपचार में गंभीर स्थितियों में इंट्रावेनस (नसों के द्वारा) के माध्यम से मरीज में पोटेशियम की पूर्ति करना। पोटेशियम की कमी की दीर्घकालिक स्थितियों में पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों व सप्लीमेंट्स आदि की मदद से इसका इलाज किया जाता है।