टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम - Tourette Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

October 17, 2018

February 01, 2024

टॉरेट सिंड्रोम
टॉरेट सिंड्रोम

टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम​ क्या है?

टूरेट विकार या टॉरेट सिंड्रोम एक ऐसा विकार है, जिसमें मांसपेशियों में एक असाधारण संकुचन होता है। मांसपेशियों के इस संकुचन को टिक्स (Tics) कहा जाता है। टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त लोग अनजाने में अनुचित बातें बोल सकते हैं। 

टिक एक ऐसी असाधारण गतिविधि या आवाज होती है, जिस पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं होता या बहुत कम नियंत्रण होता है। इसमें पलकें झपकाना, खांसना, छींकना, गला साफ करना, चेहरा हिलाना, सिर हिलाना, हाथ-पैरों को हिलाना या असाधारण आवाज निकालना शामिल होता है।

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टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम के लक्षण - Tourette Syndrome Symptoms in Hindi

टूरेट सिंड्रोम के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?

टूरेट विकार का मुख्य लक्षण टिक्स होते हैं। यह विकार आमतौर पर 5 से 9 साल के उम्र के बच्चों में पाए जाते हैं।

टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में शारीरिक व मौखिक दोनों प्रकार के टिक्स मौजूद हो सकते हैं।

शारीरिक टिक्स के कुछ उदाहरण -

  • सिर या अन्य अंगों को मरोड़ना,
  • कूदना,
  • वस्तुओं या अन्य लोगों को छूना,
  • दांत पीसना,
  • बार-बार पलकें झपकाना,
  • आंखे घुमाना,
  • मुंह बनाना,
  • कंधे उचकाना,
  • कंधों को घुमाना इत्यादि

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मौखिक टिक के उदाहरण -

  • बिना सोचे समझे शब्दों या वाक्यांशों को बोलना,
  • एक ही ध्वनि, शब्द या वाक्यांश दोहराते रहना,
  • गाली-गलौच करना,
  • हिचकी लेना,
  • चीखना,
  • घरघराना,
  • गला साफ करना,
  • सीटी बजाना,
  • खांसना,
  • जीभ चटकाना,
  • जानवरों जैसी आवाज़ें निकालना,
  • चिल्लाना इत्यादि।

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इस विकार में गाली-गलौज एवं अपशब्द बोलना काफी दुर्लभ लक्षण होता है, जो टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त दस लोगों में से औसतन एक को ही प्रभावित करता है।

टिक्स किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता, लेकिन कुछ प्रकार के शारीरिक टिक्स दर्दनाक हो सकते हैं, जैसे सिर को मरोड़ना आदि।

कभी-कभी टिक्स सामान्य दिनों के बजाए ज्यादा बदतर हो सकता है।

निम्न अवधियों के दौरान टिक्स ज्यादा बदतर हो सकता है:

टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में कुछ व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती है, जैसे:

इसके अतिरिक्त;

  • टिक्स, प्रकार, आवृत्ति और गंभीरता में भिन्न हो सकते हैं।
  • यदि आप बीमार, तनावग्रस्त, चिंतित, थके हुए हैं, तो टिक्स के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
  • टिक्स सोने के दौरान हो सकता है। (और पढ़ें - अच्छी नींद के उपाय)
  • समय के साथ टिक्स में बदलाव भी आ सकता है।
  • टिक्स किशोरावस्था की शुरुआत में गंभीर हो सकते हैं और वयस्कता आते-आते इसमें सुधार आ सकता है।

शारीरिक या मौखिक टिक्स होने से पहले आपको शरीर में एक असुविधाजनक सनसनी (Premonitory urge) महसूस हो सकती है, जैसे खुजली, झुनझुनी या खिंचाव। इसके बाद होने वाली टिक की अभिव्यक्ति राहत लाती है।

काफी प्रयास और एकाग्रता की मदद से टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त कुछ व्यक्ति टिक को अस्थायी रूप से रोक पाते हैं या उस पर नियंत्रण पा लेते हैं।

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए:

अगर आप को लगता है कि आपका बच्चा कोई अनैच्छिक गतिविधि करता है या अजीब तरीके की आवाजें निकालता है, तो उसे डॉक्टर को दिखाएं। 

हर टिक टूरेट सिंड्रोम का संकेत नहीं देता। कई बच्चों में टिक की समस्या विकसित हो जाती है, जो कुछ सप्ताहों से लेकर कुछ महीनों में अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन, जब भी किसी बच्चें में असाधारण व्यवहार देखा जाए तो उसके कारण की पहचान करना और अगर उसके पीछे कोई गंभीर समस्या है, तो उसका पता करना बहुत जरूरी होता है।

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टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम के कारण - Tourette Syndrome Causes in Hindi

टूरेट सिंड्रोम के कारण क्या हो सकते हैं?

टूरेट सिंड्रोम होने का कारण अभी अज्ञात है। लेकिन, यह माना जाता है कि यह मस्तिष्क के उस हिस्से से संबंधित होता है, जो शरीर की गति-चाल को नियंत्रिक करने में मदद करता है। टूरेट सिंड्रोम विकसित होने की संभावना लड़कियों से ज्यादा लड़कों में होती है।

उपरोक्त के साथ ही साथ कुछ अध्ययन इस ओर इशारा करते हैं कि टूरेट सिंड्रोम मस्तिष्क में किसी प्रकार के बदलाव या तंत्रिका कोशिकाओं के संचार करने के तरीकों में बदलाव करने के कारण होता है। मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) के संतुलन में किसी प्रकार की गड़बड़ी भी टूरेट सिंड्रोम विकसित होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। न्यूरोट्रांसमीटर, मस्तिष्क में स्थित एक प्रकार का केमिकल होता है, जो कोशिकाओं से कोशिकाओं तक सिग्नल ले जाने का काम करता है। (और पढ़ें - मानसिक रोग का इलाज)

टूरेट सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार होता है, इसका मतलब है कि यह माता-पिता से बच्चे में भी हो सकता है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि अगर किसी व्यक्ति को टूरेट सिंड्रोम है तो उसके बच्चों में भी यह स्थिति अवश्यक रूप से होगी। एक अध्ययन के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन में किसी को टूरेट सिंड्रोम है, तो उस व्यक्ति में यह विकार होने की 5 से15 प्रतिशत संभावना बढ़ जाती हैं।

वैज्ञानिक पहले मौलिक रूप से यह सोचा करते थे कि टूरेट सिंड्रोम सिर्फ एक जीन में मौजूद होता है, लेकिन अब यह माना जाता है कि यह कई जीन (Genes) में मौजूद हो सकता है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि इस समस्या के पीछे कोई महत्वपूर्ण आनुवंशिक कारक हो सकता है। 

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टूरेट सिंड्रोम से जुड़े कई किशोरों व बच्चों में अन्य बिहेवियरल (व्यवहारात्मक) विकार भी मौजूद हो सकता है, जैसे:

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टूरेट सिंड्रोम का खतरा कब बढ़ जाता है?

विकार का पारिवारिक इतिहास:
अगर परिवार (रक्त संबंध) में किसी को टूरेट सिंड्रोम या टिक संबंधी कोई विकार है, तो इससे टूरेट सिंड्रोम विकसित होने के जोखिम बढ़ जाते हैं।

लिंग: 
महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में यह समस्या होने के जोखिम तीन से चार गुना अधिक होते हैं।

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टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम से बचाव के उपाय - Prevention of Tourette Syndrome in Hindi

टूरेट सिंड्रोम की रोकथाम कैसे की जाती है?

टूरेट सिंड्रोम एक आनुवंशिक समस्या होती है और इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती। इसका इलाज भी नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ हद तक इसका प्रबंधन या इसके लक्षणों पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम का परीक्षण - Diagnosis of Tourette Syndrome in Hindi

टूरेट सिंड्रोम का परीक्षण कैसे किया जाता है?

आम तौर पर, टूरेट सिंड्रोम का परीक्षण टिक्स का विवरण प्राप्त करके या पारिवारिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन करके किया जाता है। टूरेट सिंड्रोम का परीक्षण करने के लिए व्यक्ति के कई शारीरिक और मौखिक टिक्स के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना पड़ता है। इसके साथ ही साथ न्यूरोइमेजिंग अध्ययन, जैसे कि एमआरआई (MRI), सीटी स्कैन (CT Scan), इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (EEG) आदि स्कैन और कुछ प्रकार के ब्लड टेस्ट भी किए जाते हैं, ताकि उन स्थितियों का पता लगाया जा सके जो टूरेट सिंड्रोम के रूप में दिखाई देती है।

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टूरेट सिंड्रोम का क्लीनिक परीक्षण भी होता है, पर ऐसा कोई खून टेस्ट या अन्य लेबोरेटरी टेस्ट उपलब्ध नहीं है, जो इस विकार का एक निश्चित परीक्षण कर सके। इसका परीक्षण पूरा करने के लिए आपके डॉक्टर आपको विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास भेज सकते हैं, जैसे न्यूरोलॉजिस्ट (स्नायु-विशेषज्ञ)।

टूरेट सिंड्रोम का क्लीनिकल परीक्षण इसके कारकों के संयोजन पर आधारित होता है, जिसमें निम्न शामिल हैं:

  • मेडिकल और पारिवारिक विस्तृत जानकारी। (और पढ़ें - ईईजी टेस्ट की जानकारी)
  • संपूर्ण शारीरिक और न्यूरोलॉजिक परीक्षण (इस परीक्षण का रिजल्ट आमतौर पर सामान्य ही आता है, लेकिन अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए यह परीक्षण करना पड़ता है)।
  • 3 से 21 साल की उम्र के भीतर अनैच्छिक गतिविधियों (टिक्स) का उभरना। (और पढ़ें - किडनी फंक्शन टेस्ट)
  • आवर्ती शारीरिक और मौखिक टिक्स की उपस्थिति, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ये एक ही समय में हो।
  • टिक्स, जो दिन में कई बार होती है। (और पढ़ें - एंडोस्कोपी कैसे होती है)
  • टिक्स की गंभीरता में बदलाव और टिक्स की संख्या, आवृत्ति, प्रकार और जहां पर टिक होते हैं, उस जगह में बदलाव।
  • लक्षणों की अवधि का एक साल से अधिक होना, इत्यादि।

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टॉरेट (टूरेट) सिंड्रोम का उपचार - Tourette Syndrome Treatment in Hindi

टूरेट सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

टूरेट सिंड्रोम को ठीक करने का कोई इलाज नहीं है। इसके इलाज में उन टिक्स को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है, जो रोजाना की गतिविधियों में हस्तक्षेप करती हैं। अगर टिक्स गंभीर नहीं हैं, तो हो सकता है उनका इलाज करना आवश्यक भी न हो।

दवाइयां:

कुछ प्रकार की दवाइयां, जो टिक्स को नियंत्रित करने और इससे संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं, उनमें निम्न शामिल हैं -

  • दवाएं जो डोपामाइन को कम या अवरुद्ध कर देती हैं:
    • फ्लूफेनाजाइन (Fluphenazine)
    • हैलोपेरीडोल (Haloperidol)
    • पिमोजाइड (Pimozide)
  • इसके संभावित दुष्प्रभावों में वजन बढ़ना और अनैच्छिक रूप से किसी गतिविधि को दोहराते रहना शामिल है। इसके साथ ही साथ टूरेट सिंड्रोम में टेट्राबिनाजीन (Tetrabenazine) दी जा सकती है, हालांकि यह गंभीर अवसाद पैदा कर सकती है। (और पढ़ें - वजन कम करने का तरीका)

    वजन घटाने का उपाय-मोटापे से परेशान? वजन कम करने में असफल? myUpchar आयुर्वेद मेदारोध फैट रेड्यूसर जूस द्वारा अब आसानी से वजन नियंत्रित करें। आज ही शुरू करें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
     
  • बोटुलिनम (बोटोक्स) इन्जेक्शन (Botulinum injections) -
    यह इन्जेक्शन प्रभावित मांसपेशी में लगाया जाता है, जिस से टिक की समस्या से राहत मिलती है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव का इलाज)
     
  • एडीएचडी दवाएं (ADHD medications) -
    मेथिलफेनिडेट जैसे उत्तेजक दवाएं, जिनमें डेक्स्ट्रोएमफेटामिन (Dextroamphetamine) होता है, ये ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि कर सकते हैं। हालांकि, टूरेट सिंड्रोम के कुछ मरीजों में एडीएचडी दवाएं टिक्स की स्थिति को खराब कर देती हैं। (और पढ़ें - एडीएचडी के लिए व्यवहार थेरेपी)
     
  • सेंट्रल एड्रीनर्जिक इनहिबिटरस (Central adrenergic inhibitors) - क्लोनिडाइन और गॉनफैसिन जैसे दवाएं, जिनको डॉक्टर आमतौर पर हाई बीपी के लिए लिखते हैं। ये दवाएं कुछ बिहेवियरल लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं, जैसे मनोवेग नियंत्रण संबधी समस्या या अचानक से गुस्सा आना। इन दवाओं के दुष्प्रभाव में तंद्रा (Sleepiness) शामिल है। (और पढ़ें - bp kam karne ke upay)
     
  • एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants) - 
    फ्लुऑक्सोटीन (Fluoxetine) दवाएं उदासी, चिंता और ओसीडी (OCD) के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। (और पढ़ें - ओसीडी का इलाज)
     
  • मिर्गी की रोकथाम करने वाली दवाएं (Antiseizure medications) -
    हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चला कि टूरेट सिंड्रोम, टोपिरामेट (Topiramate) नामक दवा पर प्रतिक्रिया करता है। इस दवा को मिर्गी के दौरों की समस्या में इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें - मिर्गी के दौरे क्यों आते हैं)

थेरेपी:

बिहेवियरल थेरेपी:

बिहेवियरल थेरेपी को आमतौर पर एक मनोवैज्ञानिक या एक विशेष रूप से प्रशिक्षित थेरेपिस्ट द्वारा किया जाता है। बिहेवियरल थेरेपी टिक्स पर नजर रखने, पूर्वसूचक क्रोध की पहचान करने और उन गतिविधियों को सीखने में मदद करती है जो टिक्स के साथ नहीं हो पाती। (और पढ़ें - थेरेपी के फायदे)

ऐसी दो प्रकार की बिहेवियरल थेरेपी हैं, जो टिक्स को कम करने में मदद करती हैं, जैसे: 

हेबिट रिवर्सल ट्रेनिंग:

इस थेरेपी में उन भावनाओं पर काम किया जाता है, जो टिक्स को ट्रिगर (संचालित) करती हैं। इसके अगले चरण में टिक्स की तीव्र इच्छा से राहत देने के लिए किसी वैकल्पिक या कम ध्यान देने योग्य तरीकों की खोज की जाती है। (और पढ़ें - जोंक चिकित्सा क्या है)

एक्सपोजर विद रिस्पोंस प्रिवेंशन (ERP):

यह तरीका आपको टिक्स की इच्छा को अच्छे से नियंत्रित करना सिखाती है। इसमें कुछ ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे टिक्स की इच्छा फिर से जागने लगती है। इस दौरान बिना टिक किए इसकी भावनाओं को तब तक सहन करना सीखाया जाता है, जब तक इच्छा शांत नहीं हो जाती। (और पढ़ें - क्रायो चिकित्सा क्या है)

साइकोथेरेपी (Psychotherapy): 
यह टूरेट सिंड्रोम का मुकाबला करने में आपकी मदद करती है। साइकोथेरेपी इस विकार के साथ में होने वाली अन्य समस्याओं में भी आपकी मदद करती है, जैसे एडीएचडी, स्थिर विचार (Obsessions), अवसाद या चिंता आदि।

टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त हर बच्चे को एक सहिष्णु और सहानुभूतिशील व्यवस्था की जरूरत होती है, ये दोनों उन्हें अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और अपनी विशेष आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त लचीलापन प्रदान करते हैं। इस व्यवस्था में निजी अध्ययन क्षेत्र, नियमित कक्षा के बाहर परीक्षा लिया जाना, असमय परीक्षण या मौखिक परीक्षा को भी शामिल किया जाता है।

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टिक्स को मैनेज करना:
ऐसी गतिविधियां, जिनमें प्रतिस्पर्धी खेल, कोई मनोरंजक कंप्यूटर गेम खेलना या कोई दिलचस्प किताब पढ़ना आदि शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अत्यधिक उत्साह होने से भी कुछ लोगो में टिक्स हो जाता है, इसलिए कुछ गतिविधियों का उल्टा असर भी पड़ सकता है।

कई लोग टिक्स को कंट्रोल करने का तरीका स्कूल या काम के दौरान ही सीख लेते हैं। लेकिन कई बार टिक्स दबाने से तनाव बढ़ सकता है, जब तक फिर टिक न किया जाए।

समय के साथ-साथ टिक्स के प्रकार, आवृत्ति और उसकी गंभीरता में बदलाव आ सकते हैं। टिक्स अक्सर किशोरावस्था की उम्र में अधिक गंभीर होती है और वयस्कता आते-आते इसमें सुधार आने लगता है। 

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संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Tourette Syndrome.
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Tourette Syndrome Treatments.
  3. National Institute of Neurological Disorders and Stroke [internet]. US Department of Health and Human Services; Tourette Syndrome Fact Sheet.
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; What is Tourette Syndrome?.
  5. National Institutes of Health; [Internet]. U.S. National Library of Medicine. Study of Tics in Patients With Tourette's Syndrome and Chronic Motor Tic Disorder.