अस्थमा का उपचार कैसे किया जाता है?
अस्थमा के उपचार के दो पहलू आपको पता होने चाहिए - पहला, कैसे अस्थमा के लक्षणों या अस्थमा अटैक से जल्द राहत पाई जा सके, और दूसरा, कैसे इसे आगे के लिए नियंत्रित किया जा सके। अगर आपको यह जानकारी होगी, तो आप अपने डॉक्टर की मदद से अस्थमा और उसके लक्षणों पर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काबू पा सकेंगे।
इसके अलावा, आपको यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए की कब आप स्वयं अस्थमा के लक्षणों से निपट सकते हैं, और कब आपको चिकित्सा की तुरंत ज़रूरत है। अगर आप ऐसा करने मे सक्षम होंगे, तो आपको अस्थमा के कारण कोई आपातकालीन स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।
1. अस्थमा की दवाएं –
अस्थमा की दवाइयाँ आपकी जिंदगी बचा सकती हैं, और आपको अस्थमा होने के बावजूद भी एक सक्रिय जीवन जीने में समर्थ बना सकती हैं। अस्थमा के इलाज के लिए दो प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है -
- स्टेरॉयड और अन्य एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स – सूजन और जलन को कम करने वाली दवाएं और विशेष रूप से इन्हेल्ड स्टेरॉयड (नाक के माध्यम से ली जाने वाली दवा) अस्थमा के ज्यादातर मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार माना जाता है। ये जीवनरक्षक दवाएं वायुमार्ग में सूजन और बलगम बनने को कम करके अस्थमा के प्रभाव को कम करती हैं। इसके परिणामस्वरूप वायुमार्ग कम संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षणों की संभावना कम हो जाती है।
- ब्रोंकॉडायलेटर्स – ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं। ब्रोंकॉडायलेटर्स दो प्रकार के होते हैं -
- शॉर्ट एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स इन्हेलर - इसको अक्सर "रेस्क्यू इनहेलर" (rescue inhaler; नाक के माध्यम से बचाव के लिए ली जाने वाली दवा) के रूप में जाना जाता है। इसका प्रयोग इन समस्याओं से जल्द राहत देने के लिए उपयोग किया जाता है - खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में जकड़न, अस्थमा की वजह से सांस फूलना। व्यायाम करने वाले व्यक्ति जिनको अस्थमा है, वे भी इसका प्रयोग व्यायाम शुरू करने से पहले और बाद में करते हैं। अस्थमा के उपचार के लिए इसका नियमित रूप से प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। अगर शॉर्ट-एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स का उपयोग आप सप्ताह में दो बार करना पड़ता है, तो इसका मतलब है कि आप अस्थमा को ढंग से नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
- लॉन्ग-एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स – कई बार इसका प्रयोग इन्हेल्ड स्टेरॉयड या कोर्टिकोस्टेरॉयड के साथ मिलाकर किया जाता है। इसे अस्थमा के लक्षणों पर नियंत्रण पाने के लिए, या जब किसी व्यक्ति को प्रतिदिन चल रहे इन्हेल्ड स्टेरॉयड के उपचार के बावजूद भी अस्थमा के लक्षण दिख रहे हों, उसे नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
2. अस्थमा इन्हेलर
अस्थमा इनहेलर्स फेफड़ों में अस्थमा की दवाएं पहुंचाने का सबसे सामान्य और बेहतर तरीका माना जाता है। वे अलग-अलग प्रकारों में उपलब्ध हैं, जिनको उपयोग करने के लिए अलग-अलग तकनीकों की जरूरत होती है। कुछ इन्हेलर्स एक प्रकार की दवा प्रदान करते हैं, तो कुछ इन्हेलर्स में दो अलग-अलग दवाइयाँ मिलती हैं।
3. अस्थमा नेब्यूलाइजर
अगर आपको छोटे इन्हेलर्स को प्रयोग करते समय कठिनाई हो रही है या आप ठीक प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर आपके लिए अस्थमा नेब्यूलाइजर लिख सकते हैं। इस मशीन में एक मास्क लगा होता है तो आम तौर पर शिशुओं, छोटे बच्चों और अधिक वृद्ध व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, या उन व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है जिनको सांस लेने में कठिनाई होती है। नेब्यूलाइजार दवाओं को तरल से भाप में बदल देता है, जिससे दवाएं आसानी से फेंफड़ों तक पहुंचाई जाती है। इसको प्रयोग करने में इन्हेलर से कुछ मिनट ज्यादा का समय लगता है।
4. प्रेडनीसोन और अस्थमा अटैक
अगर आपको अस्थमा का गंभीर अटैक हुआ है, तो आपके डॉक्टर ओरल कोर्टिकोस्टेरॉयड्स का एक छोटा कोर्स आपके लिए लिख सकते हैं। इसको दो सप्ताह तक प्रयोग करने पर कोर्टिकोस्टेरॉयड के दुष्प्रभाव होने की संभावना कम है। मगर इसे एक महीने से ज्यादा प्रयोग करने से इसके दुष्प्रभाव अधिक गंभीर और स्थायी भी हो सकते हैं।
अस्थमा के लक्षणों का सफलतापूर्वक नियंत्रण और उपचार करने के बाद,आपके डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा का उदेश्य होगा कि भविष्य में आपको प्रेडनीसन दवा की जरूरत कम पड़े। रोजाना एक कोर्टिकोस्टरॉयड लेना अस्थमा की रोकथाम करने का सबसे बेहतर और सामान्य तरीका है।