पीलिया - Jaundice in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

March 10, 2017

January 30, 2024

पीलिया
पीलिया

पीलिया (जॉन्डिस) क्या है?

पीलिया होने का कारण बिलीरुबिन नामक पदार्थ है जिसका निर्माण शरीर के ऊतकों और रक्त में होता है। जब लिवर में लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं, तब पीले रंग का बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है। जब किसी परिस्तिथि के कारण यह पदार्थ रक्त से लिवर की ओर और लिवर द्वारा फिल्टर कर शरीर से बाहर नहीं जा पाता है, तो पीलिया होता है। 

पीलिया एक ऐसा रोग है जिसमें टोटल सीरम बिलीरूबिन का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से ऊपर बढ़ जाता है। 

इसके मुख्य लक्षणों में आंखों के सफेद हिस्सा, म्यूकस मेम्बरेन (अंदरुनी नरम ऊतकों की परत) और त्वचा का रंग पीला  पड़ जाता है। पीलिया आमतौर पर नवजात शिशुओं को होता है, लेकिन यह कुछ मामलों में यह वयस्कों को भी हो जाता है। पीलिया कई बार कुछ अन्य लक्षण भी महसूस होने लग जाते हैं, जैसे पेट में दर्द, भूख ना लगना और वजन घटना आदि। 

बच्चों में पीलिया का इलाज करने के लिए फोटोथेरेपी की जाती है और खून चढ़ाया जाता है। वयस्कों में इस स्थिति का इलाज करने के लिए पीलिया का कारण बनने वाली स्थिति का इलाज करना, दवाएं व कुछ मामलों में ऑपरेशन आदि किया जा सकता है। 

यदि इसको बिना इलाज किए छोड़ दिया तो यह मस्तिष्क को प्रभावित कर देता है। इससे अन्य कई प्रकार के जटिलताएं भी विकसित हो सकती हैं, जैसे सेप्सिस, लीवर काम करना बंद कर देना या इनसे संबंधी अन्य समस्याएं आदि।

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जॉन्डिस के प्रकार - Types of Jaundice in Hindi

पीलिया कितने प्रकार का होता है?

जॉन्डिस के तीन मुख्य प्रकार हैं:

  1. हेमोलिटिक जॉन्डिस: अगर लाल रक्त कोशिकाएँ वक्त से पहले टूट जाएँ, तो बिलीरुबिन इतनी ज़्यादा मात्रा में पैदा हो सकता है जिसे लिवर संभाल ना पाए यानी फिल्टर ना कर पाए। इस कारण रक्त में अपरिष्कृत (unprocessed) बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाने से पीलिया होता है जिससे आँखें और त्वचा पीली दिखाई देने लगती हैं। इसे प्री-हिपेटिक पीलिया या हेमोलिटिक पीलिया कहते हैं। यह स्तिथि आनुवांशिक या कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण भी हो सकती है।
     
  2. हेपैटोसेलुलर जॉन्डिस: कई बार लिवर की कोशिकाओं में समस्या की वजह से पीलिया होता है। नवजात शिशुओं में उन एंजाइमों की परिपक्वता की कमी होती है जो बिलीरूबिन की प्रक्रिया के लिए ज़रूरी हैं और उनका लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है जिसके कारण उनमें अस्थायी पीलिया हो सकता है। बड़ों में शराब, अन्य विषाक्त पदार्थ और कुछ दवाएं लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाने की वजह हैं जिससे हेपैटोसेलुलर पीलिया हो सकता है। 
     
  3. पोस्ट-हिपेटिक जॉन्डिस या ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस: पित्त नलिका में रुकावट के कारण बिलीरुबिन बढ़ जाता है जिसके मूत्र में फैलने से उसका रंग पीला हो जाता है। इसे पोस्ट-हिपेटिक पीलिया या ऑब्सट्रक्टिव पीलिया कहते हैं।

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पीलिया के लक्षण - Jaundice Symptoms in Hindi

पीलिया के लक्षण क्या हैं?

पीलिया का सबसे बड़ा लक्षण है त्वचा और आँखों के सफेद हिस्सों का पीला हो जाना।

इसके अलावा, पीलिया के लक्षणों में निम्न शामिल हैं 

आप एक खुश और स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो अपने लिवर को स्वस्थ रखें, शराब से दूर रहें, सरल आहार का पालन करें और पीलिया के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करें।

(और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के घरेलू उपाय)

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पीलिया के कारण - Causes and Risk Factors of Jaundice in Hindi

जॉन्डिस क्यों होता है?

अगर रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा 2.5 से ज्यादा हो जाती है तो लिवर के गंदगी साफ करने की प्रक्रिया रुक जाती है और इस वजह से पीलिया होता है।

प्री-हिपेटिक पीलिया लाल रक्त कोशिकाओं के जल्दी टूटने से बिलीरुबिन की मात्रा में वृद्धि के कारण होता है। इसके पीछे काफी दिनों तक मलेरिया, थैलासीमिया, स्किल सेल एनीमिया, गिल्बर्ट सिंड्रोम और अन्य कई आनुवांशिक कारण हो सकते हैं। 

हेपैटोसेलुलर पीलिया लीवर की कोशिकाओं में नुकसान या लीवर में किसी भी तरह के संक्रमण के कारण होता है जिसके पीछे शरीर में एसिडिटी के बढ़ जाने, ज्यादा शराब पीने, अधिक नमक और तीखे पदार्थों के सेवन जैसे कारण हैं।

पोस्ट-हिपेटिक पीलिया पित्त नलिका में रुकावट के कारण होता है जो की लिवर में घाव, पित्ताशय की पथरी, हेपेटाइटिस, किसी दवाई की अधिक मात्रा से विपरीत प्रतिक्रिया होने का परिणाम हो सकती है।

पीलिया होने के जोखिम कारक

पीलिया के प्रमुख जोखिम कारक, इसमें शामिल हैं:

  • समयपूर्व जन्म:
    38 सप्ताह से पहले पैदा होने वाला बच्चा बिलीरूबिन की प्रक्रिया पूरी तरह से पूर्णकालिक के रूप में नहीं कर सकता है। साथ ही, वह कम खाता और कम मल त्यागता है, जिसके कारण मल के माध्यम से कम बिलीरूबिन का सफाया होता है। (और पढ़ें - समय से पहले बच्चे का जन्म)
     
  • जन्म के दौरान चोट:
    अगर नवजात शिशु को प्रसव से चोट लग जाती है, तो उसमें लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बिलीरूबिन का स्तर बढ़ सकता है।
     
  • रक्त का प्रकार:
    यदि मां के रक्त का प्रकार उसके बच्चे से भिन्न होता है, तो बच्चे को प्लेसेंटा के माध्यम से एंटीबॉडी प्राप्त हो जाती है, जिससे कि उसकी रक्त कोशिकाएं और अधिक तेज़ी से टूट जाती है।
     
  • स्तनपान:
    नवजात शिशु खासतौर पर वो जिन्हे स्तनपान से सम्पूर्ण पोषण नहीं मिला है, उन्हें पीलिया होने का अधिक खतरा होता है।

(और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं)

पीलिया से बचाव - Prevention of Jaundice in Hindi

जॉन्डिस होने से कैसे रोका जा सकता है?

लीवर शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है क्योंकि सिर्फ यही अंग होता है जो पाचक रस बनाता है, जो भोजन पचाने के काम आता है। इसके साथ-साथ लीवर खून का थक्का जमने की प्रक्रिया, मरीज द्वारा ली गई मेटाबॉलिज्म करना और विषाक्त पदार्थों सो शरीर से बाहर निकालने में मदद करना है। हालांकि निम्न की मदद से लीवर को सुरक्षित रखना जरूरी होता है:

  • संतुलित आहार खाना
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करना
  • साफ व स्वच्छ पानी पीना
  • शराब बंद कर देना 
  • एक से अधिक यौन साथियों के साथ असुरक्षित यौन संबंध ना बनाना।

(और पढ़ें - शराब की लत का इलाज)

पीलिया की जांच - Diagnosis of Jaundice in Hindi

पीलिया का परिक्षण कैसे किया जाता है?

चिकित्सक रोगी के इतिहास और शारीरिक परीक्षा के आधार पर पीलिया का निदान करते हैं, जिसमें पेट पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है और लिवर की जांच की जाती है।

पीलिया की गंभीरता कई परीक्षणों द्वारा निर्धारित की जाती है, जिनमें पहले लिवर कार्य परीक्षण होता है यह देखने के लिए कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

यदि लक्षणों का कारण नहीं पहचाना जा रहा, तो रक्त परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है ताकि बिलीरुबिन के स्तर की जांच हो सके और रक्त की संरचना का मूल्यांकन किया जा सके। इनमें से कुछ परीक्षण शामिल हैं:

  1. बिलीरुबिन टेस्ट - संयुग्मित बिलीरुबिन के स्तर के बराबर असंतुलित बिलीरुबिन का स्तर हेमोलिसिस (लाल रक्त कोशिकाओं के त्वरित विघटन) को इंगित करता है।
  2. कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट (complete blood count test) - रक्त कोशिकाओं की गणना करने के लिए  
  3. हेपेटाइटिस ए, बी, और सी का परीक्षण

यदि लिवर में खराबी है, तो लिवर को इमेजिंग टेस्ट की मदद से देखा जाता है। इनमें कुछ परीक्षण शामिल हैं:

  1. एमआरआई स्कैन - मानवीय शरीर के नरम ऊतकों की छवि "स्लाइसें" बनाने के लिए चुंबकीय संकेतों का उपयोग होता है।
  2. पेट की अल्ट्रासोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) - मानव शरीर के अंदर नरम ऊतकों की एक दो-आयामी छवि बनाने के लिए उच्च आवृत्ति वाले ध्वनि तरंगों का उपयोग होता है।
  3. सीटी स्कैन (कैट स्कैन) - शरीर में नरम ऊतकों की छवि "स्लाइस" बनाने के लिए एक पतली एक्स-रे किरण का उपयोग होता है।
  4. एन्डोस्कोपिक रेट्रोग्रैड कोलैंजियोपैनक्रीटोग्राफी (ईआरसीपी) - एक प्रक्रिया जो एंडोस्कोपी और एक्स-रे इमेजिंग को जोड़ती है।

लिवर बायोप्सी विशेष रूप से सूजन, सिरोसिस, कैंसर और फैटी लिवर की जांच करने में उपयोगी होती है। इस परीक्षण में ऊतक का एक नमूना प्राप्त करने के लिए त्वचा के माध्यम से सुई द्वारा जिगर में इंजेक्शन लगाना शामिल है, इसमें माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

नोट: यदि आपको पहले पीलिया हो चुका है, तो उचित परीक्षण से पहले रक्तदान ना करें।

जॉन्डिस का इलाज - Jaundice Treatment in Hindi

पीलिया का उपचार कैसे किया जाता है?

आयरन की खुराक लेने या अधिक आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से रक्त में आयरन की मात्रा की वृद्धि होती है जिससे एनीमिया से होने वाला पीलिया का इलाज किया जा सकता है।

पीलिया का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। जैसे ही पीलिया का परीक्षण हो जाता है वैसे ही उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है:

  • हेपेटाइटिस से होने वाले पीलिया का इलाज स्टेरॉयड दवाओं से किया जा सकता है।
  • ड्रग्स / दवाइयों / विषाक्त पदार्थों के कारण पीलिया अगर हुआ हो, तो उसके कारण को पहचान कर तुरंत रोक देना चाहिए।
  • विभिन्न दवाओं का इस्तेमाल पीलिया का इलाज करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कुछ ऑटोइम्यून विकारों के उपचार में स्टेरॉयड का इस्तेमाल। उदाहरण के लिए, सिरोसिस वाले कुछ रोगियों को मूत्रवर्धक और लैक्टुलोज के उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
  • पीलिया के संक्रामक कारणों के लिए या पीलिया से जुड़ी जटिलताओं के लिए एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो सकती है।
  • कैंसर की वजह से हुए पीलिया वाले मरीज को ऑन्कोलॉजिस्ट के परामर्श की आवश्यकता होती है, और यह उपचार कैंसर के प्रकार और सीमा (स्टेजिंग) पर निर्भर करता है।
  • पीलिया वाले कुछ रोगियों के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, पित्ताशय की पथरी के कुछ रोगियों को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। लिवर फेल होने पर या सिरोसिस में लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
कुछ रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है।
 
पीलिया पीड़ित के लिए कुछ जरूरी टिप्स

अपनी जीवन शैली में परिवर्तन और उचित आहार के सेवन से जॉन्डिस के इलाज में मदद मिलती है:

  • उचित डाइट:
    किसी भी बीमारी से उभरने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पीलिया के लिए भी सच है। समय पर भोजन का सेवन करें और एक दिन में 4-5 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं, यह तीन बार के भरपूर भोजन खाने से बेहतर होता है। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद अच्छे से हाथ धोएं। पीने के लिए शुद्ध पानी का सेवन करें।
    • क्या खाएं
      पीलिया के रोगियों को वैसी हरी सब्जियां और खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पचने योग्य होते हैं। पीलिया के रोगियों को ऐसी सब्जियों के रस का सेवन करना चाहिए जो स्वाद में कड़वी होती हैं जैसे करेला। यह रस पीलिया के मामले में बहुत फायदेमंद होते हैं। साथ ही नींबू का रस, मूली या टमाटर का रस पीना भी बहुत ही उपयोगी है। पीलिया रोगियों के लिए छाछ और नारियल के पानी का सेवन भी बहुत अच्छा है। गेहूंअंगूर, किशमिशबादाम, इलायची और ताजे फल के रस का सेवन करना चाहिए। (और पढ़ें - जॉन्डिस में क्या खाए)
       
    • क्या नहीं खाना चाहिए
      पीलिया के रोगियों को मसालेदार, नमकीन और तेलयुक्त भोजन से दूर रहना चाहिए। शराब का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आपके जिगर के लिए धीमे जहर के रूप में कार्य करती है और पीलिया की समस्या को बढ़ा सकती है। गैर-शाकाहारी खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड को अपने आहार में शामिल नहीं करना चाहिए। दाल और कार्बोहाइड्रेट समृद्ध भोजन के सेवन से बचना चाहिए। (और पढ़ें – शराब की लत से छुटकारा पाने के तरीके)
       
  • योग:
    जब पीलिया से उबरने की बात आती है तो इसके लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि आप पर्याप्त आराम करें और ज्यादा मेहनत न करें। दिन के दौरान सोने से बचें। आप मत्स्यासन करें, यह पीलिया के रोग से उबरने में मदद करता है। इसके साथ साथ भुजंगासनउत्तान पादासनशवासन और प्राणायाम भी बहुत फायदेमंद हैं।
     
  • ड्रग्स से रहें दूर:
    पीलिया रोगियों के लिए गैरकानूनी दवाओं का इंजेक्शन, नशीली दवाएँ या लिवर को नुकसान पहुँचाने वाली दवाएँ बहुत हानिकारक हैं अतः इनके उपयोग से बचें।
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पीलिया कितने दिन रहता है? - How long does Jaundice last in Hindi?

पीलिया कब तक ठीक होता है?

वयस्कों में पीलिया का इलाज उसके होने के कारण के अनुसार किया जाता है। क्योंकि हर कारण के इलाज की समयसीमा अलग होती है, एक निश्चित समयसीमा नहीं दी जा सकती। 

जो शिशु माँ के दूध पर होते हैं, उनमें पीलिया 1 महीने तक रह सकता है। जो बच्चे फार्मूला पर होते हैं, उनमें जॉन्डिस 2 हफ्ते तक रह सकता है। अगर जॉन्डिस 3 हफ्ते या उससे ज्यादा समय के लिए चलता रहे, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

 

पीलिया से होने वाली जटिलताएं - Jaundice Complications in Hindi

वयस्कों को पीलिया से क्या नुकसान हो सकते हैं?

जटिलता का प्रकार और जटिलताओं की गंभीरता पीलिया होने के कारण पर निर्भर करती हैं। संभावित जटिलताओं में से कुछ में शामिल हैं -

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस ए के लक्षण)



संदर्भ

  1. Stillman AE. Jaundice. In: Walker HK, Hall WD, Hurst JW, editors. Clinical Methods: The History, Physical, and Laboratory Examinations. 3rd edition. Boston: Butterworths; 1990. Chapter 87.
  2. National Health Service [internet]. UK; Treatment Newborn jaundice
  3. p S, Glicken S, Kulig J, et al. Management of Neonatal Hyperbilirubinemia: Summary. 2002 Nov. In: AHRQ Evidence Report Summaries. Rockville (MD): Agency for Healthcare Research and Quality (US); 1998-2005. 65.
  4. Wan A, Mat Daud S, Teh SH, Choo YM, Kutty FM. Management of neonatal jaundice in primary care. Malays Fam Physician. 2016 Aug 31;11(2-3):16-19. PubMed PMID: 28461853; PubMed Central PMCID: PMC5408871.
  5. National Health Service [internet]. UK; Kernicterus
  6. National Health Service [Internet]. UK; Jaundice

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पीलिया की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Jaundice in Hindi

पीलिया के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

पीलिया की जांच का लैब टेस्ट करवाएं

पीलिया के लिए बहुत लैब टेस्ट उपलब्ध हैं। नीचे यहाँ सारे लैब टेस्ट दिए गए हैं:

पीलिया पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 6 साल पहले

क्या पीलिया संक्रामक रोग है?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

जॉन्डिस संक्रामक रोग नहीं है। यह एक से दूसरे तक नहीं फैलता है। लेकिन कुछ ऐसे संक्रामक रोग होते हैं, जिसकी वजह से जान्डिस जैसी बीमारी हो सकती है।

सवाल लगभग 6 साल पहले

काला पीलिया क्या होता है?

Dr. Tarun kumar MBBS , Other

काले पीलिया मानव शरीर के अंदर बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण होने वाली जलजनित बीमारी है। बीमारी की प्रारंभिक अवस्था को लेप्टोस्पायरोसिस के नाम से जाना जाता है और गंभीर स्थिति में पहुंचने पर यह वीइल रोग के रूप में जाना जाता है।

सवाल लगभग 6 साल पहले

काला पीलिया के लक्षण क्या हैं?

Dr. Anand Singh MBBS , सामान्य चिकित्सा

हैरानी की बात यह है कि काले पीलिया का कोई विशेष लक्षण नहीं है। बुखार, जुखाम जैसे सामान्य लक्षण ही इस बीमारी में देखने को मिलते हैं। लेकिन यह मरीज के फेफड़ों, गुर्दा, हृदय और मस्तिष्क तक को प्रभावित करता है। हालाँक दो चरणों में इसके लक्षणों को समझा जा सकता है। पहले चरण में मरीज को बहुत तेज बुखार, उल्टी डायरिया, मांसपेशिओं और जांघों में दर्द, आंखों का लाल होना, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, सिरदर्द, खांसी, कंपकपी आना शामिल हैं। यह लक्षण 5 से 7 दिनों तक दिखाई देते हैं। दूसरे चरण में मरीज की त्वचा और आंखें पीली होने लगती हैं। इसके अन्य लक्षण हैं गुर्दे का फेल होना, फेफड़ों में समस्या आना, अनियमित हृदय गति , मेनिनजाइटिस या मस्तिष्क में बुखार चढ़ना, वजन का घटना, सांस लेने में दिक्कत आना और आंखों का लाल होना आदि। यह लक्षण एक से दो हफ्तों तक रहते हैं।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

बच्चों में पीलिया के लक्षण क्या हैं?

Dr. Amit Singh MBBS , सामान्य चिकित्सा

अमूमन पीलिया होने के लक्षण एक जैसे ही होते हैं जैसे त्वचा का पीला होना, आंखों का सफेद होना, शरीर से निकलने वाले पदार्थों का रंग बदलना जैसे पीला मल और गाढ़े रंग का पेशाब निकलना। बच्चे का पीलिया अगर गंभीर चिकित्सा स्थिति से संबंधित है, जैसे कि हेपेटाइटिस, तो उसके निम्न लक्षण हो सकते हैं जैसे कमजोरी, बुखार होना, चक्कर आना आदि।