मेलेनिन क्या है?
मेलेनिन शरीर में उपस्थित एक प्राकृतिक पदार्थ होता है। मेलेनिन आंखों की पुतली, बालों और त्वचा को रंग प्रदान करता है। त्वचा की मेलैनोसाइट्स (Melanocytes ) नामक कोशिकाएं शरीर में मेलेनिन का निर्माण करती हैं। मेलेनिन एक प्राकृतिक सनस्क्रीन का काम भी करता है, जो त्वचा को पराबैंगनी किरणों (UV rays) से बचाता है। हालांकि यह सनबर्न को पूरी तरह से नहीं रोक पाता। आपके शरीर में मेलेनिन की मात्रा, विटामिन डी बनाने की शरीर की क्षमता को भी निर्धारित करती है। विटामिन डी एक आवश्यक पोषक तत्व होता है, जो धूप के संपर्क में आने पर बनता है। मेलेनिन का स्तर इस इस पर निर्भर करता है, कि आप कितना समय धूप में बिताते हैं और धूप कितनी तेज है।
इसके अलावा हार्मोन में किसी प्रकार का बदलाव मेलेनिन के सामान्य स्तर को प्रभावित कर सकता है। जिन लोगों में मेलेनिन की मात्रा जितनी अधिक होती है उनकी त्वचा का रंग उतना ही काला होता है, जबकि जिन लोगों में मेलेनिन कम होता है उनकी त्वचा गौरी होती है। मानव स्वास्थ्य के कई अलग-अलग पहलुओं के लिए मेलेनिन भी महत्वपूर्ण है और शरीर पर इसके कई अलग-अलग प्रभाव होते हैं। (और पढ़ें - गोरा होने के उपाय)
शरीर में मेलेनिन की कमी कई समस्याओं से जुड़ी होती है, जैसे विटिलिगो (Vitiligo) और एल्बीनिज़्म (Albinism)। शरीर में मेलेनिन की कमी होने पर आंख, बाल और त्वचा का रंग बिगड़ने जैसे लक्षण पैदा होने लगते हैं। शरीर में मेलेनिन कम होने पर रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशीलता, देखने संबंधी समस्याएं और भेंगापन जैसे लक्षण भी पैदा हो जाते हैं।
डॉक्टर इस स्थिति का परीक्षण आपके लक्षणों के आधार पर करते हैं, जांच के दौरान आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है। स्थिति की जांच की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर जेनेटिक टेस्टिंग और स्किन बायोप्सी जैसे टेस्ट करवाने का सुझाव भी दे सकते हैं। (और पढ़ें - डीएनए टेस्ट क्या है)
मेलेनिन के कारण होने वाली रंगहीनता (त्वचा का रंग बिगड़ना) आनुवंशिक समस्या है, जिसकी रोकथाम करना संभव नहीं है। मेलेनिन की कमी से होने वाली समस्या में सुधार करने के लिए त्वचा को धूप से बचाकर रखना, धूप से सुरक्षा करने वाली क्रीम का उपयोग करना, यू.वी. लाइट फोटोथेरेपी, कोर्टिकोस्टेरॉयड क्रीम और सोरलेन (psoralen) और टोक्रोलीमस (tacrolimus) जैसी दवाएं शामिल हैं।
मेलेनिन की कमी होने पर कई जटिलताएं होने लगती हैं, जिनमें स्किन कैंसर, कम दिखाई देना, तनाव, भावनात्मक तनाव और सामाजिक अलगाव (समाज से दूर रहना) आदि शामिल हैं।
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