पेट में गैस
इसे पेट या आंतों की गैस और पेट फूलना के रूप में भी परिभाषित किया जाता है, यह एक अपशिष्ट गैस होती है जो पाचन के दौरान बनती है। यह गैस आम तौर पर गुदा (anus) से होते हुऐ कई बार गंध और आवाज के साथ बाहर निकलती है।
पेट में अधिक गैस कई बार हवा निगल लेने के कारण होती है। इसके अलावा, बिना पचे ही खाद्य पदार्थों का निकलना, लेक्टोज ना पचा पाना और कुछ खाद्य पदार्थों का कुवअवशोषण (malabsorption) भी इसके मुख्य कारणों में से एक हैं।
ज्यादातर गैस खाद्य पदार्थों में माइक्रोबियल ब्रेकडाउन (microbial breakdown) से होती है, उदारण के लिए हाइड्रोजन (hydrogen), कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे गैस बनने लगती हैं। गंध अन्य अपशिष्ट गैसों या यौगिकों से निकलती है।
इसके लक्षणों में पेट से गैस निकलना, डकार लेना, पेट फूलना और पेट में दर्द व बेचैनी आदि शामिल हैं।
अधिक गैस निकलना कोई आपात चिकित्सा स्थिति नहीं पैदा करती, हालांकि इसको जल्द से जल्दी डॉक्टर से चेक करवा लेना चाहिए क्योंकि पेट की गैस के साथ कुछ अन्य लक्षण भी जुड़ सकते हैं। जिनमें शामिल है,
- पेट में गंभीर ऐंठन
- दस्त (डायरिया)
- कब्ज
- मल में खून आना
- बुखार (और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए?)
- मतली और उल्टी
- दाहिने तरफ पेट में दर्द और फूलना
पेट की गैस का निदान आम तौर पर मरीज की पिछली दवाईयों या खाद्य पदार्थों के सेवन की जानकारी और उसका शारीरिक परिक्षण लेकर किया जाता है। वैसे ज्यादातर मामलों में टेस्ट आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ती, मगर जरूरत पड़ने पर डॉक्टर द्वारा मरीज की सांसों और अधोवायु (गैस का मलाशय से निकलना) आदि का विश्लेषण किया जा सकता है।
अन्य कुछ ऐसे दुर्लभ मामलें होते हैं जिनमें कुछ अतिरिक्त टेस्ट जैसे कोलोनोस्कोपी (colonoscopy), एक्स-रे और सी.टी. स्कैन आदि की जरूरत पड़ जाती है।
पेट की गैस के प्राकृतिक और घरेलू उपचारों में आहार में बदलाव शामिल है, क्योंकि पेट में गैस कुछ खाद्य पदार्थो के कारण भी बन जाती है जिनको खाद्य पदार्थों से हटा दिया जाता है।
पेट की गैसे के मेडिकल उपचार में एंटीबायोटिक्स शामिल होती हैं, और फाइबर खाद्य पदार्थों में वृद्धि करने की सलाह जाती है। मेडिकल स्टोर से बिना पर्ची के मिलने वाली दवाएं (over-the-counter medicine) भी उपलब्ध होती हैं, जो पेट की गैस का समाधान कर सकती हैं।