हाइपोग्लाइसीमिया के क्या कारण होते हैं?
हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है, जब रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बहुत कम हो जाता है। एेसा होने के कई कारण हो सकते हैं। डायबिटीज के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का साइड इफेक्ट इसका सबसे सामान्य कारण होता है। हाइपोग्लाइसीमिया कैसे होता है, यह समझने के लिए यह जानना होगा कि कैसे शरीर में रक्त शर्करा का निर्माण तथा इसका अवशोषण और संचयन को होता है।
रक्त शर्करा को नियमित करना:
पाचन के दौरान, शरीर कार्बोहाइड्रेट को विभिन्न प्रकार की वसा में तोड़ देता है। इनमें से एक प्रकार की वसा को ग्लूकोज कहा जाता है, जो शरीर के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत होता है। खाना खाने के बाद ग्लूकोज आपके ब्लडस्ट्रीम (रक्त) में अवशोषित हो जाता है, लेकिन इन्सुलिन की मदद के बिना यह अधिकांश ऊतकों की कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। इन्सुलिन अग्नाशय (Pancreas) द्वारा उत्पादिन एक हार्मोन होता है।
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जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो यह इन्सुलिन जारी करने के लिए अग्नाशय को संकेत देता है। इन्सुलिन, ग्लूकोज को अवशोषित करने में कोशिकाओं की मदद करता है ताकि वे ठीक से काम कर सकें। शरीर द्वारा अतिरिक्त ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में लिवर और मांसपेशियों में एकत्रित किया जाता है।
यह प्रक्रिया आपके खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करती है और इसे भयानक रूप से उच्च स्तर तक पहुंचने से रोकती है। जैसे ही आपका ब्लड शुगर लेवर सामान्य स्तर पर पहुंचता है वैसे ही आपके अग्नाशय से इंसुलिन का स्त्राव सही हो जाता है।
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डायबिटीज के साथ संभावित कारण:
यदि आपको डायबिटीज है, तो आपके शरीर पर इंसुलिन का प्रभाव काफी कम होता है, क्योंकि आपके अग्न्याशय में पर्याप्त मात्रा में इसका उत्पादन नहीं होता (टाइप 1 डायबिटीज), या फिर आपकी कोशिकाएं इसके प्रति कम प्रतिक्रिया देती हैं (टाइप 2 मधुमेह)। इसके परिणामस्वरुप, खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और यह खतरनाक तरीके से उच्च स्तर तक पहुंच सकती है। वहीं यदि आप अपने रक्त में ग्लूकोज की मात्रा की जगह ज्यादा इंसुलिन लेते हैं, इससे रक्त में शर्करा का स्तर काफी गिर जाता है और इसका परिणाम हाइपोग्लाइसीमिया होता है। डायबिटीज की दवाएं लेने के कारण भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। यदि आप सामान्य मात्रा से कम खाते हैं ( कम ग्लूकोज ग्रहण करना) या सामान्य से ज्यादा व्यायाम (ग्लूकोज का ज्यादा प्रयोग करना) करते हैं, तो यह भी हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकते हैं।
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डायबिटीज के बिना, संभावित कारण:
जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है, उनमें हाइपोग्लाइसीमिया विकसित होने के कारण बहुत कम होते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -
- दवाएं:
डायबिटीज पीड़ित किसी दूसरे व्यक्ति की दवाएं गलती से या जानबूझ कर लेना भी हाइपोग्लाइसीमिया का एक कारण हो सकता है। अन्य भी कई ऐसी दवाएं हैं जिनके कारण हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। (और पढ़ें - दवाइयों की जानकारी)
- शराब का अत्यधिक सेवन:
बिना कुछ खाए शराब का अत्यधिक सेवन करना, लिवर में संग्रहीत ग्लूकोज को खून में जारी होने से रोक सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। (और पढ़ें - शराब छोड़ने के तरीके)
- कुछ नाजुक परिस्थितियां:
लिवर संबंधित गंभीर बीमारियां, जैसे गंभीर हेपेटाइटिस, हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकती है। (और पढ़ें - लिवर की बीमारी का इलाज)
- अत्यधिक इंसुलिन उत्पादन:
अग्न्याशय का एक दुर्लभ ट्यूमर (इंसुलिनोमा) अत्यधित मात्रा में इंसुलिन पैदा कर सकता है, जिसके कारण हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। दूसरे ट्यूमर में इंसुलिन जैसे पदार्थों का अत्यधिक निर्माण होता हैं। ( और पढ़ें - इंसुलिन कैसे बनता है)
- हार्मोन की कमी:
एड्रिनल ग्रंथि और पिट्यूटरी ग्रंथि में गड़बड़ आने के परिणामस्वरूप कुछ खास हार्मोन्स की कमी हो जाती है, जो ग्लूकोज उत्पादन को नियमित करते है।
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भोजन एवं हाइपोग्लाइसीमिया:
हाइपोग्लाइसीमिया आम तौर पर तब होता है, जब कोई व्यक्ति खाना छोड़ दें (जैसे की उपवास की स्थिति में होना), पर ऐसा हमेशा नहीं होता। कई बार खाना खाने के बाद भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, क्योंकि शरीर जरूरत से ज्यादा इंसुलिन का निर्माण कर देता है।
इस प्रकार के हाइपोग्लाइसीमिया को रिएक्टिव या पोस्टप्रेंडियल हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है, यह उन लोगों को भी हो सकता है जिनके पेट की सर्जरी हुई हो।
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